मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, झाबुआ के पोल्ट्री फार्म के डायरेक्टर विनोद मेड़ा ने इसकी जानकारी दी है. झाबुआ में जनजातीय समूहों के बाहुल्य वाला इलाका है और इसे कड़कनाथ मुर्गे के लिए जीआई टैग मिला हुआ है. लेकिन बर्ड फ्लू की वजह से अब संक्रमित जगह से चिकन के ट्रांसपोर्टेशन पर तीन महीने के लिए रोक लगा दी गई है.
विनोद मेड़ा ने बताया कि ऑर्डर मिलने के बाद मैं 2,850 कड़कनाथ मुर्गों को भेजने की तैयारी कर रहा था और ये तैयारी मैं करीब पिछले चार महीने से कर रहा था. 10 जनवरी को धोनी के फार्म को हमें 2000 मुर्गे भेजने थे. लेकिन पिछले 4 से 5 दिनों में ज्यादातर मुर्गों की मौत हो गई है. अब मेरे पास सिर्फ 150 मुर्गे बचे हैं.
विनोद मेड़ा ने कहा, 'जब मुर्गों की मौत होने लगी, तब मैंने जिले के पशुपालन विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया. उन्होंने यहां से सैंपल कलेक्ट किए और इसे भोपाल की एनआईएचएसएडी लैबोरेट्री भेजा. बर्ड फ्लू की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है.'
पशुपालन विभाग के डायरेक्टर डॉ. आर के रोकड़े ने कहा कि प्रदेश में पहली बार कड़कनाथ मुर्गे और मुर्गियों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है. निजी पोल्ट्री फार्म के साथ आसपास के एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले पोल्ट्री फार्म और घरों में पाले जा रहे मुर्गे-मुर्गियों को मार दिया गया है. एक महीने तक यहां इन पर रोक रहेगी. इसके बाद 10 किमी के दायरे में सैंपल लेकर जांच की जाएगी.
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