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Indian Railway: आजाद भारत का वो रेलवे ट्रैक, जिसके लिए अंग्रेजों को आज भी मिलता है करोड़ों का लगान

Indian Railway Interesting Facts: आजादी मिले भारत को 75 साल हो चुके हैं. इस साल आजादी का अमृतकाल मनाया जा रहा है. लेकिन देश में एक रेलवे ट्रैक ऐसा भी है, जो आज भी अंग्रेजों के कंट्रोल में है. शायद आप यह जानकर हैरान रह जाएं लेकिन यह सच है. इस रेलवे ट्रैक को ब्रिटेन की एक कंपनी संचालित करती है. कई बार भारत ने इस इसको खरीदने का ऑफर दिया लेकिन बात किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई. हर साल भारतीय रेलवे 1 करोड़ 20 लाख रुपये की रॉयल्टी ब्रिटेन की प्राइवेट कंपनी को देती है.  

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इस ट्रैक का नाम है शकुंतला रेलवे ट्रैक. इस पर सिर्फ शकुंतला पैसेंजर चला करती थी. इसी वजह से इस ट्रैक का नाम भी यही पड़ गया. यह ट्रैक नैरो गेज यानी छोटी लाइन वाला है. 

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अब इस पर शकुंलता पैसेंजर ट्रेन नहीं चलती. लेकिन लोग लगातार इसे फिर चलाने की मांग कर रहे हैं. यह ट्रैक 190 किलोमीटर का है. और महाराष्ट्र के अमरावती से मुर्तजापुर तक फैला हुआ है. करीब 6-7 घंटे में शकुंतला एक्सप्रेस सफर पूरा करती है. 

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इस ट्रैक पर कई छोटे रेलवे स्टेशन हैं. ट्रेन यवतमाल, अचलपुर समेत 17 विभिन्न स्टेशनों पर रुकती है. इसमें कुल 5 डिब्बे थे और 70 वर्ष तक स्टीम इंजन के सहारे इसे चलाया जाता था. 

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डीजल इंजन की शुरुआत 1994 से हुई. इस रेलवे ट्रैक पर आपको अंग्रेजों के जमाने के रेलवे उपकरण और सिग्नल दिख जाएंगे. जब ट्रेन में डीजल इंजन लग गया तो डिब्बों की संख्या 7 हो गई. 

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जब तक ट्रेन को बंद नहीं किया गया, इसमें 1 हजार लोग हर रोज यात्रा करते थे. 

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 बता दें कि साल 1903 में यह ट्रैक बनाने का काम शुरू हुआ था. 1916 में यह पूरी तरह बनकर तैयार हो गया. जब 1947 में भारत को आजादी मिली तो इस कंपनी के साथ इंडियन रेलवे ने एक डील की. 

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इसके तहत इस कंपनी को रेलवे रॉयल्टी देती है. भले ही सरकार इसको रॉयल्टी देती हो. लेकिन आखिरी बार 2020 में शकुंतला पैसेंजर को चलाया गया था.

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 कंपनी ने 60 वर्ष से इस पर कोई मरम्मत नहीं कराई है. ट्रेन की स्पीड भी 20 किमी से ज्यादा नहीं होती. ऐसे में ट्रेन को फिलहाल बंद कर दिया गया है.

 

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