सूर्य ग्रहण को कभी भी नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए क्योंकि ऐसा करने पर आंखों की रोशनी तक जा सकती है.
देश की राजधानी दिल्ली के नेहरू तारामंडल में सूर्य ग्रहण देखने के लिए स्पेशल तैयारियां की गईं. यहां अलग-अलग क्षमताओं के टेलीस्कोप के साथ सूर्य ग्रहण को देखा जा रहा है. सूर्य ग्रहण आंशिक रूप सुबह 9.16 बजे शुरू हुआ. सूर्य का वलयाकार रूप या रिंग ऑफ फायर दिखना सुबह 10.19 बजे से शुरू हो गया और यह दोपहर 2.02 बजे खत्म होगा. ग्रहण का आंशिक रूप दोपहर 3.04 बजे खत्म हो जाएगा.
सूर्य ग्रहण को सुरक्षात्मक उपकरण के माध्यम से ही देखना चाहिए. दिल्ली स्थित नेहरू तारामंडल ग्रहण पर परिचर्चा का आयोजन करने के अलावा इसकी वेबकास्टिंग भी कर रहा है.
सूर्य ग्रहण को कभी भी नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए. सूर्य ग्रहण देखने के लिए टेलीस्कोप, वैल्डिंग वाले काले ग्लास या फिर सूर्य ग्रहण देखने के लिए बनाए गए स्पेशल चश्में का इस्तेमाल कर सकते हैं.
सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और जब तीनों खगोलीय पिंड एक रेखा में होते हैं. वलयाकार सूर्य ग्रहण या रिंग ऑफ फायर तब होता है जब चंद्रमा का कोणीय व्यास सूर्य से कम हो जाता है, जिससे चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाता है. इसके परिणामस्वरूप, चंद्रमा के चारों ओर सूर्य का बाहरी हिस्सा दिखता रहता है, जो एक अंगूठी का आकार ले लेता है. यह अग्नि-वलय की तरह दिखता है.
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