जानिए वीरता से भरी उनकी ये दिलचस्प कहानी...
विदा ने जमीन में दबाई गई पांच बारूदी सुरंगों और एक ग्रेनेड को तलाश किया था. वहीं सोफी ने विस्फोटक के महत्वपूर्ण हिस्सों की तलाश की थी. सोफी एक एक्सप्लोसिव डिटेक्शन डॉग है और अपने काम में माहिर है.
सेना में प्रशिक्षित डॉग्स सैनिकों के लिए बहुत मददगार होते हैं. इन्हें 8 अलग-अलग ट्रेड में प्रशिक्षित किया जाता है. ये ट्रेड इन डॉग्स की ट्रेनिंग शुरू होने से पहले ही इनकी काबिलियत के आधार पर तय कर दिए जाते हैं.
ट्रैकर, गार्ड, माइन डिटेक्शन, एक्सप्लोसिव डिटेक्शन, इंफेंट्री पेट्रोल, एवलांच बचाव अभियान, सर्च एंड रेस्क्यू, लड़ाकू और नॉरकोटिक्स तलाश करने में ये डॉग्स ट्रेंड हैं.
पिछले एक साल में इन डॉग्स ने 30 विस्फोटकों की तलाश कर सैनिकों और आम लोगों की जान बचाई है. इन डॉग्स ने पांच आतंकवादियों का पीछा कर मारने में मदद की और 14 हथियार बरामद कराए. इसके अलावा बर्फ में दबे 4 लोगों की तलाश कर उनकी जान बचाई.
सेना के डॉग्स को भूकंप और एवलांच जैसी प्राकृतिक आपदा में नागरिक प्रशासन भी बचाव और तलाश में मदद के लिए बुलाता है. भारतीय सेना की डॉग यूनिट्स की पूरी दुनिया में सराहना होती है और मित्र देशों में सेना के ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेंड डॉग्स की बहुत मांग है.
बांगलादेश, म्यांमार और कोलंबिया में भारतीय सेना द्वारा ट्रेंड डॉग्स काम कर रहे हैं. साउथ अफ्रीका,नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका, बांग्लादेश, सेशेल्स जैसे कई देशों के डॉग हेंडलर्स भारत में ट्रेनिंग लेते हैं.
ट्रेन्डिंग फोटोज़