PM Modi News: पीएम मोदी ने सोमवार को एक्स पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत से जुड़ी कई यादों को साझा किया. इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें सभी राजनीतिक दलों के और हर क्षेत्र के लोग पसंद करते थे.
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National News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत को उनकी 100वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की. एक्स पर पीएम मोदी ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री के जीवन से जुड़ी कई बातों को साझा किया. उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि शेखावत को सभी राजनीतिक दलों में सम्मान हासिल था.
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें सभी राजनीतिक दलों के और हर क्षेत्र के लोग पसंद करते थे. राजनीति के मौजूदा दौर में ऐसे नेताओं की संख्या बेहद कम है जिनके बारे में ऐसा दावा किया जा सके. हालांकि कुछ समय पहले तक ऐसी शख्सियतें भारतीय राजनीति में जरूर थीं जिनका कद इतना बड़ गया था कि उन्हें हर राजनीतिक दल से सम्मान मिलता था.
Today is a very special day - it is the 100th birth anniversary of the respected statesman Shri Bhairon Singh Shekhawat Ji. India will always be grateful to him for his exemplary leadership and efforts towards our nation’s progress. He was someone who was liked across the… pic.twitter.com/P4oofXYNbM
— Narendra Modi (@narendramodi) October 23, 2023
जीवन भर कम्युनिस्ट विचार के सच्चे सिपाही रहे सुरजित
सीपीएम के पर्व जनरल सेक्रेटरी और भारत के दिग्गज कमुयनिस्ट नेता हरकिशन सिंह सुरजीत भी इसे श्रेणी के नेता थे. जीवन भर वह एक अपनी विचारधारा को समर्पित रहे लेकिन राजनीतिक और सावर्जनिक जीवन में उनकी कोशिश सबको साथ लेकर चलने की ही रही.
अटल के साथ मिलकर अमेरिका को घुमाया
इसकी एक मिसाल हमें सन 2003 में देखने को मिलती है जब देश में एनडीए की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे. कहा जाता है कि उस दौरान अमेरिका ने भारत पर इराक युद्ध में सेनाएं भेजने का दवाब डाला था.
इस मुश्किल का सामना करने के लिए अटल को अपने कॉमरेड मित्र यानी हरकिशन सुरजित ही याद आए. दोनों ने अन्य नेताओं को साथ लेकर कुछ ऐसी ऐसी रणनीति रची की भारत इस दुविधा से बाहर निकल आया और सेना को इराक भी नहीं भेजना पड़ा.
यहां यह बताना भी जरूरी था कि यह वही हरिकशन सिंह सुरजीत थे जिन्हें 1990 के दशक में कई भाजपा विरोधी गठबंधन बनाने और और फिर अगले चलकर यूपीए-1 सरकार को वाम समर्थन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. लेकिन इन्होंने व्यक्तिगत रिश्तों में कभी राजनीति को नहीं आने दिया.
प्रकाश सिंह बादल
पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल ऐसे ही एक नेता थे जिनकी शख्सियत दलगत राजनीति से ऊपर थी. जहां सुरजीत देश में वामपंथी विचाराधारा को स्थापित करने में जुटे थे वहीं बादल सिख राजनीती के सबसे बड़े चेहरे बन कर उभरे. उनकी पार्टी शिरोमणि अकाली दल लंबे समय तक बीजेपी की सहयोगी रही. वह केंद्र में भी मंत्री रहे. हालांकि उनकी राजनीति पंजाब केंद्रित थी लेकिन उनकी गिनती देश के सबसे कद्दावर नेताओं में होती थी. भारतीय राजनीति के कई बड़े नाम उनके व्यक्तिगत मित्र थे. अटल बिहारी वाजपेयी से उनकी सबसे ज्यादा जमी. इन दोनों की दोस्ती के कई किस्से आज भी राजनीतिक गलियारों में गूंजते हैं.
बादल ने राजनीतिक नफे-नुकसान की परवाह किए बगैर हमेशा निजी और आत्मीय संबंध बनाए रखे. इसका सबसे बड़ा उदाहरण हरियाणा में पूर्व उप प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला से उनके संबंध थे. हालांकि ऐसे कई मौके आए जब लगा कि बादल और चौटाला परिवार के रिश्ते दांव पर लग सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और दोनों परिवारों की दोस्ती कायम रही.