क्रिकेटर शेफाली वर्मा राजस्थान के बहरोड़ पहुंच किया कुलदेवी माता का दर्शन, बोली- बाहर रहकर भी पूजा करना नहीं छोड़ा
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क्रिकेटर शेफाली वर्मा राजस्थान के बहरोड़ पहुंच किया कुलदेवी माता का दर्शन, बोली- बाहर रहकर भी पूजा करना नहीं छोड़ा

Cricketer Shefali Verma reached Behror : हरोड़ मे आज टी-20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मे भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे कम उम्र की क्रिकेटर शेफाली वर्मा परिवार के साथ बहरोड़ पहुंची. उन्होंने गांव दहमी स्थित अपनी कुल देवी मनसा माता के दरबार में मत्था टेक मन्नत मांगी. 

क्रिकेटर शेफाली वर्मा राजस्थान के बहरोड़ पहुंच किया कुलदेवी माता का दर्शन, बोली- बाहर रहकर भी पूजा करना नहीं छोड़ा

Cricketer Shefali Verma reached Behror Rajasthan : बहरोड़ मे आज टी-20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मे भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे कम उम्र की क्रिकेटर शेफाली वर्मा परिवार के साथ बहरोड़ पहुंची. उन्होंने गांव दहमी स्थित अपनी कुल देवी मनसा माता के दरबार में मत्था टेक मन्नत मांगी. शेफाली अपने माता-पिता, व भाई-बहन और दादा सहित परिवार के अन्य 30-40 सदस्यों के साथ पहुंची.

यहां उन्होंने मनसा माता के दरबार में जागरण किया और प्रसादी चढ़कर भंडारा शुरू किया. महिला क्रिकेटर शैफाली वर्मा ने कहा कि वे अपनी कुल देवी मनसा माता के दरबार में आती रहती है. यहां उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. उन्होंने देश की लड़कियों को संदेश दिया कि वे चाहे किसी भी स्पोर्ट में जाएं, वे मन लगाकर खेलें, उन्होंने सफलता मिलेगी.

शेफाली से भविष्य को लेकर किए गए सवाल के जवाब में कहा कि 10-20 साल जब तक खेल पाऊंगी लगातार क्रिकेट खेलती रहूंगी. जब शेफाली से पूंछा गया कि आपने सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड को तोड़ चुके ओर अब कौन सा रिकॉर्ड तोड़कर अपने नाम करना चाहते हैं.

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उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. वे सचिन तेंदुलकर को अपना आदर्श मानती हैं. साथ ही परिवार के लोगों ने भंडारा किया. माता के मंदिर पर करीब 7 घण्टे ठहरने के बाद 4 वाहनों में सवार होकर रोहतक (हरियाणा) के लिए निकल गईं. मंदिर पुजारी भोनेश शर्मा ने बताया कि शेफाली एक- दो महीने में कुल देवी के यहां आती-रहती हैं.

राजस्थान का है ये परिवार

शेफाली के पिता संजीव वर्मा ने बताया कि उनका पुश्तेनी गांव खैरथल जिले की मुंडावर तहसील का जालावास गांव है. उनके परदादा सोहनलाल सोनी यहां रहते थे। उनका देहांत हो गया तो, परदादी अपने पीहर रोहतक (हरियाणा) जिले के गांव बणियानी चली गई. यहीं उनके दादा प्रभातीराम सोनी का जन्म हुआ. उसके बाद उनका पैतृक गांव में आना जाना रहा. उनकी परदादी कुल देवी के बताया करती थी, भले ही वे यहां से चले गए लेकिन उन्होंने कुल देवी की पूजा करना कभी नहीं छोड़ा.

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