अलवर: रेजिडेंट डॉक्टरों ने की पेन डाउन हड़ताल, मरीज हुए परेशान OPD में लगी लंबी लाइन
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अलवर: रेजिडेंट डॉक्टरों ने की पेन डाउन हड़ताल, मरीज हुए परेशान OPD में लगी लंबी लाइन

strike of resident doctors alwar: अलवर के राजीव गांधी अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर कई महीनों से वेतन न मिलने के कारण पेन डाउन हड़ताल पर चले गए हैं. ओपीडी(OPD) और इमरजेंसी सेवाओं में जूनियर डॉक्टरों ने अपनी सेवाएं देना बंद कर दी. जिसके कारण अस्पताल दिखाने आए मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा.

डॉक्टरों ने की पेन डाउन हड़ताल.

Pen down strike of resident doctors alwar: अलवर के राजीव गांधी अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर कई महीनों से वेतन न मिलने के कारण पेन डाउन हड़ताल पर चले गए हैं. बता दें कि अलवर के राजीव गांधी सामान्य चिकित्सालय में कार्यरत रेजिडेंट डॉक्टरों को 4 माह से स्थाई फंड नहीं मिला. वहीं फीस की जीएसटी रिटर्न नहीं मिलने पर डॉक्टरों ने हड़ताल पर जाने का मन बना लिया. जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के कारण अस्पताल का कार्य प्रभावित हुए.

वेतन नहीं मिलने के कारण पेन डाउन हड़ताल पर 

ओपीडी(OPD) और इमरजेंसी सेवाओं में जूनियर डॉक्टरों ने अपनी सेवाएं देना बंद कर दी. जिसके कारण अस्पताल दिखाने आए मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. डॉक्टर दीपक वर्मा ने बताया की सभी चिकित्सक राजीव गांधी सामान्य अस्पताल अलवर में NBE पोस्ट MBBS डिप्लोमा पाठ्यक्रम में द्वितीय वर्ष में अध्ययनरत है.सभी ने NBE नई दिल्ली के आदेश अनुसार प्रथम वर्ष में 1.47,500 रु वार्षिक फीस जमा करवाई थी. जिसमे 18% GST के अनुसार 22500/- GST के एवं 20,000रु आवासीय फीस RMRS खाते में जमा कराई थी.

मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा

दिल्ली हाईकोर्ट ने एवं 'निदेशक चिकित्सा राजमेस जयपुर ने सभी परिक्षणार्थियों के GST रिफंड आदेश दिए थे. इसके अलावा माह फ़रवरी से स्थाई फंड भी नहीं मिला है. कुछ लोग के बैंक के लोन चल रहे है. जिस पर पेनल्टी लग रही है. बच्चों की फीस, परिवार के लालन पोषण के लिए भी वेतन की जरुरत है. 4 माह से स्थाई फंड नहीं मिलने से घर का बजट भी बिगड़ गया है. इन मांगों को लेकर ध्यान आकर्षित करने व समय पर भुगतान करने की मांग को लेकर पेन डाउन हड़ताल की गई.

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 रेजिडेंट डॉक्टरों ने बताया कि वेतन ना मिलने के कारण घर का किराया, मासिक ऋण किस्त देने में मुश्किल हो रही है. और कम बैलेंस के कारण उनमें से कुछ को न केवल ब्याज का नुकसान हो रहा था बल्कि निगेटिव बैलेंस के लिए उन पर जुर्माना भी लगाया जा रहा है.

 

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