Lok Sabha Session: राहुल गांधी के दो घंटे के भाषण के बीच में पीएम मोदी की दो लाइनें ये बताती हैं कि उन्होंने नेता-प्रतिपक्ष को बड़े ध्यान से सुना है और बहुत ही गंभीरता से लिया है. अब अपने जवाब देने के समय का वो इंतजार कर रहे हैं और पूरा देश उनके भाषण का इंतजार कर रहा है.
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Rahul Gandhi Vs Narendra Modi: राहुल गांधी ने नेता-प्रतिपक्ष बनने के बाद पहली बार बोलते हुए सोमवार को लोकसभा में कई ऐसी बातें बोलीं जो सत्तापक्ष खासकर बीजेपी को नागवार गुजरी. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेने के दौरान राहुल गांधी के भाषण के दौरान काफी हंगामा भी हुआ. यहां तक कि खुद पीएम मोदी को दो बार अपनी सीट से उठकर जवाब देना पड़ा. गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह को भी बोलना पड़ा. हालांकि राहुल की स्पीच से कुछ इन विवादित हिस्सों को सदन की कार्यवाही से अब हटाने का आदेश दे दिया गया है लेकिन ये कहने में कोई गुरेज नहीं करना चाहिए कि राहुल गांधी ने विपक्ष के नेता के रूप में अपने पहले ही भाषण में बीजेपी के लिए संसद में तगड़ी चुनौती पेश की है.
पिछली लोकसभा में ये काम कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी करते थे लेकिन पहली बात तो ये कि उनके पास नेता प्रतिपक्ष का स्टे्टस नहीं था और दूसरी बात कि हालिया वर्षों में उनके हमले ऐसे नहीं देखे गए कि सत्ता पक्ष की तरफ से एक साथ कई मोर्चों पर जवाब देने के लिए आगे आना पड़े. इसके विपरीत सोशल मीडिया से लेकर चाय की दुकानों तक राहुल गांधी के भाषण की चर्चा हो रही है. उसमें कितना तथ्य, तर्क है उस पर यदि नहीं जाएं तो ये कहना पड़ेगा कि अबकी बार बीजेपी को विपक्ष की तरफ से कड़ी चुनौती मिलने वाली है. राहुल गांधी का भाषण उसी की बानगी है.
इससे पहले एनडीए सरकार के 10 वर्षों के संसदीय कार्यकाल को देखें तो ऐसे दुर्लभ मौके ही होंगे जब पीएम मोदी को किसी विपक्षी नेता के भाषण के दौरान उठकर हस्तक्षेप करना पड़ा हो. लेकिन कल दो बार पीएम मोदी को उठना पड़ा. दो केंद्रीय मंत्रियों को भाषण के बाद स्पीकर से अपनी आपत्ति जाहिर करनी पड़ी. उसके बाद संसद से लेकर सड़क तक सत्तापक्ष के लोग लगातार राहुल गांधी के भाषण की आलोचना कर रहे हैं.
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राहुल गांधी के बढ़े हुए आत्मविश्वास को इस संदर्भ में भी देखा जा सकता है कि 10 वर्षों में पहली बार बीजेपी को अपने दम पर स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है. कांग्रेस 52 सीटों से बढ़कर अपने दम पर तकरीबन 100 सीटों तक पहुंच गई है. उनके भाषण और बॉडी लैंग्वेज में ये भी भाषण के दौरान ये देखने को मिला. उनके भाषण के दौरान पहली बार भाजपा थोड़ी असहज दिखी. इसलिए सबकी निगाहें मंगलवार की शाम पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण पर टिक गई हैं.
संसद से लेकर सड़क तक यही चर्चा हो रही है कि आज देखना होगा कि पीएम मोदी नेता प्रतिपक्ष को क्या जवाब देते हैं. हिंदू-शिवजी-अयोध्या से लेकर अग्निवीर-नीट जैसे मसलों पर राहुल के उठाए गए सवालों पर पीएम मोदी क्या बोलेंगे, इस पर सबकी नजर होगी.
पीएम मोदी की वो दो लाइनें...
राहुल गांधी ने करीब दो घंटे भाषण दिया. उस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी लोकसभा में मौजूद रहे और पूरे भाषण को सुना. उन्होंने केवल दो बार हस्तक्षेप किया. पहली बार तब, जब राहुल गांधी ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि खुद को हिंदू कहने वाले हर समय 'हिंसा और नफरत फैलाने' में लगे हैं, जिस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने जोरदार तरीके से विरोध जताया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना बहुत गंभीर बात है. इस पर राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया में कहा कि वह भाजपा की बात कर रहे हैं और भाजपा, नरेंद्र मोदी या आरएसएस पूरा हिंदू समाज नहीं है.
दूसरी बार तब जब राहुल गांधी ने यह कहा कि विपक्ष के नेताओं को जेल डाला जा रहा है, हर तरफ भय का माहौल है. डर केवल देश में नहीं बल्कि भाजपा और सरकार में भी है. उन्होंने कहा कि सदन में जब प्रधानमंत्री होते हैं तो सभी मंत्री गंभीर मुद्रा में बैठते हैं, मुस्कराते नहीं हैं. इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कटाक्ष करते हुए कहा, 'लोकतंत्र और संविधान ने मुझे सिखाया है कि मुझे विपक्ष के नेता को गंभीरता से लेना चाहिए.'
यानी राहुल गांधी के दो घंटे के भाषण के बीच में पीएम मोदी की दो लाइनें ये बताती हैं कि उन्होंने नेता-प्रतिपक्ष को बड़े ध्यान से सुना है और बहुत ही गंभीरता से लिया है. अब अपने जवाब देने के समय का वो इंतजार कर रहे हैं और पूरा देश उनके भाषण का इंतजार कर रहा है. कहा जा रहा है कि सोमवार से राष्ट्रपति के अभिभाषण पर शुरू हुई चर्चा के मंगलवार शाम को समाप्त होने की संभावना है. उसके बाद पीएम मोदी जवाब देंगे.