Padm Award 2022: आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अलग-अलग क्षेत्रों में बेहतरीन काम करने वाले 128 लोगों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित करेंगे. इन नामों की घोषणा 26 जनवरी की संध्या पर हुई थी. इनमें से कई ऐसे चेहरे हैं, जो गुमनाम हैं, लेकिन उन्होंने अपने क्षेत्रों में अभूतपूर्व काम किए हैं. ऐसे ही कुछ खास लोगों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं.
दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (JMI) की कुलपति प्रो नजमा अख्तर निरंतर कामयाबी के कदम चूम रहीं हैं. सोमवार को प्रोफेसर नजमा अख्तर को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा. एएमयू में कंट्रोलर आफ एडमिशन एंड एग्जामिनेशन के लिए ऑल इंडिया सेलेक्शन के जरिए प्रो नजमा अख्तर का चयन हुआ था. उस समय तक न केवल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, बल्कि देश की अन्य किसी भी यूनिवर्सिटी में इस पद पर किसी महिला का चयन नहीं हुआ था. अख्तर के खिलाफ एक फतवा जारी किया गया कि कोई महिला एडमिनिस्ट्रेशन के शीर्ष पद पर नहीं रह सकती, क्योंकि इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता है. ऐसी परिस्थितियों में प्रो. अख्तर ने खुद को निखारा. एएमयू के बाद प्रो नजमा अहम पदों पर रहीं. बाद में जामिया मिल्लिया इस्लामिया को पहली बार महिला वाइस चांसलर बनीं.
प्रोफेसर विश्वमूर्ति शास्त्री संस्कृत के विद्वान हैं. वे जम्मू कश्मीर के निवासी हैं, जो रणबीर कैंपस जम्मू में 2006-2011 तक प्राचार्य रहे. इसके साथ ही वर्ष 2011 के बाद वो मनोनीत चांसलर (कुलपति) भी रहे. मिली जानकारी के मुताबिक प्रो. शास्त्री संस्कृत पर 8 ग्रंथ लिख चुके हैं. इस वक्त वो प्रकाशन के अधीन हैं. साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में सम्मानित होने वाले विश्वमूर्ति शास्त्री माता वैष्णो देवी गुरुकुल चरण पादुका कटड़ा के निदेशक भी रह चुके हैं. यही नहीं प्रो. शास्त्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के सदस्य भी हैं और इनके प्रवचन नवरात्रि के दौरान वैष्णो देवी दरबार से प्रसारित किए जाते हैं.
भारतीय शास्त्रीय नृत्य के क्षेत्र में नलिनी और कमलिनी दो बड़े नाम हैं. नलिनी कमलिनी को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रदर्शन के जरिए कथक में युगल श्रेणी को लोकप्रिय बनाने के लिए जाना जाता है. पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुनी गई कथक नृत्यांगना नलिनी और कमलिनी मूलत: बरेली की हैं. बरेली के अस्थाना परिवार से ताल्लुक रखने वाली नलिनी-कमलिनी का पैतृक घर कूचा सीताराम में है. हालांकि उनका जन्म आगरा में हुआ और बाद में वे दिल्ली शिफ्ट हो गईं पर बरेली से उनका लगाव कम नहीं हुआ.
अभिनेता विक्टर बनर्जी भारतीय अभिनेता हैं. विक्टर अंग्रेजी , हिंदी , बंगाली और असमिया भाषा की कई फिल्में कर चुके हैं. सत्यजीत रे क्लासिक ‘घरे बाइरे’ और डेविड लीन के महाकाव्य ‘ए पैसेज ऑफ इंडिया’ जैसी फिल्मों के लिए उन्हें खास तौर पर जाना जाता है. उन्होंने रोमन पोलांस्की , जेम्स आइवरी , सर डेविड लीन , जेरी लंदन , रोनाल्ड नेम , सत्यजीत रे , मृणाल सेन , श्याम बेनेगल , मोंटाजुर रहमान अकबर और राम गोपाल वर्मा जैसे निर्देशकों के लिए काम किया है. ‘घरे बैरे’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था.
पंजाबी संस्कृति को पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाली दिग्गज पंजाबी लोक गायक गुरमीत बावा को मरणोपरान्त पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. गुरमीत बावा को 'लंबी हेक दी मल्लिका' के नाम से जाना जाता है. कला के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए उन्हें ये सम्मान दिया जाएगा. पंजाब के गुरदासपुर जिले के कोठे गांव में 1944 में जन्मीं गुरमीत बावा पंजाब के लोक गीत ''जुगनी'' को गाकर पूरे देश में लोकप्रिय हुईं थीं. गुरमीत बावा को पंजाब सरकार द्वारा राज्य पुरस्कार, पंजाब नाटक अकादमी द्वारा संगीत पुरस्कार, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार और पंजाबी भाषा विभाग द्वारा शिरोमणि गायिका पुरस्कार सहित कई पुरस्कार मिले थे.
