संतरे की मिठास से छोटा नागपुर बना मांडलगढ़
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संतरे की मिठास से छोटा नागपुर बना मांडलगढ़

भीलवाड़ा जिले का मांडलगढ़ पहले खनन के लिए जाना जाता था . लेकिन अब यहां नारंगी की खेती की जा रही है. जिसके चलते अब ये इलाका देशभर में छोटा नागपुर के नाम से जाना जाने लगा है

मांडलगढ़ में नारंगी की बंपर पैदावार हो रही है

Bhilwara : भीलवाड़ा जिले का मांडलगढ़ पहले खनन के लिए जाना जाता था . लेकिन अब यहां नारंगी की खेती की जा रही है. जिसके चलते अब ये इलाका देशभर में छोटा नागपुर के नाम से जाना जाने लगा है. नागुपर की नारंगी की तरह मांडलगढ़ क्षेत्र की नारंगी भी काफी मिठास से भरी हैं. इसलिए हर दिन इसकी डिमांड बढ़ती जा रही है.

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मांडलगढ़ क्षेत्र में किसानों ने करीब 900 हेक्टेयर में नारंगी के बगीचे लगाए हैं. इन बगीचों में फल पकने के बाद पैकिंग करने के लिए लिए मंडी लगाई जाती है. अन्य राज्यों से आए फल व्यापारी बगीचों से नारंगी खरीद कर मंडी में लाते है और सफाई की जाती हैं. मशीनों और मजदूरों की मदद से छटनी कर नारंगी को लकड़ी के बक्से में पैक कर दिल्ली भेजा जाता है. दिल्ली की मंडी से नारंगी पूरे देश भर के साथ नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका भेजा जाता है.

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नारंगी व्यापारी ने बताया कि बगीचों से नारंगी 15 से 20 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से खरीदी जा रही है और मंडियों में पैकिंग कर बाहर भेजी जाती है. पिछले एक दशक में मांडलगढ़ क्षेत्र में नारंगी की बम्पर पैदावार हुई है  . इस वजह से देश भर में मांडलगढ़ क्षेत्र की पहचान बन गई है.

Report : Mohammad Khan

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