नई दिल्ली: भारत इस समय मात्र कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) से ही नहीं बल्कि इसके साथ आए अन्य घातक बीमारियों से भी लड़ रहा है. कोरोना की दूसरी लहर तो थम गई है लेकिन देश में ब्लैक, व्हाइट और येलो फंगस का कहर बढ़ता जा रहा है. इस बीच एक और नई बीमारी पैर पसार रही है. इससे भी डरावनी बात ये है कि ये छोटे बच्चों को अपना शिकार बना रही है. आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में सब कुछ...
कोविड से ठीक होने के बाद बच्चों में ‘मल्टी-सिस्टम इन्फ्लैमेटरी सिंड्रोम’ (MIS-C) नई चिंता का सबब बनकर उभरा है. इस सिंड्रोम में बच्चों के कई अंग प्रभावित होते हैं. COVID-19 से संक्रमित होने के कुछ हफ्तों बाद ये बीमारी बच्चों को अपना शिकार बना रही है. कोरोना की दूसरी लगह में दो बच्चों में ये बीमारी देखने को मिली है. अब तक 5 बच्चों में ये बीमारी सामने आ चुकी है.
कोरोना महामारी (Coronavirus) से उबरे बच्चों के ‘मल्टी- सिस्टम इन्फ्लैमेटरी सिंड्रोम’ (MIS-C) से संक्रमित होने का खतरा पैदा हो सकता है. फोर्टिस हेल्थकेयर में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. योगेश कुमार गुप्ता का कहना है, ‘मैं नहीं कह सकता कि यह (एमआईएस-सी) खतरनाक है या इससे जीवन को खतरा है. लेकिन निश्चित रूप से कई बार यह संक्रमण बच्चों को बुरी तरह से प्रभावित करता है. यह बच्चों के हृदय (Heart), लिवर (liver) और गुर्दे (kidneys) को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है.
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. योगेश बताते हैं कि यह संक्रमण (Covid-19) होने के चार से छह सप्ताह के बाद होता है. गुप्ता ने कहा कि एमआईएस-सी कोविड-19 से मुकाबला करने के लिए शरीर में बने एंटीजन से प्रतिक्रिया का नतीजा है. उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 का संक्रमण ऐसा कुछ है जिसके बारे में हम चिंतित नहीं होते क्योंकि अधिकतर मामलों में ये मामूली या हल्के लक्षण वाले होते हैं लेकिन एक बार इस संक्रमण से मुक्त होने पर बच्चों के शरीर में एंटीबॉडी पैदा हो जाती हैं, यही एंटीबॉटी बच्चों के शरीर में प्रतिक्रिया करती हैं. यह उनके शरीर में एलर्जी भी पैदा कर सकती है.
डॉ गुप्ता के ने कहा कि अन्य देशों में कोविड-19 के पीक पर होने के बाद एमआईएस-सी का Documentation किया गया है. पिछले साल ऐसे तीन मामले आए थे और दूसरी लहर के बाद दो मामले आ चुके हैं. उन्होंने आशंका जताई कि एमआईएस-सी के मामले और बढ़ सकते हैं.
विशेषज्ञों की मानें तो बच्चों में मल्टी-सिस्टम इन्फ्लैमेटरी सिंड्रोम रेयर है. विशेषज्ञ मानते हैं कि भले ही ये एक छोटा पर्सेंटेज है, लेकिन इसकी गहन जांच की जरूरत है. अगली लहर से पहले इसके बारे में स्पष्ट समझ होना जरूरत है.
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