102 साल की शकुंतला चौधरी असम की रहने वाली थीं. कुछ दिन पहले ही उमका देहावसान हुआ. वो गुवाहाटी के उलूबारी में कस्तूरबा आश्रम में पर्यवेक्षक थीं और असम की प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता रहीं. शकुंतला चौधरी हांडीक गर्ल्स कॉलेज के पहले बैच की छात्रा रह चुकी हैं. शकुंतला चौधरी ने अपना 100वां जन्मदिन कालेज की छात्रा के साथ कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट की असम शाखा में मनाया था. एक रिपोर्ट के मुताबिक शकुंतला चौधरी असम की अकेली महिला और वरिष्ठ नागरिक थीं, जिन्होंने 100 साल पार किए.
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में मंगलुरु से "टनल मैन" अमाई महालिंग नाइक 72 साल के हैं. उन्होंने अकेले ही अपनी दो एकड़ जमीन को सींचने का काम किया और बंदरगाह शहर मंगलुरु से 50 किमी दक्षिण-पूर्व में अद्यानाडका के पास एक पहाड़ी पर एक छोटा सा पौधा लगाने में सफल रहे हैं. नाइक ने चट्टानी दो एकड़ जमीन की सिंचाई करने का काम अपने दम पर कर लिया है. उन्होंने अपने श्रम के बल पर बंजर भूमि को 300 से अधिक सुपारी, 75 नारियल के पेड़, 150 काजू के पेड़, 200 केले के पौधे और काली मिर्च की बेलों के साथ एक सुंदर खेत में बदल दिया है.
केवी राबिया को सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर पद्मश्री से नवाजा गया है. दुनिया के लिए एक रोल मॉडल बन चुकीं केवी राबिया जन्म 25 फरवरी 1966 में मलप्पुरम जिले के तिरुरंगाडी के पास वेल्लिलक्कड़ गांव में हुआ था। राबिया पोलियो से ग्रसित थीं इसलिए व्हीलचेयर ही उनकी पैर बनी. व्हीलचेयर पर होने के बावजूद उन्होंने दुनिया के लिए एक मिसाल पेश की है. व्हीलचेयर पर रहते हुए उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और शिक्षिका बनीं. अध्यापिका होने के साथ वह समाज सुधार के कार्यों में भी लगी रहीं. समाज सेवा की ओर एक और कार्य करते हुए राबिया ने चलनम नाम की एक संस्था शुरू की. इस संस्था के जरिए दिव्यांग बच्चों के लिए कई स्कूल खोले गए. सिर्फ यही नहीं, महिला सशक्तीकरण के लिए भी उन्होंने आवाज उठाई.
पद्म पुरस्कार पाने वालों में एक नाम यूपी के वाराणसी के शिवानंद बाबा का भी है. शिवानंद बाबा के बारे में दावा किया जाता है कि उनकी उम्र 126 साल है. वो पूरी तरह से स्वस्थ हैं. बाबा शिवानंद के बारे में कहा जाता है कि वह चमक-दमक की दुनिया से दूर रहना चाहते हैं. 8 अगस्त 1896 को जन्मे शिवानंद को योग और धर्म में काफी जानकारी प्राप्त है. उनकी दिनचर्चा के बारे में कहा जाता है कि बाबा शिवानंद रोज सुबह 3 बजे उठ जाते हैं. इसके बाद एक घंटा योग करते हैं, भगवद् गीता और मां चंडी के श्लोकों का पाठ करते हैं. बाबा शिवानंद केवल उबला हुआ भोजन करते हैं. वह कम नमक वाला खाना खाते हैं. इस उम्र में भी बाबा शिवानंद काफी स्वस्थ हैं.
राजस्थान के पंडित राम दयाल शर्मा स्वांग, भगत, नौटंकी, रसिया और रासलीला लोक कला के संवाहक हैं. पंडित राम दयाल शर्मा उत्तर भारत की स्वांग, भगत, नौटंकी, रसिया और रासलीला लोक परंपराओं की एक जीवित किंवदंती हैं. वह एक प्रसिद्ध गायक, संगीतकार, अभिनेता, लेखक, निर्देशक और संगीत शिक्षक हैं. पंडितजी ने अपने काम के लिए कई पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र जीते हैं. हालही में 2015 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा नौटंकी के लिए प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. अब उन्हें पद्मश्री दिया जा रहा है.
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