सावधान ! खुद न कर देना Lockdown बढ़ने की घोषणा, कहीं पुलिस न कर दे जेल में 'Forward'
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सावधान ! खुद न कर देना Lockdown बढ़ने की घोषणा, कहीं पुलिस न कर दे जेल में 'Forward'

लॉकडाउन में सोशल मीडिया पर गलत सूचना पोस्ट व शेयर करने वालों की अब खैर नहीं.

सावधान ! खुद न कर देना Lockdown बढ़ने की घोषणा, कहीं पुलिस न कर दे जेल में 'Forward'

नई दिल्ली: सिक्के के दो पहलूओं की तरह एक तरफ जहां लॉकडाउन (Lockdown) के इस कठिन समय में सोशल मीडिया (Social Media) ने लोगों को जोड़े रखने का काम किया है, तो वहीं दूसरी और कुछ लोगों ने इसे अफवाहों (Fake News) का अड्डा बना दिया है. सरकार द्वारा समझाने की लाख कोशिशों के बाद भी कुछ लोग जाने-अंजाने गलत सूचना फैला रहे हैं. जिससे कई बार लोगों की धार्मिक भावना भी आहत हो जाती है. लेकिन किसी भी प्रकार की गलत सूचना सोशल मीडिया के जरिए फैलाने वालो की अब खैर नहीं होगी, क्योंकि अब प्रशासन ने इस पर लगाम लगाने के लिए प्लान तैयार कर लिया है.

  1. घर बैठे-बैठे सोशल मीडिया करवा सकता है जेल की सैर
  2. फोन पर मैसेज को आगे बढ़ाने से पहले अब सोचना जरूरी है
  3. फेक न्यूज फैलाने वालों पर पुलिस की 24 घंटे नजर

अब इस प्रकार की अफवाहों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने सीधा कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं. आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत झूठी खबरें फैलाना अब एक अपराध है. अगर आपने सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों के
जरिये आपत्तिजनक, भडकाऊ या समुदायों के बीच नफरत पैदा करने वाली पोस्ट या वीडियो या तस्वीर शेयर की तो आप मुश्किल में पड़ जायेंगे. जानकारों की मानें तो पुलिस 24 घंटे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सॉफ्टवेयर के जरिए नजर रख रही है. कोई भी शब्द, ऑर्डियो, फोटो या किसी भी प्रकार की गलत सूचना या अमानवीय वक्तव्य नजर आता है, तो उस पर तुरंत कार्रवाई के आदेश पारित हैं. 

अधिकारियों ने बताया कि आजकल लोग हॉटस्पॉट एरिया सील होने से लेकर शहर में कर्फ्यू लगने जैसे गलत सूचना सोशल मीडिया के जरिए वायरल कर देते हैं. जिन लोगों के पास ये मैसेज पहुंचता है वो लोग भी खबर की पुष्टि किए बिना मैसेज को आगे फॉरवर्ड और शेयर कर देते हैं. और देखते ही देखते ये अफवाह सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगती है. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि 24 मार्च को लागू हुए लॉकडाउन के समय भी ऐसी ही फेक न्यूज सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंची थी और ज्यादातर लोगों ने उसकी पड़ताल किए बिना ही आगे बड़ा दिया और नतीजा यह हुआ कि परचून, दवा और सब्जी की दुकानों पर भारी भीड़ जुट गई, लाखो मजदूर सड़कों पर आ गए. जिसके बाद  हालात संभालने के लिए जिला प्रशासन को आगे आना पड़ा.

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बताते चलें कि आईटी एक्ट की धारा 67 में कहा गया है कि अगर कोई पहली बार सोशल मीडिया पर ऐसा करने का दोषी पाया जाता है तो उसे 3 साल की जेल हो सकती है. साथ ही पांच लाख का जुर्माना भी देना पड़ सकता है. जबकि दूसरी बार दोषी पाए जाने पर 5 वर्ष तक की जेल और 10 लाख रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है.

गौरतलब है कि सरकार ने पहले ही एडवाइजरी जारी कर वाट्सएप ग्रुप के जरिए फेक न्यूज फैलने पर सीधा ग्रुप एडमिनिस्ट्रेटर पर कार्रवाई की बात कही है. सरकार ने साफ शब्दों में कहा है कि ऐसे संवाद, सामग्री, फोटो वीडियो या कोई अन्य ऐसी सामग्री जिससे समाज में धर्म, जाति, राष्ट्रीयता, भाषा या अन्य किसी आधार पर भेदभाव का बढ़ावा मिलता हो या जिससे लोक शांति, शिष्टता और नैतिकता प्रभावित करने वाले पोस्ट, शेयर, फॉरवर्ड ना करे !

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सुप्रीम कोर्ट का मीडिया को निर्देश
देश के उच्‍चतम न्‍यायालय ने प्रिंट, इलेक्‍ट्रॉनिक और सोशल मीडिया सहित मीडिया को जिम्‍मेदारी की प्रबल भावना बरकरार रखने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि ऐसे अप्रमाणित समाचारों का प्रसार न होने पाए, जिनसे दहशत फैल सकती हो. उच्‍चतम न्‍यायालय ने इस बात पर ध्‍यान दिया है कि शहरों में काम करने वाले कामगारों के बड़ी संख्‍या में प्रवासन का कारण एक फेक न्यूज ही थी. जिस कारण दहशत फैली थी कि लॉकडाउन तीन महीने से ज्‍यादा अवधि तक चलने वाला है. जिसे ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ इन धाराओं में कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं...

- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 54 के तहत 1 साल की सजा का प्रावधान.

- आईपीसी की धारा 188 में सरकारी नियमों का उल्लंघन करने पर सजा और जुर्माना.

- आईपीसी की धारा 269 के तहत उपेक्षा पूर्ण कार्य करना, जिससे कि कोई बीमार पड़ जाए, छह माह की सजा एवं जुर्माना.

- आईपीसी की धारा 270 में जानबूझकर ऐसा कृत्य करना, जिससे दूसरे को नुकसान पहुंचे, दो साल तक सजा व जुर्माना.

- आईपीसी की धारा 153 के तहत मतभेद फैलाना, एक साल तक की कैद और जुर्माना.

- आई टी एक्ट 2008 की धारा 66 ए के तहत संचार उपकरण से अप्रिय संदेश भेजने पर 3 साल तक सजा का प्रावधान है.

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