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नई दिल्ली: क्या आपने कभी गोबर से बनी चप्पलों (Dung Slippers) के बारे में सुना है. शायद आपको सुनकर अजीब सा लगे क्योंकि आज तक ऐसा कोई उत्पाद नहीं बना था, लेकिन देसी गाय के गोबर से बनी चप्पलों का निर्माण हो चुका है. देश में खासकर छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) में तो इनका बड़े पैमाने पर निर्माण हो रहा है. ये चप्पले खूबसूरत होने के साथ ट्रेंड (Trending Gobar Slippers) कर रही हैं. इनकी खासियत यह भी है कि करीब आधे घंटे तक पानी में होने के बावजूद ये खराब नहीं होती हैं.
गोबर की चप्पल बनाने वाले कुछ निर्माता पशुपालक हैं. इस काम में उन लोगों की खास मदद ली जाती है जिनके घरों में पशुधन है. इस प्रोडक्शन में जुड़े लोगों का मानना है कि देश में बड़ी संख्या में गोवंश प्लास्टिक (Bad Effects of Plastic) खाकर बीमार पड़ती हैं. इसके कारण उनमें से कई की मौत हो जाती है. ऐसे में हर व्यक्ति को कोशिश करके प्लास्टिक के उत्पादन को कम करने की कोशिश करनी चाहिए.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इकोफ्रेंडली होने के साथ-साथ इन खास स्लीपर्स के बारे में कहा जा रहा है कि यह चप्पलें कोई साधारण चप्पल नहीं बल्कि इसे पहनने वाले व्यक्ति को यह चप्पल कई बीमारियों से बचाती है.
ऐसे दावों से इतर किसानों को होने वाले फायदे की बात करें तो छत्तीसगढ़ की सरकार ने पिछले साल 2020 में गौधन न्याय योजना (Gaudhan Nyay Yojana) लॉन्च की थी. जिसके तहत राज्य सरकार किसानों से दो रुपये प्रति किलो गोबर खरीद रही है.
एक ओर तो सरकार से उन्हें हर महीने एक निश्चित धनराशि मिल जाती है वहीं गोबर के उत्पादों को बनाकर कई किसान परिवार खेती के अलावा एक अलग व्यवसाय चला रहे हैं. जिससे उन्हें दोहरा मुनाफा होता है.
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इन्हें बनाने वालों का कहना है कि लोगों में गोबर से बने उत्पादों के बारे में जागरूकता बढ़ने के साथ लोग उनके उत्पादों को पसंद भी कर रहे हैं. इन्हें पहनने से होने वाले फायदों को गिनाते हुए इनका निर्माण करने वालों ने इसकी कीमत की जानकारी भी साझा की है. ऐसी चप्पलों की एक जोड़ी चप्पल 300 से 400 रुपये तक है.
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि गौशालाओं की मदद से गौथन में तैयार किए जा रहे सभी विभिन्न गुणवत्ता वाले उत्पादों को मानकीकृत किया जाएगा और ई-कॉमर्स बाजार और ऑनलाइन शॉपिंग पर उनकी बिक्री शुरू कराने के लिए प्रयास किए जाएंगे. ये सारे प्रोडक्ट छत्तीसगढ़ के सी-मार्ट स्टोर्स पर एकल शाखा नाम के साथ उपलब्ध होंगे.
छत्तीसगढ़ के 7202 गौठानों में से, करीब 2000 ऐसे हैं जहां महिलाओं के बड़े समूह गोबर से बनने वाले उत्पादों के प्रोडक्शन में लगे हैं. जिनमें मूर्तियां, दिए और सजावट के कई सामान बनाए जा रहे हैं. जिससे स्थानीय महिलाओं को बहुत फायदा हो रहा है.