PM मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद को दी श्रद्धांजलि
Advertisement
trendingNow1716150

PM मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद को दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी और देश के स्वतंत्रता अभियान में उनके योगदान को सराहा. 

PM मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद को दी श्रद्धांजलि

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी और देश के स्वतंत्रता अभियान में उनके योगदान को सराहा. प्रधानमंत्री ने कहा कि कृतज्ञ राष्ट्र उनके योगदान को हमेशा याद रखेगा. पीएम मोदी ने ट्वीट किया, "भारत मां के दो वीर सपूत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद को उनकी जन्म-जयंती पर शत-शत नमन." 

गृह मंत्री अमित शाह ने भी भारत मां के अमर सपूत चंद्रशेखर को आजाद को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "चंद्रशेखर आजाद जी से अंग्रेजी हुकूमत थर-थर कांपती थी, उन्होंने कहा था कि "मैं आज़ाद था, आज़ाद हूं, आजाद रहूंगा" और वो सच में अपनी अंतिम सांसों तक आजाद रहे. उनके राष्ट्रप्रेम ने देश के लाखों युवाओं के हृदय में स्वाधीनता की लौ जलाई. ऐसे अमर बलिदानी के चरणों में कोटि-कोटि वंदन." 

 

शाह ने स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक को याद करते हुए लिखा, "लोकमान्य तिलक जी ने स्वदेशी का उपयोग, शिक्षा और स्वराज जैसे महत्वपूर्ण विषयों को आधार बनाया. उनका आदर्शपूर्ण जीवन, संघर्ष और देशप्रेम आज भी सभी भारतीयों के मन में राष्ट्रवाद की भावना जागृत करता है. ऐसे स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन." 

 

 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक चंद्रशेखर आजाद को याद किया. उन्होंने लिखा, "भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक, अप्रतिम राष्ट्र भक्त, मां भारती के अनन्य उपासक, अमर बलिदानी, वीर शिरोमणि श्री चंद्रशेखर आजाद जी को उनकी पावन जयंती पर कोटि-कोटि नमन. आपका तेजस्विता पूर्ण क्रांतिकारी जीवन, मां भारती की सेवा के लिए अनन्त काल तक हम सभी को प्रेरित करता रहेगा." 

 

fallback

14 वर्ष की आयु में असहयोग आंदोलन से जुड़े आजाद
चंद्रशेखर आजाद का जन्म आज ही के दिन यानी 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले का भाबरा में हुआ था. 1920 में 14 वर्ष की आयु में चंद्रशेखर आजाद गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़े थे. 14 साल की ही उम्र में वो गिरफ्तार हुए और जज के समक्ष प्रस्तुत किए गए. चंद्रशेखर आजाद की निशानेबाजी बचपन से बहुत अच्छी थी. सन् 1922 में चौरी चौरा की घटना के बाद गांधीजी ने आंदोलन वापस ले लिया तो देश के तमाम नवयुवकों की तरह आज़ाद का भी कांग्रेस से मोहभंग हो गया. जिसके बाद पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, शचीन्द्रनाथ सान्याल योगेशचन्द्र चटर्जी ने 1924 में उत्तर भारत के क्रान्तिकारियों को लेकर एक दल हिन्दुस्तानी प्रजातान्त्रिक संघ का गठन किया. चन्द्रशेखर आजाद भी इस दल में शामिल हो गए.

आजाद ने सशस्त्र क्रान्ति के माध्यम से देश को आजाद कराने वाले युवकों का एक दल बना लिया, जिसमें शचीन्द्रनाथ सान्याल, बटुकेश्वर दत्त, भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु, बिस्मिल, अशफाक, जयदेव, शिव प्रसाद गुप्त, दामोदर स्वरूप, आचार्य धरमवीर आदि उनके सहयोगी थे. बाद में काकोरी कांड, अंग्रेज अफसर जेपी सांडर्स की हत्या और दिल्ली की केंद्रीय असेंबली में बम विस्फोट जैसी घटनाओं में अग्रणी भूमिका निभाने वाले आजाद प्रयागराज के अल्फ्रेड पार्क में 27 फरवरी 1931 को वीरगति को प्राप्त हुए थे. 

बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरि के चिखली गांव में हुआ था. अपने परिश्रम के बल पर शाला के मेधावी छात्रों में बाल गंगाधर तिलक की गिनती होती थी. सन्‌ 1879 में उन्होंने बीए तथा कानून की परीक्षा उत्तीर्ण की. सन्‌ 1880 में न्यू इंग्लिश स्कूल और कुछ साल बाद फर्ग्युसन कॉलेज की स्थापना की. इन्होंने सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान पूर्ण स्वराज की मांग उठाई. उन्होंने 'स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा' का नारा दिया. तिलक के क्रांतिकारी कदमों से अंग्रेज बौखला गए. उन पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाकर 6 साल के लिए 'देश निकाला' का दंड दिया और बर्मा की मांडले जेल भेज दिया गया.

इस अवधि में तिलक ने गीता का अध्ययन किया और 'गीता रहस्य' नामक भाष्य भी लिखा. जेल से छूटने के बाद उन्होंने स्वदेशी आंदोलन चलाया. तिलक ने मराठी में 'मराठा दर्पण' व 'केसरी' नाम से दो दैनिक समाचार पत्र शुरू किए. तिलक ने अंग्रेजी शासन की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीनभावना की बहुत आलोचना की. 1 अगस्त 1920 में लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक का मुंबई में निधन हो गया. 

 

 

Trending news