प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने 14 सितंबर, 2017 को महत्वाकांक्षी 1.08 लाख करोड़ रुपये (17 अरब डॉलर) की परियोजना की आधारशिला रखी थी.
बुलेट ट्रेनों के लगभग 2 घंटे में 508 किलोमीटर की दूरी को कवर करते हुए 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने की उम्मीद है. इसकी तुलना में वर्तमान में मार्ग पर चलने वाली ट्रेनों को दूरी तय करने में 7 घंटे लगते हैं, जबकि उड़ानों में लगभग 1 घंटे का समय लगता है.
भारतीय रेलवे को 508 किलोमीटर लंबे अहमदाबाद-मुंबई हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए गुजरात और महाराष्ट्र में सभी अपेक्षित वन्यजीव, वानिकी और तटीय विनियमन क्षेत्र की मंजूरी मिल गई है. महत्वाकांक्षी परियोजना को पूरा करने की प्रारंभिक समय सीमा दिसंबर 2023 है.
दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेलवे कॉरिडोर के सर्वे के लिए LiDAR तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. ये एक बेहद एडवांस तकनीक है, जिसमें एक हेलीकॉप्टर के ऊपर लेजर से लैस उपकरण लगे होते हैं, जिसके जरिए जमीन पर मौजूद हर एक चीज का डिटेल में विवरण मिलता है. इस तकनीक का इस्तेमाल मुंबई-अहमदाबाद रेल कॉरिडोर के सर्वे के लिए किया जा चुका है.
दिल्ली-जयपुर-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन रूट 886 किलोमीटर का है. जबकि दिल्ली-लखनऊ-वाराणसी 865 किमी का रूट है. यह पीएसयू RITES के टेंडर भरने और हासिल करने के लिए बड़ा मौका है. बुलेट ट्रेन रूट के लिए जरूरी विशेष स्टडी में RITES को महारथ हासिल है. सूत्रों के मुताबिक, एक रूट पर ही 500 से 1000 करोड़ रुपये तक का टेंडर हो सकता है.
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