दुश्मन के लिए आईएनएस करंज (INS Karanj) घातक अदृष्य हथियार है. दुश्मन के लिए उसे ढूंढ पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है और यह सबमरीन पलक झपकते ही दुश्मन के परखच्चे उड़ा देगी.
सबमरीन आईएनएस करंज (INS Karanj) को साल 2018 में समुद्र में टेस्ट के लिए उतारा गया था. करंज हर टेस्ट में अव्वल रही है.
कलवरी क्लास की पहली दो सबमरीन कलवरी और खंडेरी पहले ही नौसेना में शामिल हो चुकी हैं. कलवरी क्लास की कुल 6 सबमरीन मुंबई के मझगांव डॉक लिमिटेड में बनाई जा रही हैं. अब आईएनएस करंज देश की आन बान और शान बन गई है.
न्यूक्लियर सबमरीन के अलावा भारतीय नौसेना की सभी सबमरीन डीजल-इलेक्ट्रिक हैं और एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन न होने की वजह से इन्हें हर एक-दो दिन में सतह पर आना पड़ता है. इस खामी को INS करंज में दूर कर लिया गया है. INS करंज स्टेल्थ और एयर इंडिपेंडेंट प्रॉपल्शन समेत कई तरह की तकनीकों से लैस है और आईएनएस करंज (INS Karanj) सबमरीन समुद्र में 50 दिनों तक रह सकती है.
आईएनएस करंज (INS Karanj) एक बार में 12000 किमी तक की यात्रा कर सकती है. इसमें 8 अफसर और 35 नौसैनिक काम करते हैं. ये समुद्र के अंदर 350 मीटर तक गोता लगा सकती हैं. कलवरी क्लास की सबमरीन समुद्र के अंदर 37 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं. खास बात ये कि INS करंज में दुश्मन के जहाज़ को तबाह करने के लिए टॉरपीडो लगे हैं. इसके अलावा, ये समुद्र में बारूदी सुरंगें भी बिछा सकती हैं.
INS करंज में सतह और पानी के अंदर से टॉरपीडो और ट्यूब लॉन्च्ड एंटी-शिप मिसाइल दागने की क्षमता है. ऐसा दावा है कि INS करंज लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाकर दुश्मनों को तबाह करने में सक्षम है. इसके साथ ही इस पनडुब्बी में एंटी-सरफेस वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, खुफिया जानकारी जुटाने, माइन्स बिछाने और एरिया सर्विलांस जैसे सैन्य अभियानों को अंजाम देने की क्षमता है. स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी INS करंज में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे दुश्मन देशों की नौसेनाओं के लिए इसका पता लगाना मुश्किल होगा. ये एक ऐसी सबमरीन है, जिसे लंबी दूरी वाले मिशन में ऑक्सीजन लेने के लिए सतह पर आने की जरूरत नहीं है. इस तकनीक को डीआरडीओ के नेवल मैटेरियल्स रिसर्च लैब ने विकसित किया है.
अभी भारतीय नौसेना के पास सिंधु क्लास की 9, शिशुमार क्लास की 3, कलवरी क्लास की 2 और एक न्यूक्लियर सबमरीन INS चक्र यानी कुल 15 सबमरीन हैं. अरिंहत क्लास की दो सबमरीन यानी INS अरिहंत और INS अरिघात 15 पनडुब्बियों से अलग हैं, जो न्यूक्लियर बैलेस्टिक सबमरीन हैं.
जिस तेजी से साउथ चाइना सी में चीन की चालबाजी बढ़ रही है. उस हिसाब से भारतीय नौसेना को समुद्री सुरक्षा के लिए जबरदस्त तैयारी करनी पड़ रही है, क्योंकि चीन का खाड़ी देशों का समुद्री रास्ता मलक्का स्ट्रेट से होकर गुजरता है. ऐसे में अगर साउथ चाइना सी में चीन हेकड़ी दिखाता है तो भारत मलक्का स्ट्रेट में उसका रास्ता रोक सकता है और उस वक्त दुश्मन पर नजर रखने और उस पर अटैक करने मे INS करंज की क्षमता पर कोई संदेह नहीं.
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