प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद समिति के लिए भूपिन्दर सिंह मान, अनिल घनवत, डॉ प्रमोद जोशी और अशोक गुलाटी के नामों की घोषणा की. ऐसे में आपका ये जानना जरूरी है कि समिति में शामिल चारों लोग आखिर हैं कौन?
सुप्रीम कोर्ट ने तीन नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे रहे किसान संगठनों के बीच व्याप्त गतिरोध खत्म करने के इरादे से मंगलवार को इन कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगाने के साथ ही किसानों की समस्याओं पर विचार के लिये चार सदस्यीय समिति गठित कर दी है. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद समिति के लिए भूपिन्दर सिंह मान, अनिल घनवत, डॉ प्रमोद जोशी और अशोक गुलाटी के नामों की घोषणा की. ऐसे में आपका ये जानना जरूरी है कि समिति में शामिल चारों लोग आखिर हैं कौन?
शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवत को सुप्रीम कोर्ट ने इस कमेटी का सदस्य बनाया है. उन्होंने कहा कि इन कानूनों के माध्यम से उनकी संगठन की पुरानी मांगों को आंशिक रूप से लागू किया गया है और ऐसे में उनका प्रयास होगा कि कानूनों में सुधार हो. हालांकि, उन्होंने अनुबंध आधारित खेती समेत कई सुधारों का समर्थन किया. उन्होंने कहा, 'हम केंद्र के इन तीनों कानूनों की सराहना नहीं कर रहे हैं. शेतकारी संगठन ने सबसे पहले इन संशोधनों पर जोर दिया था.' समिति के सदस्य घनवत ने कहा, 'समिति में मेरी भूमिका किसानों के हितों की रक्षा करने और कानूनों में सुधार करने की होगी.'
कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी 2011-14 के दौरान कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के प्रमुख रहे. इससे पहले उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर सरकार को सलाह देने की भूमिका निभाई थी. वह 2001-11 तक 'अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति एवं अनुसंधान संस्थान' के निदेशक भी रहे हैं. फिलहाल वह रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल में शामिल हैं.
प्रमोद कुमार जोशी अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति एवं अनुसंधान संस्थान में निदेशक (दक्षिण एशिया) हैं. इससे पहले वह राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी (हैदराबाद) के निदेशक और 'नेशनल सेंटर फॉर एग्रीकल्चर इकनॉमिक्स एंड पॉलिसी रिसर्च' के भी निदेशक रहे हैं.
किसान नेता भूपिन्दर सिंह मान भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. यह संगठन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति में शामिल है. वह 1990 से 96 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे हैं. गत 14 दिसंबर को एक बयान जारी कर कृषि मंत्रालय ने कहा था कि मान की अगुवाई में किसान नेताओं ने कानूनों के समर्थन में ज्ञापन दिया था.
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अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (आईकेएससीसी) की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'यह स्पष्ट है कि कई शक्तियों द्वारा समिति के गठन को लेकर भी न्यायालय को गुमराह किया जा रहा है. समिति में वो लोग शामिल हैं जिनके बारे में पता है कि उन्होंने तीनों कानूनों का समर्थन किया और इसकी खुलकर पैरवी भी की थी.'
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