नई दिल्ली: साल 2021 अपने अंतिम दिनों में है. ऐसे में लोग अपने साल भर की उपलब्धियों और उन मौकों को याद करते हैं जिनसे उन्हें फर्क पड़ा हो. वैसे तो साल 2021 कई मायनों में अलग रहा. कई लोगों ने कोरोना के चलते अपने खास लोगों को खो दिया. लेकिन फिर भी आइए एक नजर डालते हैं साल 2021 के ऐसे मौकों पर जहां भारत ने पहली बार कुछ नया कीर्तिमान स्थापित किया. ऐसे ऐतिहासिक मौके जो भारतवासियों ने पहली बार देखे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल एनडीए (National Defnce Academy) में लड़कियों के दाखिले की मंजूरी दे दी. इससे पहले लड़कियों को नेशनल डिफेंस एकेडमी की परीक्षा में शामिल होने की इजाजत नहीं थी. यह देश में पहली बार हुआ जब लड़कियों को NDA के एग्जाम में बैठने का मौका मिला.
गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा को आज हर कोई जानता है. लेकिन इस साल आयोजित हुए टोक्यो ओलंपिक से पहले उन्हें कम ही लोग जानते थे. दरअसल टोक्यो ओलंपिक 2020 में नीरज चोपड़ा ने वो कर दिखाया जो कि अब से पहले भारत में कभी नहीं हुआ था. भारत ने इस साल पहली बार एथलेटिक्स खेलों में गोल्ड मेडल जीता. इसके अलावा भारत ने इस साल सबसे ज्यादा 7 ओलंपिक मेडल जीते.
यूनिकॉर्न कंपनियों के मामले में ब्रिटेन को पछाड़कर इस साल भारत तीसरे स्थान पर पहुंचा. हुरुन रिसर्च इंस्टीट्यूट के बुधवार के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में इस साल नवंबर तक 33 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बने. इसके साथ ही देश में यूनिकॉर्न की संख्या 54 हो गई. ब्रिटेन में 39 यूनिकॉर्न हैं, जिनमें 15 इस साल ही बने हैं. यूनिकॉर्न उन कंपनियों को कहते हैं, जिनका मूल्यांकन एक अरब डॉलर से ज्यादा है.
भारत की पहचान दुनिया के दूसरी सबसे ज्यादा जनसंख्या (Population) वाले देश के तौर पर होती है. लेकिन राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS) के आंकड़ों के मुताबिक भारत की कुल प्रजनन दर (TFR), प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या राष्ट्रीय स्तर पर 2.2 से घटकर 2 हो गई है. NFHS 2019-21 के आंकडों के अनुसार देश के शहरों में प्रजनन दर 1.6 फीसद रह गई है, जबकि गांवों में यह 2.1 फीसद है. इस डाटा का सीधा मतलब यह है कि हमारे देश के युवा उतने बच्चे भी पैदा नहीं कर रहे हैं, जो आगे चलकर उनकी जगह ले सकें.
साल 2021 में भारत में पहली बार पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या ज्यादा दर्ज की गई. राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey) के अनुसार, अब देश में 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हैं. आजादी के बाद पहली बार ये रिकॉर्ड बना है जब पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की आबादी से अधिक हो गई है.
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