पति की Corona से हुई मौत, प्रशासन ने सरकारी रिकॉर्ड में पत्नी को भी बता दिया मृत
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पति की Corona से हुई मौत, प्रशासन ने सरकारी रिकॉर्ड में पत्नी को भी बता दिया मृत

जिला प्रशासन की तरफ से ग्राम पंचायत वार विकास अधिकारियों से 11 मई को मांगी गई रिपोर्ट में पति खेमाराम के साथ उनकी पत्नी कांता की भी कोरोना से संक्रमित होने का हवाला देते हुए पति-पत्नी दोनों को ही एक ही दिन (11 मई) को मौत होना बता दिया. 

प्रतीकात्मक तस्वीर.

Nagaur: कोरोना (Corona) कई परिवारों पर कहर बन के टूटा है. महामारी के इस दौर में कई परिवार उजड़ गए हैं. कई बच्चे अनाथ हो गए हैं. इस बीच कोरोना के साथ-साथ सरकारी सिस्टम की मार भी सामने आ रही है. 

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जहां तक़रीबन 20 दिनों पहले नागौर (Nagaur) जिले के रोल कस्बे में एक व्यक्ति की कोरोना के चलते मौत हो गई थी. उसकी पत्नी सहित पूरा परिवार गमगीन है. इस बीच स्थानीय ग्राम पंचायत प्रशासन ने जिला प्रशासन को भेजी रिपोर्ट में युवक के साथ उसकी पत्नी को भी मृत बता दिया है.

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दरअसल, 11 मई को खेमाराम नाम के युवक की कोरोना के चलते मौत हो गई थी. मगर जिला प्रशासन की तरफ से ग्राम पंचायत वार विकास अधिकारियों से 11 मई को मांगी गई रिपोर्ट में पति खेमाराम के साथ उनकी पत्नी कांता की भी कोरोना से संक्रमित होने का हवाला देते हुए पति-पत्नी दोनों को ही एक ही दिन (11 मई) को मौत होना बता दिया. 

सरकार सहायता देना तो दूर, हमें कागजों में मार रही 
इसका खुलासा तब हुआ, जब कोरोना से अनाथ हुए बच्चों की जानकारी जुटाने ज़ी मीडिया की टीम खेमाराम के घर पहुंची तो मौके पर पत्नी कांता, 12 वर्षीय बेटी खुशबू और 8 वर्ष के बेटे सुरेश के साथ जिंदा मौजूद थी. पति के साथ मृतक सूची में उनका नाम होने की जानकारी जब ज़ी मीडिया की टीम से जब कांता को मिली तो उसने कहा- "हे राम.. मैं तो ज़िंदा हूं. पहले पति मर गया, अब मुझे भी मार दिया. अब घर में कोई कमाने वाला नहीं बचा है, सरकार सहायता देना तो दूर, हमें कागजों में मार रही है.

क्या कहना है महिला का
कांता ने बताया कि कोरोना ने उनके पति को छीन कर घर उजाड़ दिया है. घर में बुजुर्ग सास के साथ उनके नन्हे-मुन्ने दो बच्चे हैं. घर में उनके अलावा कमाने वाला कोई नहीं बचा है. उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. सरकार उनके परिवार सहायता करें. वहीं घर में उनकी बूढ़ी सास है, वह भी लंबे समय से बीमार हैं. उनके भी हर माह हजारों रुपयो की दवा का खर्च होता है. ऐसे में अब जीना भी मुश्किल हो गया है. 

बता दें कि रोल निवासी खेमाराम सरगरा मजदूरी कर घर चलाते थे, मगर कोरोना की चपेट में आने से वह जिंदगी की जंग हार गए. अब घर में उनकी पत्नी के अलावा कमाने वाला कोई नहीं बचा. 63 वर्षीय बुजुर्ग मां गीता जवान बेटे की मौत के गम को भुला नहीं पा रही है. 

प्रशासन केवल कागजों पर कर रहा कार्रवाई
प्रशासन की तरफ से 11 मई को जिले से मांगी रिपोर्ट में एकमात्र परिवार को ही ऐसा माना, जहां कोरोना से माता और पिता खोए. उसकी जब ज़ी मीडिया की टीम ने पड़ताल की तो उसमें मां जिंदा निकली. ऐसे में प्रशासन ने जिले में कहीं भी यह नहीं माना किसी परिवार में माता और पिता, यानी पति-पत्नी दोनों ही चल बसे हों और परिवार असहाय हो गया. जबकि हकीकत यह है कि जिले में कई ऐसे परिवार हैं, जिसने माता-पिता दोनों को छीन लिया है मगर विकास अधिकारियों द्वारा भिजवाई गई रिपोर्ट में इनका जिक्र कहीं भी नहीं है. ग्राउंड से जानकारी जुटाए बगैर केवल कागजी रिपोर्ट भिजवा कर इतिश्री कर ली गई.

 

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