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Rajasthan Election 2023: विधानसभा चुनाव के रण की तस्वीर साफ हो गई हैं. राज्य की 200 सीटों पर इस बार 1875 उम्मीदवार मैदान में है. लेकिन इस रण की तस्वीर साफ होने से पहले महिला शक्ति की गूंज संसद से सड़क तक सुनाई पड़ी थी. लेकिन टिकट देते समय फिर वही ढाक के तीन पात कहावत चरितार्थ हुई. महिला कोटा अभी लागू नहीं हुआ है पर, किसी दल ने स्वत: प्रेरित होकर 33% टिकट देना जरूरी नहीं समझा. इस हकीकत के बीच जहां जिन्हें मौका मिला, उन्होंने अपना दम-खम लगा रखा है. इस बार इन विधानसभा चुनावों में 183 महिला उम्मीदवार भी मैदान में, जो कुल उम्मीदवारों का 9.76 फीसदी है.
राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ने वालों की तस्वीर अब साफ हो गई है. राज्य की 200 सीटों पर इस बार 1875 उम्मीदवार मैदान में है. जिनमें पुरुष प्रत्याशी 1692 और महिला प्रत्याशियों की संख्या 183 हैं. जिनका फैसला 25 नवंबर को 5 करोड़ 29 लाख 31 हजार 152 मतदाता करेंगे. इन विधानसभा चुनावों में 183 महिला उम्मीदवार भी मैदान में, जो कुल उम्मीदवारों का 9.76 फीसदी है. हालांकि 2028 की तुलना में इस बार विधानसभा चुनाव में 419 प्रत्याशी कम हैं. राजस्थान में इस बार चुनाव बड़ा दिलचस्प है. इस बार किसी भी विधानसभा में 18 से ज्यादा उम्मीदवार नहीं है. 200 में से 86 सीटे ऐसी है जहां 10 या उससे ज्यादा उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे है. जबकि शेष 114 सीटों पर उम्मीवारों की संख्या सिंगल डिजिट में है. राज्य में इस बार सबसे ज्यादा प्रत्याशी जयपुर की झोटवाडा विधानसभा में 18 और सबसे कम प्रयाशी दौसा जिले की लालसोट सीट पर है, जहां केवल 3 प्रत्याशी ही मैदान में है.
इस बीच महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के मामले में दोनों ही पार्टियां कुछ खास कदम नहीं उठा पाई है. राजस्थान में 200 सीटों में भाजपा ने महज 20 सीट पर महिला प्रत्याशी उतारे हैं तो कांग्रेस ने 28 सीट पर महिला प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे हैं. जयपुर की बात करें तो 19 विधानसभा सीट पर कुल 199 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. जिनमें से 178 पुरूष और 21 महिला प्रत्याशी हैं. जयपुर में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने सिर्फ 4 सीटों पर महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा हैं. भाजपा ने सिर्फ एक सीट विद्याधर नगर पर दीया कुमारी को महिला प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारा हैं. वहीं कांग्रेस ने जयपुर में बगरू से गंगादेवी, मालवीय नगर से अर्चना शर्मा और चौमूं से डॉक्टर शिखा मील बराला को चुनावी मैदान में हैं. जबकि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान लागू करने के लिए भले ही विधेयक को मंजूरी मिल गई हो. लेकिन धरातल पर इसे लागू करने में अभी वक्त लगेगा. महिलाओं को आधी दुनिया का दर्जा दिया गया है. नारी शक्ति वंदन जैसे कई कार्यक्रम चलाए गए हैं. लेकिन धरातल पर इसका असर नजर नहीं आता.
राजस्थान में वोटर्स के लिहाज से सबसे बड़ी विधानसभा जयपुर जिले की झोटवाड़ा है, जहां 4 लाख से ज्यादा वोटर्स है. इस बार यही से सबसे ज्यादा 18 उम्मीदवार मैदान में है. .यहां से कांग्रेस-बीजेपी के अलावा 16 अन्य सदस्य है जो दूसरी क्षेत्रिय पार्टियों या निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे है. इसके अलावा 27 सीटे ऐसी है जहां 10-10 उम्मीदवार, 15 सीटे पर 11-11 उम्मीदवार, 18 सीटों पर 12-12 उम्मीदवार, 8 सीटों पर 13-13 और 8 सीटों पर 14-14 उम्मीदवार है. इनके अलावा 2 सीटों ऐसी है 15-15 उम्मीदवार, 6 सीटों पर 16-16 उम्मीदवार और 2 पर 17-17 उम्मीदवार चुनावी मैदान में है. राजस्थान की 200 सीटों में से 7 सीटे ऐसी है. सबसे ज्यादा महिला उम्मीदवार है. इसमें किशनगंज, बीकानेर ईस्ट, जोधपुर, हिंडौन, जायल, सोजत और सवाई माधोपुर ऐसी सीटें है जहां से 4-4 महिला प्रत्याशी मैदान में है. जबकि बयाना, अजमेर नॉर्थ, सादुलपुर, महुवा, सिकराय, धौलपुर, अनूपगढ़, विद्याधर नगर, सिविल लाईन्स और बगरू ऐसी सीट है जहां से 3-3 महिला प्रत्याशी मैदान में है. उधर 200 में से 9 विधानसभा झोटवाड़ा में, पुष्कर में 17 और राजगढ़-लक्ष्मणगढ़, रामगढ, नदबई, गंगानगर, सांगानेर, गंगापुरसिटी और सीकर में 15 से ज्यादा प्रत्याशी होने के कारण में मतदान दिवस के दिन पोलिंग बूथ पर दो बैलेट यूनिट लगेगी. वही 191 विधानसभा क्षेत्रों में 15 से कम प्रत्याशी होने के कारण पोलिंग बूथ पर एक-एक EVM लगेगी.
बहरहाल, महिला वोटर्स को अपने पक्ष में करने और उनको वोट मांगने के लिए फील्ड में उतारने में दोनों ही प्रमुख पार्टियां पीछे नहीं रहती. लेकिन चुनावी मैदान में उनको उतारना हो तो कदम ठिठक जाते हैं. शायद महिला प्रत्याशियों को जीताऊ केंडिडेट नहीं मानते. कुछ महिला नेता यदि फील्ड में एक्टिव भी हैं तो उनके पीछे उनकी राजनीतिक धुरी रखने वाले परिवार के लोग भी हैं. कई महिलाएं अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को भी आगे बढ़ा रही हैं.
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