SCO Summit in Astana: संसद सत्र के कारण कजाकिस्तान में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी के भाग लेने की संभावना नहीं है. कजाकिस्तान के अस्ताना में 3 से 4 जुलाई के बीच एससीओ समिट होनी है. आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि संसद सत्र के कारण एससीओ शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी के शामिल होने की संभावना नहीं है.


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प्रधानमंत्री मोदी इससे पहले नियमित रूप से यूरेशियन ब्लॉक की शिखर बैठकों में भाग लेते रहे हैं. लेकिन इस बार का संसद सत्र 3 जुलाई तक चलेगा. ऐसे में माना जा रहा है कि पीएम मोदी ने इस शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है.


जिनपिंग-शहबाज शरीफ से हो सकती थी मुलाकात


इससे पहले यह उम्मीद जताई जा रही थी कि एससीओ समिट के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ संभावित द्विपक्षीय वार्ता के अलावा पहली बार शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ आमने-सामने आ सकते हैं.


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हो सकती है. दोनों देशों के साथ संबंधों की स्थिति को देखते हुए भारत को शायद जिनपिंग और शरीफ के बीच किसी भी तरह की बातचीत से कोई आपत्ति नहीं होगी. हालांकि, भारत ने पहले भी कहा है कि वह क्षेत्र की शांति, स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए एससीओ को बहुत महत्व देता है.


चीन के BRI प्रोजेक्ट का विरोध


 


प्रधानमंत्री मोदी ने 2018 में SECURE का फुल फॉर्म बताया था- सिक्योरिटी, इकॉनमी एंड ट्रेड, कनेक्टिविटी, यूनिटी, रिस्पेक्ट फॉर Sovereignty एंड टेरिटोरियल इंटिग्रिटी और Environment. एससीओ के सदस्य देश होने के बावजूद भारत का इस समूह में सबसे अलग स्टैंड है. भारत चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट का समर्थन नहीं करने वाला और पाकिस्तान के साथ कोई द्विपक्षीय संबंध नहीं रखने वाला एकमात्र सदस्य देश है.


भारत ने सदस्य देशों खासकर पाकिस्तान और चीन को बार-बार यह याद दिलाने के लिए एससीओ मंच का उपयोग किया है कि समूह के मूल उद्देश्यों में से एक आतंकवाद से लड़ना था और कनेक्टिविटी पहल को सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए. एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी पिछले साल भारत ने वर्चुअल मोड में की थी.