बानसूर में सरकारी स्कूल ने वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से बढ़ाई स्कूल की हरियाली
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बानसूर में सरकारी स्कूल ने वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से बढ़ाई स्कूल की हरियाली

अलवर के बानसूर में चूला गांव के सरकारी स्कूल में पेड़-पौधों के रख रखाव के लिए बरसात के पानी का इस्तेमाल कर, स्कूल को हरा भरा बनाया जा रहा है. इतना ही नहीं भूजल बढ़ाने में वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी लगाया है. साथ ही बच्चों को पानी बचाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है .

बालिकाओं के लिए कस्तूरबा गार्डन

Bansur: अलवर के बानसूर में चूला गांव के सरकारी स्कूल में पेड़-पौधों के रख रखाव के लिए बरसात के पानी का इस्तेमाल कर, स्कूल को हरा भरा बनाया जा रहा है. इतना ही नहीं भूजल बढ़ाने में वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी लगाया है. साथ ही बच्चों को पानी बचाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है .

हार्वेस्ट सिस्टम को स्कूल प्रबंधन ने क्रियाशील बनाया हुआ है. जिसकी बदौलत स्कूल में सैकड़ों पेड़-पौधे और हरी घास का लॉन भी लगाया गया है. वैसे तो स्कूल में पानी का दूसरा स्रोत भी है, लेकिन दूसरे स्रोत में बिजली नहीं आने या मोटर खराब हो जाने की स्थिति में वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम हमेशा मददगार साबित होता है. थोड़ी सी भी बरसात होने पर पूरे स्कूल के कमरों की छतों का पानी 25 हजार लीटर के दो वॉटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर में आकर जमा हो जाता है. जो कि पेड़ पौधों के लिए बहुत दिनों तक काम आता है.

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इस तकनीक से स्कूल ने अपने पूरे इलाके को हरा-भरा किया हुआ है. और बालिकाओं के लिए कस्तूरबा गार्डन लगा रखा है. स्काउट और गाइड के विद्यार्थी पेड़ पौधों का रखरखाव करते हैं . उनमें पानी देते रहते हैं. जिससे स्कूल परिसर हरा भरा और जीवन्त बना रहता है. इस कार्य में समस्त विद्यार्थी और स्टाफ सदस्य अपना भरपूर सहयोग प्रदान करते हैं.  विद्यालय के प्रधानाचार्य मेहताब सिंह चौधरी ने बताया की बरसात के पानी को संगृहीत कर उसे पेड़-पौधों के लिए आपातकाल में इस्तेमाल करने से स्कूल का वातावरण देखने लायक हो गया है. 

बरसात का पानी देने से पेड़-पौधों में अलग से खाद भी नहीं डालना पड़ता है. जिसके कारण पेड़-पौधे बहुत ज्यादा पुष्पित और पलवित होते हैं. बाहर से देखने पर स्कूल एक उपवन की तरह लगता है और राहगीरों और ग्रामीणों को अपनी ओर आकर्षित करता है. समय-समय पर आने वाले जनप्रतिनिधि और अधिकारी भी स्कूल परिवेश की तारीफ करते हैं. 

 

 

 

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