किसान विकास पत्र एक वन टाइम इन्वेस्टमेंट की तरह है, जिसे कोलैटरल या सिक्योरिटी के तौर पर रखकर आप लोन भी ले सकते हैं.
इसलिए अगर आप एक सुरक्षित और जीरो रिस्क वाला निवेश खोज रहे हैं तो डाकघर का बचत खाता आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है. अगर आप लंबे समय के लिए इन्वेस्टमेंट करने का विचार कर रहे हैं तो पोस्ट ऑफिस की किसान विकास पत्र (Kisan Vikas Patra) स्कीम भी एक शानदार ऑप्शन है.
किसान विकास पत्र योजना को भारत सरकार की वन टाइम इन्वेस्टमेंट स्कीम भी कह सकते हैं. इस स्कीम में एक तय अवधि में आपका पैसा दोगुना हो जाता है. इस स्कीम की शुरुआत 1988 में हुई थी, तब इसका मकसद किसानों के निवेश को दोगुना करना था. लेकिन अब स्कीम में कोई भी पैसा लगा सकता है. और वो भी सरकारी गारंटी के साथ.
जानकारी के अनुसार, इस स्कीम में कम से कम 1000 रुपये से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. और अधिकतम निवेश की कोई लिमिट नहीं है. किसान विकास पत्र पर पर आपको 6.9 प्रतिशम का सालाना कंपाउंड ब्याज मिलता है.
KVP में सर्टिफिकेट के रूप में निवेश होता है. इसमें 1000 रुपये, 5000 रुपये, 10,000 रुपये और 50,000 रुपये तक के सर्टिफिकेट हैं, जिन्हें खरीदा जा सकता है. पोस्ट ऑफिस की तमाम योजनाओं पर सरकारी गारंटी मिलती है. यानी इसमें जोखिम बिल्कुल नहीं है. इसलिए किसान विकास पत्र को एक अच्छे रिटर्न वाला सुरक्षित निवेश माना जाता है.
इसमें इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट नहीं मिलती है. इस पर मिलने वाला रिटर्न पूरी तरह से टैक्सेबल है. इतना ही नहीं, किसान विकास पत्र को कोलैटरल के तौर या सिक्योरिटी के तौर पर रखकर आप लोन भी ले सकते हैं.
सरकार की KVP स्कीम का मैच्योरिटी पीरियड 10 साल 4 महीने यानी 124 महीने है. देश के सभी डाकघरों और बड़े बैंकों में किसान विकास पत्र में निवेश की सुविधा मौजूद है.
इस स्कीम का लॉक-इन पीरियड 30 महीने का होता है. 30 महीने से पहले आप स्कीम से पैसा नहीं निकाल सकते. वरना मैच्योरिटी पूरी होने पर यानी 124 महीने बाद आप रकम निकाल सकते हैं.
किसान विकास पत्र पर गारंटीड रिटर्न मिलता है. सबसे अच्छी बात ये है कि इस स्कीम पर बाजार के उतार-चढ़ाव से कोई असर नहीं पड़ता है. इसलिए ये निवेश का बेहद सुरक्षित जरिया है. मैच्योरिटी पूरी होने पर आपको पूरी रकम मिल जाती है.
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