Asind: गरीबी की जिंदगी जीने को मोहताज नेत्रहीन परिवार, अब सरकारी मदद की आस
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Asind: गरीबी की जिंदगी जीने को मोहताज नेत्रहीन परिवार, अब सरकारी मदद की आस

लिरड़िया ग्राम पंचायत के दाता कला गांव में एक ऐसा परिवार है जिसमें परिवार के तीन सदस्य नेत्रहीन हैं और परिवार में कमाने वाला कोई नहीं है. 

जिंदगी जीने को मोहताज नेत्रहीन परिवार

Asind: जिले की मांडल विधानसभा के लिरडिया ग्राम पंचायत के एक नेत्रहीन परिवार को सरकार की किसी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. तंगहाली में जिंदगी बिता रहे परिवार को अब भामाशाहों और सरकारी अधिकारियों से मदद की उम्मीद है.

जानकारी के अनुसार भीलवाड़ा जिले के मांडल पंचायत समिति की लिरड़िया ग्राम पंचायत के दाता कला गांव में एक ऐसा परिवार है जिसमें परिवार के तीन सदस्य नेत्रहीन हैं और परिवार में कमाने वाला कोई नहीं है. मात्र सामाजिक सुरक्षा पेंशन से घर का गुजारा जैसे-तैसे चल रहा है. बच्चों की पढ़ाई भी अंधत्व के कारण नहीं हो पा रही है. लिरडिया ग्राम पंचायत के दाता कला गांव निवासी शांति देवी जाट शादी के बाद स्वस्थ थी. 

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शादी के बाद उसके के संतान हुई सांवरमल जाट जिसके बाद से शांति देवी के आंखों की रोशनी चली गई और वह अंधी हो गई. सांवरमल जाट का लालन-पालन उसके पिता औक दादी ने किया और उसे पढ़ाया सातवीं क्लास में सांवरमल जाट की शादी हो गई. सावर नोवी क्लास में पहुंचा ही था की उसकी भी आंखों की रोशनी चली गई और वह भी अंधा हो गया. बुजुर्ग पिता और दादी ने राजस्थान सहित आसपास के राज्यों में घूमकर सांवर की आंखों का इलाज कराया घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने पर कर्जा किया और इलाज में काफी पैसा लगाया पर कहीं उसका इलाज नहीं हो सका. जिससे आज भी सांवर जाट अंधे हैं. 

वहीं सांवरमल जाट के भी संतान हुई अशोक जाट वह भी जन्म से ही अंधा है. इसी तरह से परिवार में तीन लोग अंधे है. सांवरमल इकलौते कमाने वाला पुत्र है और ये भी अंधे हो गए जिससे परिवार में अब कमाने वाला कोई नहीं रहा. एक बुजुर्ग पिता है वह भी दिल के मरीज हैं और एक बुजुर्ग दादी है जो भी करीब 80 साल अधिक उम्र की हो चुकी हैं. सांवरमल के दो पुत्रियां भी हैं. सांवरमल और उनके परिवार का लालन-पालन सरकार द्वारा उनकी माता को मिल रही सामाजिक पेंसिल से हो रहा है. जैसे-तैसे से 1000 से 1500 रुपए में परिवार का खर्चा उठाते हैं. वहीं पुत्र और अन्य लोगों के इलाज के लिए काफी कर्जा ले रखा है. सरकार द्वारा दी जा रही सामाजिक सुरक्षा की पेंशन परिवार पर ऐसा साबित हो रही है जैसे ऊंट के मुंह में जीरा. वहीं सांवरमल का परिवार अब आर्थिक सहायता के इंतजार में है या सरकारी ऐसी कोई सहायता मिल सके जिससे अपने सभी बच्चों का लालन-पालन कर उन्हें अच्छी शिक्षा दिला सके.

Reporter: Mohammad Khan

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