Beawar: राजस्थान सरकार के राजस्व विभाग की और से 21 सितबंर को जारी परिपत्र में प्रजापति कुमहार समाज के नाम को कुमावत करने का प्रजापति समाज मगरा पट्टी जवाजा ने कड़ा विरोध किया है.
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Beawar: राजस्थान सरकार के राजस्व विभाग की और से 21 सितबंर को जारी परिपत्र में प्रजापति कुमहार समाज के नाम को कुमावत करने का प्रजापति समाज मगरा पट्टी जवाजा ने कड़ा विरोध किया है. उक्त परिपत्र की निंदा करते हुए प्रजापति समाज मगरा पट्टी जवाजा के पदाधिकारियों ने मंगलवार को सीएम के नाम एक ज्ञापन देकर इसे पूर्व भांति प्रजापति-कुमहार समाज ही रखे जाने की मांग की है.
पूर्व भांति प्रजापति-कुमहार समाज ही रखे जाने की मांग
ज्ञापन में इस प्रकरण में फुलेरा विधायक निर्मल कुमावत की भूमिाक बताते हुए समाज पदाधिकारियों ने उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त करने तथा उन्हें भारतीय जनता पार्टी से निष्कासित करते हुए आगामी विधानसभा चुनावों में उन्हें कहीं से भी टिकट नहीं देने की मांग की है. उपखंड अधिकारी के मार्फत दिए गए ज्ञापन में समाज पदाधिकारियों ने बताया कि यह ऐतिहासिक सत्य है कि हमारी मूल जाति प्रजापति-कुंभकार-कुमहार ही है एवं हम बिश्व के आदि वैज्ञानिक कलाकार है.
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो और विश्व की अन्य विभिन्न सभ्भयताओं की खोज में हमारी कला के मिले अवशेष और ऐतिहासिक तथ्य इसका पुख्ता सबूत है. कुमहार को आज भी प्रजापति नाम से ही सर्व समाज से जाना और पहचाना जाता.
कुमहार-कुंभकार और प्रजापति के नाम से समस्त भारत में जानी पहचानी जाति
मूल रूप से कुमहार-कुंभकार और प्रजापति के नाम से ही राजस्थान राज्य ही नहीं लगभग समस्त भारत में जानी पहचानी जाति है. अत: स्पष्ट है कि कुमावत नाम की कोई जाति राजपूताना स्टेट में नहीं थी. इन जनगणनाओं में हमारी जाति सर्व प्रचलित मूल नाम कुमम्हार ही अंकित है. हमारी जाति का मूल व्यवसाय मिट्टी के पात्र खिलाने मूर्तिया ई- बच्चे पर बनाने और खेती का रहा है. राजपुताना के पुराने और वर्तमान राजस्थान के साबित भू राजस्व रिकार्ड मे मात्र कुम्हार-प्रजापति का ही उल्लेख है. कुमावत शब्द का जाति के रूप में कही भी पुराने रिकार्ड अंकन मौजूद नहीं है.
कुमावत शब्द का अंकन नहीं
ज्ञापन में बताया कि प्रथम राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग यानि काका कालेकर आयोग की रिपोर्ट से भी कहीं भी कुमावत शब्द का अंकन नहीं है. मात्र कुमहार प्रजापति का ही अंग है. द्वितीय राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट में भी कुमावत शब्द का अंकन नहीं है.
ज्ञापन में बताया गया कि किसी काश्तकार के पूर्वजों ने पाली जा रही खातेदारी भूमि के रिकार्ड से जाति कुमहार दर्ज है तो उसके वारीसान की जाति कुमावत दर्ज किया जाना अवैधानिक है. यह कि फुलेरा के विधायक निर्मल कुमावत के दादाजी की खातेदारी की भूमि मे दर्ज जाति कुमहार के स्थान पर कुमावत किया जाना पूर्णत: अवैधानिक है क्योंकि कुमावत नाम की कोई जाति सन् 1956 तक अस्तित्व में ही नहीं थी.
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ये रहे मौजूद
ज्ञापन में विधायक निर्मल कुमावत के दबाव में राजस्व मंत्री द्वारा 21 सितबंर 2022 को जारी सर्रकुलर को तुरंत प्रभाव से विड्रो करने की मांग की है ताकि कुमहार जाति के अस्तित्व को बचाया जा सके. ज्ञापन देने वालों में प्रजापति समाज युवा मोर्चा अध्यक्ष प्रवीण कुमार, गोपाल, अशोक कुमार, मोहनलाल, राहुल, श्रवण, विनोद, सत्यानारायण, कन्हैयालाल, अनिल कुमार तथा संपतलाल प्रजापति सहित अन्य समाजबंधु शामिल थे.