PMML Writes To Sonia Gandhi: पीएमएमएल सोसाइटी के सदस्य और इतिहासकार रिजवान कादरी ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू से संबंधित दस्तावेजों को लौटाने या उन तक पहुंच की मांग की है. गांधी परिवार ने कई साल पहले इन दस्तावेजों और चिट्ठियों को वापस ले लिया था.
Trending Photos
Jawahar Lal Nehru's Private Documents: प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) सोसाइटी के सदस्य रिजवान कादरी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को पत्र लिखकर देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से संबंधित निजी दस्तावेजों की मांग की है. उन्होंने अनुरोध किया है कि अगर इन कागजातों को पीएमएमएल को वापस करने में कोई दिक्कत हो तो उस तक प्रत्यक्ष या डिजिटल पहुंच की अनुमति दी जाए.
गांधी परिवार ने कई साल पहले दस्तावेजों को वापस ले लिया था
गुजरात में अहमदाबाद के एक कॉलेज में इतिहास पढ़ाने वाले 56 वर्षीय रिजवान कादरी ने कहा कि वह पीएमएमएल सोसाइटी (जिसे पहले नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी या एनएमएमएल के नाम से जाना जाता था) की वार्षिक आम बैठकों में उन कागजातों को ‘‘वापस लेने’’ के लिए आवाज उठाते रहे हैं. गांधी परिवार ने कई साल पहले इन दस्तावेजों को वापस ले लिया था.
दिल्ली के तीन मूर्ति भवन में रहते थे देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू
भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू सेंट्रल दिल्ली में बने तीन मूर्ति भवन में रहते थे. उनके निधन के बाद इसे संग्रहालय बना दिया गया. यहां पुस्तकों और दुर्लभ अभिलेखों का समृद्ध संग्रह था. रिजवान कादरी ने कहा कि नेहरू के निजी कागजात से संबंधित अभिलेखों वाले 51 बक्से गांधी परिवार द्वारा वापस ले लिए गए थे. हालांकि, दुनिया भर के रिसर्चर्स की दिलचस्पी और रेफरेंसेस के लिए आवाजाही के चलते इसकी जरूरत काफी बढ़ गई है.
राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए वैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया को नौ सितंबर को लिखे पत्र में कादरी ने कहा है, ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू जी और उनके पिता पंडित मोतीलाल नेहरू जी अपने योगदान के महत्वपूर्ण अभिलेख छोड़ गए हैं, जो सौभाग्य से नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय में संरक्षित रहा है. राष्ट्र निर्माण में उनके महान योगदान के लिए गहन वैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता है, जिसके लिए संपूर्ण अभिलेखों तक पहुंच आवश्यक है.’
उन्होंने कहा कि हाल में पूछताछ के बाद पता चला कि इनमें से अधिकतर रिकॉर्ड प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय में रखे गए हैं. कादरी ने पत्र में लिखा है, ‘मुझे यह भी बताया गया कि कुछ रिकॉर्ड आपके कार्यालय द्वारा लिए गए थे, क्योंकि आप परिवार की प्रतिनिधि और दाता थीं. मुझे विश्वास है कि इन अमूल्य दस्तावेजों की सुरक्षा के लिए यह सद्भावनापूर्वक किया गया था.’
कम से कम उन दस्तावेजों तक डिजिटल पहुंच की अनुमति दी जाए...
इतिहासकार ने कहा कि हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि ये अभिलेख ‘हमारे देश के इतिहास की व्यापक समझ सुनिश्चित करने के लिए सुलभ रहें.’ उन्होंने कहा कि इन दस्तावेजों में नेहरू और जयप्रकाश नारायण, एडविना माउंटबेटन और अल्बर्ट आइंस्टीन के बीच पत्रों से संबंधित रिकॉर्ड शामिल हैं. अहमदाबाद में रहने वाले कादरी ने बताया कि सबसे अच्छा कदम यह होगा कि सभी रिकॉर्ड पीएमएमएल को वापस भेज दिए जाएं, लेकिन अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो ‘कम से कम उन दस्तावेजों तक डिजिटल पहुंच’ की अनुमति दी जानी चाहिए.
