22 वर्ष पहले 11 मई के दिन दुनिया की महाशक्तियों की इच्छा के खिलाफ, भारत दुनिया की छठी परमाणु शक्ति बन गया था.
भारत ने जब परमाणु परीक्षण किया था, उस समय तक केवल सोवियत संघ, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन ने ही परमाणु परीक्षण किए थे. जापान तो भारत से इस कदर चिढ़ गया था कि उसने सभी नए ऋण और अनुदान देने पर रोक लगा दी थी.
आज अगर चीन, भारत पर कोई बड़ा हमला करने से कतराता है तो इसका श्रेय तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के उस फैसले को भी जाता है जिसने भारत को दुनिया में एक परमाणु शक्ति के तौर पर स्थापित कर दिया था. जब भारत ने ये परीक्षण किया था तो चीन इस कदर चिढ़ गया था कि चीन ने अमेरिका के साथ मिलकर UNSC में भारत के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास करवाया था.
दुनिया के कई देशों ने भारत के इस परीक्षण के बाद तरह-तरह के प्रतिबंध लगाए थे. कनाडा और यूरोपीय देशों ने परमाणु ईंधन देने से मना कर दिया था.
पोखरण परमाणु परीक्षण का एक मकसद परमाणु ऊर्जा का असैन्य इस्तेमाल करके ऊर्जा संकट को खत्म करना भी था. भारत इस समय 6780 मेगावाट एटोमिक एनर्जी पैदा करने की क्षमता हासिल कर चुका है और जल्द ही इस क्षमता को 40 हजार मेगावाट करने का लक्ष्य तय किया गया है.
11 मई को टेक्नालॉजी दिवस के तौर पर भी मनाते हैं. 1998 में त्रिसूल मिसाइल का आखिरी सफल परीक्षण हुआ था. इसे सेना में शामिल कर लिया गया था.
आज का दिन टेक्नालॉजी डे के तौर पर मनाया जाता है. आज ही के दिन भारत के स्वदेशी विमान हंस ने पहली उड़ान भरी थी.
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