नई दिल्ली: दुनिया में लेफ्ट और राइट के बीच श्रेष्ठता को लेकर छिड़ी बहस से इतर लेफ्ट हैंडर्स और राइट हैंडर्स की बात करें तो कुछ बच्चे अपने दाएं हाथ का इस्तेमाल ज़्यादा करते हैं तो कुछ बाएं का. हम बच्चों को दाएं हाथ इस्तेमाल कराने की कोशिश करते हैं, क्योंकि लोग इसी हाथ का इस्तेमाल करते आए हैं. इसके बावजूद कुछ बच्चे अपने बाएं हाथ का इस्तेमाल करते हैं. हांलाकि ये अलग बात है कि बायां हाथ इस्तेमाल करने वालों की तादाद कुछ कम ही है. तो आखिर क्या वजह है कि बाएं हाथ का इस्तेमाल करने वालों की तादाद आबादी में कम होती है. आइए इसका कारण तलाशने की कोशिश करते हैं.
दरअसल मानव शरीर में एक तरह का असंतुलन है. उदाहरण के लिए अगर हम बाएं हाथ से अपना फोन उठाते हैं और दाएं को कान पर लगा कर सुनते हैं. जब हमें फोन पर बात करते करते कुछ लिखना होता है तो बाएं कान पर फोन लगाते हैं और दाएं हाथ से लिखना शुरू कर देते हैं.
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
दरअसल हमें जिस तरह से काम करने में आसानी होती है, वैसे ही अपने शरीर के अंगों का इस्तेमाल करते हैं. एक शोध के मुताबिक आम तौर पर 40% लोग अपने बाएं कान का, 30% लोग बाईं आंख का, और 20 फीसद लोग बाएं पैर का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन जब बात आती है हाथ की, तो सिर्फ 10 फीसद लोग ही बाएं हाथ का इस्तेमाल ज़्यादा करते हैं.
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दुनिया में कई लेफ्ट हैंडर क्रिकेटर्स ने अपने खेल के दम पर अपनी बादशाहत साबित की. इस सिलसिले में भारत से लेकर दुनिया के कई क्रिकेटर्स का नाम शामिल किया जा सकता है. ऐसे में सवाल एक बार फिर उठता है कि आखिर ऐसा क्यों है?
फोटो साभार: (Reuters)
अगर आपके घर-परिवार में भी कोई बच्चा लेफ्टी है तो उसका ध्यान रखें. उसे किसी तरह के मानसिक संकल्प विकल्प में न पड़ने दें. बाएं के मुकाबले दाएं हाथ का इस्तेमाल सिर्फ इंसान नहीं करते बल्कि जानवर भी करते हैं. एक वैज्ञानिकों शोध के मुताबिक आधे चिंपांजी बाएं हाथ का तो आधे दाएं हाथ का इस्तेमाल करते हैं. मगर दस के मुकाबले एक इंसान ही बाएं हाथ का इस्तेमाल करता है. आखिर इंसानों ने दाएं हाथ के इस्तेमाल पर जोर देना कब शुरू किया ये जानने के लिए हमें इंसान के विकास की बुनियाद में जाना होगा.
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आदि मानव के रिश्तेदार रहे 'निएंडरथल' मानव के दांतों से इसका इशारा मिलता है. लेकिन वो मांस को काटने के लिए औजार उसी हाथ में पकड़ते थे, जिसमें उनकी ताकत ज्यादा होती थी. रिसर्च करने वालों ने पाया है कि निएंडरथल मानव भी अपने दाएं हाथ का इस्तेमाल ज़्यादा करते थे. उन में भी दाएं और बाएं हाथ का इस्तेमाल करने का अनुपात दस में से एक था. जो कि आज के इंसानों में देखने को मिलता है.
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मेडिकल साइंस के शोध से जुड़े लोग और मनोवैज्ञानिक आज भी ये पता लगाने की कोशिश में हैं कि हमारे डीएनए का कौन सा हिस्सा इस बात के लिए उकसाता है कि हम दाएं या बाएं हाथ का इस्तेमाल ज्यादा करें. लेकिन जवाब आज भी किसी के पास नहीं है.
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जो लोग अपने बाएं हाथ का इस्तेमाल करते हैं, क्या उनके जीवन पर इसका कोई असर पड़ता है? इस सवाल पर भी लंबी बहस चली आ रही है. कहा जाता है कि हमारे बाईं ओर का दिमाग दाएं हाथ को कंट्रोल करता है वहीं दिमाग का दायां हिस्सा बाएं हाथ को काबू में रखता है. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के डॉक्टरों का मानना है कि बाएं हाथ का इस्तेमाल करने वाले लोग ज्यादा समझदार होते हैं. उनके पास दूसरे आम इंसानों के मुकाबले कुछ ज्यादा काबिलियत होती है. एक और उदाहरण की बात करें तो लेफ्ट हैंड वालों ने टेनिस की दुनिया में भी राज किया है.
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बाएं हाथ का इस्तेमाल करने वालों के साथ ये मिथक जुड़े हैं कि उन्हें डिस्लेक्सिया और ऑटिज्म जैसी बीमारियां जल्दी होती हैं. कुछ लोगों का कहना है जो लोग इस तरह की बातें फैलाते हैं वो दरअसल भेदभाव का नजरिया रखते हैं. जबकि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के कई राष्ट्रपति खब्बू यानी लेफ्टी हुए हैं जिनमें इस तरह की कोई समस्या नहीं देखी गई. बहरहाल बाएं हाथ का इस्तेमाल करने वाले अगर समझदार और रचनात्मक होते हैं, तो फिर उनकी तादाद कम क्यों है? ये आज भी एक पहेली ही बना हुआ है. इसका जवाब तलाशने के लिए तमाम शोध अभी तलक जारी है.
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