Lakhamandal Shiva Temple: उत्तराखंड में लाखामंडल शिव मंदिर के बारे में बहुंत कम लोग जानते हैं. देहरादून से 125 किमी की दूरी पर स्थित यह मंदिर कोई साधारण मंदिर नहीं है. भगवान शिव के इस चमत्कारी धाम से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं.
इस मंदिर का नाम लाखा मंडल है, इसका अर्थ है एक लाख शिवलिंग. एक बार की बात है, एक दूसरे पर अपनी श्रेष्ठता स्थापित करने के लिए ब्रह्मा और विष्णु के बीच लड़ाई हुई. यह बहस जब गरमागरम बहस में बदल गई तो उनके बीच एक जलता हुआ ज्वाला स्तंभ प्रकट हो गया. ब्रह्मा और विष्णु दोनों चकित रह गए.
उन्होंने इस दीप्तिमान ज्वाला की उत्पत्ति और अंत का पता लगाने का प्रयास किया. हालाँकि, वे इसकी उत्पत्ति के स्रोत या लौ के अंतिम भाग का पता नहीं लगा सके. दोनों ने हार मान ली. तब भगवान शिव ने उन्हें जीवन में विनम्र रहने का आशीर्वाद दिया. जिसके बाद भगवान शिव अंतर्ध्यान हो गए. तब यहां शिवलिंग की स्थापना की गई थी.
ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले विष्णु और ब्रह्मा ने शिवलिंग की पूजा की थी. इस मंदिर के अस्तित्व से जुड़ी एक और पौराणिक कहानी है. कहा जाता है कि इस मंदिर और शिवलिंगों की स्थापना युधिष्ठिर (पांडवों के बड़े भाई) ने अपने अज्ञातवास के दौरान की थी. जब कौरवों को उनकी उपस्थिति के बारे में पता चला, तो उन्होंने मिलकर उन्हें जिंदा जलाने की योजना बनाई. यह मां शक्ति ही थीं जिन्होंने पांडवों की महान आत्माओं को बचाया. इसलिए लाखा मंडल में शिव और मां शक्ति की पूजा की जाती है.
कई पवित्र संतों और प्रमुख अनुयायियों द्वारा यह माना जाता है कि यदि आप एक मृत को इन दो भवनों के सामने रखते हैं और मंदिर के पुजारी शरीर पर पवित्र जल छिड़कते हैं, तो वह व्यक्ति कुछ मिनटों के लिए जीवित हो जाता है. गंगाजल पीने के बाद आत्मा फिर से शरीर छोड़ देगी. इस प्रकार मृत व्यक्ति अनंत काल को प्राप्त करता है.
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