#WATCH | Ahmedabad, Gujarat: Rizwan Kadri, historian & author and one of the members of the Prime Ministers’ Museum and Library (PMML) Society (formerly Nehru Memorial Museum and Library, or NMML), writes a letter to the Congress leader Sonia Gandhi asking her to either return… pic.twitter.com/Y6XR1nobfZ
— ANI (@ANI) September 22, 2024
नेहरू के एडविना और जेपी समेत कई नेताओं का लिखा पत्र शामिल
पीएमएमएल रिकॉर्ड के मुताबिक, सोनिया गांधी के पास मौजूद दस्तावेजों में नेहरू और जयप्रकाश नारायण के बीच पत्राचार के अलावा नेहरू के साथ एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन, अरुणा आसफ अली, विजया लक्ष्मी पंडित और बाबू जगजीवन राम के बीच के लेटर्स भी हैं. कादरी ने पत्र में लिखा कि मैं प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय सोसायटी के समर्पित सदस्य के तौर पर आपको यह पत्र लिख रहा हूं. मेरी अकादमिक यात्रा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (1885-1947) के इतिहास के साथ गहराई से जुड़ी हुई है. इसके इतिहास से जुड़े विभिन्न तथ्यों और रिकॉर्डों में, खासकर गुजरात में, मेरी गहरी रुचि है.
गांधी, पटेल और गुजरात के राजनीतिक इतिहास पर पीएचडी थीसिस
उन्होंने आगे लिखा कि यहां तक कि गांधीजी के लेखन का दस्तावेजीकरण बहुत बारीकी से किया गया है. दुर्भाग्य से, पटेल ने स्वतंत्रता से पहले इस तरह का दस्तावेज नहीं जमा किया. 1997 में पूरी हुई रिजवान कादरी की पीएचडी थीसिस महात्मा गांधी, वल्लभभाई पटेल और गुजरात के राजनीतिक इतिहास पर केंद्रित थी.
कादरी ने पत्र में लिखा है कि एक इतिहासकार के तौर पर वह पटेल के योगदानों को जानने में गहरी दिलचस्पी रखते हैं. दस्तावेजों को हासिल करने की अनुमति मांगते हुए पत्र में कहा गया है कि आप इस बात से सहमत होंगी कि पंडित नेहरू अपने योगदान पर निष्पक्ष और राजनीतिक प्रभाव से मुक्त शोध के हकदार हैं.
ये भी पढ़ें - मंदिर-सरकारी संपत्तियों के बाद वक्फ बोर्ड का ASI के 156 स्मारकों पर दावा, हुमायूं का मकबरा और कुतुब मीनार भी शामिल
दस्तावेजों को स्कैन और डिजिटलाइज करने के बाद लौटाने का प्रस्ताव
रिजवान कादरी ने लिखा, 'मेरा एकमात्र उद्देश्य महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू जी और सरदार (वल्लभभाई) पटेल का सच्चे वैज्ञानिक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में अध्ययन करना है. इस प्रयास में आपका सहयोग अमूल्य होगा. इन पत्रों को डिजिटलाइज करने के बाद लौटा भी दिया जाएगा.' उन्होंने लिखा कि मैं अपने दो योग्य सहयोगियों की सहायता से इन दस्तावेजों को स्कैन करने का प्रस्ताव करता हूं. इससे दस्तावेज पूरी तरह से सुरक्षित और संरक्षित रहेंगे.
ये भी पढ़ें - सेक्युलरिज्म यूरोपीय कॉन्सेप्ट है, भारतीय नहीं... तमिलनाडु के राज्यपाल का बड़ा बयान