भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरके भदौरिया (RKS Bhadauria) ने हाल ही में कहा था कि सेनाएं 'दो-फ्रंट युद्ध' के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.
अमेरिकी एविएशन कंपनी बोइंग के अनुसार भारत के पास 22 AH-64E अपाचे हेलीकॉप्टरों का एक बेड़ा है. यह नवीनतम संचार, नेविगेशन, सेंसर और हथियार प्रणालियों सहित एक ओपन सिस्टम आर्किटेक्चर से लैस है.
अपाचे हेलीकॉप्टर 279 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड की 2000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है. यह हेलीकॉप्टर नाइट विजन है और दिन-रात और किसी भी मौसम में लक्ष्य की जानकारी प्रदान कर सकता है. साथ ही इसके अग्नि नियंत्रण रडार को समुद्री वातावरण में संचालित करने के लिए अपडेट किया गया है. रक्षा मंत्रालय ने 22 अपाचे हेलीकॉप्टरों के उत्पादन, प्रशिक्षण और समर्थन के लिए बोइंग के साथ सितंबर 2015 में डील किया था.
बोइंग ने इस साल मार्च में भारतीय वायुसेना को अंतिम 5 चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टर सौंप दिए थे. दुनिया के 24 देशों के पास या तो चिनूक हेलीकॉप्टर हैं या फिर उनके लिए डील किया गया है. चिनूक को कैसी भी जटिल परिस्थितियों में फिर चाहे वह गर्म हो या अधिक ऊंचाई पर हो, संचालित किया जा सकता है. CH-47F (I) चिनूक में एक आधुनिक मशीनी एयरफ्रेम है, एक एवियोनिक्स आर्किटेक्चर प्रणाली (सीएएएस) वाला कॉकपिट और एक डिजिटल ऑटोमैटिक फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम (डीएएफसीएस) है.
रिपोर्टों के अनुसार, चीन के पास लगभग 280 हमले करने वाले हेलीकॉप्टर हैं, जो भारत के पास मौजूद अपाचे से काफी कमजोर हैं. चीनी सेना हार्बिन WZ-19 और चांग जेड -11 हेलीकाप्टर पर निर्भर है. चीनी हेलीकाप्टरों की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि इसका युद्ध की परिस्थितियों में परीक्षण नहीं किया गया है और वह भी उच्च ऊंचाई पर. चीन के पास रूसी निर्मित एमआई -17 हेलीकॉप्टर भी हैं, जो भारत के पास भी हैं. चीन के पास Z-20 हेलीकॉप्टर भी हैं, जो एलएसी पर तैनात हैं.
भारी सामान उठाने के लिए चीनी सेना Z-8G बड़े हेलीकॉप्टर पर निर्भर करती है और रिपोर्ट के अनुसाल यहा फ्रांसीसी SA 321 सुपर फ्रीलान की कॉपी है, जिसे फ्रांस ने 1970 के दशक में चीन को बेचा था. Z-8G का भारत के चिनूक से कोई मुकाबला नहीं है.
ट्रेन्डिंग फोटोज़