Alwar News: अलवर में समाज कल्याण विभाग ने किया पालनहार मैराथन का आयोजन. मैराथन को प्रताप ऑडिटोरियम से कैबिनेट मंत्री टीकाराम जूली और जिला कलेक्टर जितेंद्र कुमार सोनी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. कैबिनेट मंत्री टीकाराम जूली ने बताया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और यूनिसेफ राजस्थान की ओर से जिले में पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर इसे प्रारंभ किया गया है.
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Alwar News: अलवर में समाज कल्याण विभाग की ओर से पालनहार मैराथन का आयोजन किया गया. इस पालनहार मैराथन को प्रताप ऑडिटोरियम से कैबिनेट मंत्री टीकाराम जूली और जिला कलेक्टर जितेंद्र कुमार सोनी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. उसके बाद यह पालनहार मैराथन मोती डूंगरी होते हुए, वापस प्रताप ऑडिटोरियम पहुंची, जहां उसका समापन हुआ. इस पालनहार मैराथन में जिला स्तर के करीब 2000 बच्चों ने भाग लिया.
इस मौके पर कैबिनेट मंत्री टीकाराम जूली ने बताया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और यूनिसेफ राजस्थान की ओर से जिले में पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर प्रारंभ किए जाने वाले नवाचार सेव सेफ्टी अगेनस्ट वाईलेंस एंड एक्सप्लोई टेंशन ऑफ चिल्ड्रन के तहत प्रताप ऑडिटोरियम से पालनहार मैराथन आयोजित की गई है. उन्होंने बताया कि इस तरह की शुरुआत करने वाला राजस्थान पहला राज्य है. जिसकी शुरुआत अलवर से हुई है, जो भी पालनहार के बच्चे हैं वह इसमें छूटे नहीं इन बच्चों की एजुकेशन सहित अन्य संबंधित व्यवस्थाएं राज्य सरकार के द्वारा की जा रही है व आने वाले समय में इसका लाभ पूरे राजस्थान के लोगों को मिलेगा.
यूनिसेफ में विशेषज्ञ के रूप में कार्य करने वाले संजय कुमार ने बताया कि जागरूकता कैम्पेन के प्रोग्राम के अंतर्गत कैसे बच्चों को हिंसा, मारपीट, भेदभाव व मारपीट से दूर रखें साथ ही बच्चे अपराध की तरफ ना जाकर शिक्षा की ओर आगे बढ़े, उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए, बच्चों का लालन पालन बेहतर हो साथ ही जिन बच्चों ने कोरोनाकाल या फिर किसी कारण से अपने माता पिता को खोया हो या सिर्फ अपनी माताओं के साथ रहते हैं, उन्हें पालनहार योजना के तहत अधिक से अधिक जोड़ा जाए, जिससे बच्चे पालनहार योजना में शामिल हो.
इस दौरान यह भी ध्यान रखा जाए की बच्चों के साथ कैसा व्यवहार कर सके उनकी पढ़ाई लिखाई सहित बच्चे अपने जीवन मे कैसे आगे बढ़े, इसके लिए कैंपेन का आयोजन किया जा रहा है. राजस्थान में करीब 7 लाख बच्चे इस योजना के लाभार्थी हैं. ऐसे बच्चों के परिजनों के साथ पहली बार वार्तालाप होगा, जिससे उन्हें अच्छा पैरंट्स बनने की जानकारी व बच्चों को कैसे बेहतर अवसर मिले इसकी जानकारी दी जाएगी, जिससे वह बच्चा अपने जीवन में बेहतर कर आगे बढ़ सके. वैसे तो यह पायलट प्रोजेक्ट 2005 में शुरू हो गया था. लेकिन इस प्रोजेक्ट को अब आगे गति दी जा रही है.
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