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B'Day: पढ़ें APJ Abdul Kalam की 10 अनसुनी कहानियां

निर्विवाद, बेदाग, हर तबके, हर पार्टी, हर सोच वाले व्यक्ति के लिए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम साहब पर उंगली उठाना आसान काम नहीं था. लोग उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहते हैं, तो उनके जन्मदिन के मौके पर जानिए उनकी 10 अनसुनी दिलचस्प कहानियां.

फाइटर पाइलट बनना चाहते थे कलाम

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फाइटर पाइलट बनना चाहते थे कलाम

कलाम का बचपन का सपना था फाइटर पाइलट बनना, और उनको एक बार ये मौका मिला भी. उन्होंने खुद अपनी एक किताब में खुलासा किया कि कैसे वो फाइटर पायलट बनने के सपने देखते थे. एक बार एयरफोर्स ने 8 फाइटर पायलट्स की जॉब भी निकालीं, तो कलाम ने भी एप्लाई किया, लेकिन वो 9वें नंबर पर आए. यानी उनकी किस्मत में कुछ और भी बेहतर लिखा था.

TBRL का किया प्रतिनिधित्व

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TBRL का किया प्रतिनिधित्व

भारत में पहला परमाणु परीक्षण बुद्ध जयंती पर 1974 में हुआ था, उस ऑपरेशन का नाम रखा गया था ‘स्माइलिंग बुद्धा’, यूं इस पूरे प्रोजेक्ट से कलाम का कोई लेना देना नहीं था. लेकिन होमी जहांगीर भाभा की मौत के बाद भारत का परमाणु प्रसार कार्यक्रम संभाल रहे वैज्ञानिक राजा रमन्ना ने कलाम को बुलाया था कि वो उस वक्त मौजूद रहें. उन्हें डीआरडीओ से जुड़ी टर्मिनल बैलेस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी (टीबीआरएल) के प्रतिनिधि के तौर पर बुलाया गया था.

आम आदमी की जरूरतों पर भी काम करते थे कलाम

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आम आदमी की जरूरतों पर भी काम करते थे कलाम

कलाम आम आदमी की जरूरतों पर भी काम करते थे और लगातार इस प्रयास में रहते थे कि कैसे टैक्नोलॉजी की मदद से उनकी जरुरूत की चीजें सस्ती की जाएं. हैदराबाद के केयर हॉस्पिटल के चेयरमेन सोमा राजू की मदद से उन्होंने एक सस्ता और बेहतरीन कोरोनरी स्टेंट भी बनाया, जिसका नाम रखा गया ‘कलाम-राजू स्टेंट’. 14 साल बाद यानी 2102 में दोनों ने मिलकर ग्रामीण इलाकों के हैल्थकेयर वर्कर्स के लिए एक टेबलेट कम्यूटर भी तैयार किया, जिसको ‘कलाम-राजू टेबलेट’ नाम दिया गया.

कलाम के आखिरी शब्द

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कलाम के आखिरी शब्द

27 जुलाई 2015, शिलोंग आईआईएम में एक कार्यक्रम में गए एपीजे अब्दुल कलाम की अचानक कार्डियेक अरेस्ट से मौत हो गई. कार्यक्रम में मौजूद उनके एक सहयोगी ने बताया कि उनके आखिरी शब्द थे- ‘फनी गाएज, आर यू डूइंग वैल?’

भारत के ऐसे इकलौते राष्ट्रपति

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भारत के ऐसे इकलौते राष्ट्रपति

वो भारत के इकलौते राष्ट्रपति थे, जो कुंवारे थे, शाकाहारी थे, जिनका अपना कोई निजी टीवी नहीं था, और बेहद सादा जीवन बिताते थे.

हिंदू धर्म का था विशेष ज्ञान

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हिंदू धर्म का था विशेष ज्ञान

कलाम के पिता एक मस्जिद में इमाम थे, सो उन्होंने अपने बच्चों को धार्मिक माहौल में रखा था, सो कलाम भी रोज नमाज पढ़ते थे, और रमजान के दिनों में रोजा भी रखते थे. लेकिन रोज शाम को उनके पिता एक चाय की दुकान पर रामनाथ स्वामी मंदिर के पुजारी और पास की ही एक चर्च के फादर से चर्चाऐं किया करते थे. बाल मन से ही कलाम के मन में ये चर्चाएं सुनकर बाकी धर्मों के प्रति काफी रुझान जागृत हुआ और तमाम सारे हिंदू ग्रंथों को भी पढ़ने लगे.

'हर मानव की जिंदगी पवित्र है'

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'हर मानव की जिंदगी पवित्र है'

उन्होंने अपना आध्यात्मिक गुरु बनाया स्वामी नारायण सम्प्रदाय के प्रमुख स्वामी को. उन्होंने प्रमुख स्वामी से जुड़ी यादों को लेकर एक किताब भी लिखी, ‘ट्रांसेंडेंस: माईस्प्रिच्युल एक्सपीरिएंसेज विद प्रमुख स्वामीजी’. जब गांधीनगर के अक्षरधाम मंदिर पर हमला हुआ तो जितने लोग मरे थे, चाहे वो सुरक्षा से जुड़े लोग हों या आतंकी, स्वामी जी ने हर एक के शव पर पवित्र जल छिड़का. कहा- हर मानव की जिंदगी पवित्र है. इससे कलाम उनके भक्त बन

NASA ने भी किया कलाम का सम्मान

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NASA ने भी किया कलाम का सम्मान

नासा की जेट प्रोपल्सन लेबोरेटरी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के फिल्टर्स में एक नया बैक्टीरियम खोजा, तो कलाम के सम्मान में उसका नाम ‘सोलीबेसिलस कलामी’ रख दिया. उड़ीसा में नेशनल मिसाइल टेस्ट की साइट ह्वीलर आइलैंड का नाम भी सरकार ने डॉ. कलाम के नाम पर ही रख दिया है.

राष्ट्रपति पद से पहले भारत रत्न से सम्मानित

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राष्ट्रपति पद से पहले भारत रत्न से सम्मानित

कलाम ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे, जिनको ये पद मिलने से पहले ही भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका था. इससे पहले डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ. जाकिर हुसैन भी राष्ट्रपति पद पर आने से पहले भारत रत्न से सम्मानित हो चुके थे. डॉ. कलाम को 1997 में भारत रत्न मिला था, जबकि वो 2002 में राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए थे.

अपने कार्यकाल में सिर्फ 1 दया याचिकाओं पर किया फैसला

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अपने कार्यकाल में सिर्फ 1 दया याचिकाओं पर किया फैसला

डॉ. कलाम के राष्ट्रपति रहते दया याचिकाओं को लेकर काफी विवाद रहा. डॉ. कलाम ने 21 में से केवल 1 दया याचिका का ही निबटारा किया. कोलकाता में 15 साल की बच्ची का रेप, मर्डर करने वाले धनजंय चटर्जी की दया याचिका जरूर उन्होंने खारिज की, जिसे बाद में फांसी पर लटका दिया गया, बाकी दया याचिकाओं पर उन्होंने कोई फैसला नहीं लिया.

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