राजस्थान बाल आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल सोमवार रात बांसवाड़ा सर्किट हाउस पहुंची. बेनीवाल का स्वागत बाल संरक्षण समिति के अध्यक्ष दिलीप रोकड़िया सहित सभी सदस्यों ने किया. इस दौरान बेनीवाल के साथ आयोग की सदस्य सचिव निर्मला मीणा और आयोग के अधिकारी पवन पूनिया भी पहुंचे.
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Banswara: राजस्थान बाल आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल अपने दो दिवसीय दौरे पर सोमवार रात बांसवाड़ा पहुंची. बेनीवाल का सर्किट हाउस में बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने स्वागत किया. आज बेनीवाल मां त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में पूजा-अर्चना करेगी, वहीं, सर्किट हाउस में बाल संरक्षण समिति के सदस्य अध्यक्षों के साथ मीटिंग करेंगी.
राजस्थान बाल आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल सोमवार रात बांसवाड़ा सर्किट हाउस पहुंची. बेनीवाल का स्वागत बाल संरक्षण समिति के अध्यक्ष दिलीप रोकड़िया सहित सभी सदस्यों ने किया. इस दौरान बेनीवाल के साथ आयोग की सदस्य सचिव निर्मला मीणा और आयोग के अधिकारी पवन पूनिया भी पहुंचे.
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बच्चों की स्थिति को लेकर जानकारी ली जानकारी
रात को सर्किट हाउस में बांसवाड़ा बाल आयोग के अध्यक्ष से मौजूदा हालात और बांसवाड़ा में बच्चों की स्थिति को लेकर जानकारी ली. रात को हुई चर्चा में बाल श्रम पर बात की गई, जिसमें बताया गया कि उदयपुर संभाग में सबसे ज्यादा चिंता का विषय यह है कि बाल श्रम, बाल तस्करी और अन्य राज्यों में यहां से बच्चे और बच्चियों का जाना बहुत बड़ी चुनौती है, उसको रोकने के लिए हम बहुत जल्द मीटिंग लेकर यहां बाल श्रम को रोकने का काम करेंगे.
क्या बोली राजस्थान बाल आयोग अध्यक्ष
राजस्थान बाल आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने बताया कि उदयपुर संभाग में सबसे ज्यादा चिंता का विषय यह है कि सबसे ज्यादा बाल श्रम, बाल तस्करी और अन्य राज्यों में बच्चे और बच्चियों का जाना, यह एक बहुत बड़ी चुनौती है. इस बाल श्रम को रोकने के लिए हम संभाग के बाल आयोग के सभी सदस्य और अध्यक्ष के साथ बैठकर मीटिंग करेंगे. किस तरह से इसको रोका जाए, यहां कपास की खेती हो आलू की खेती के लिए यहां के बच्चों को अन्य राज्यों में ले जाया जाता है. इसको रोकने के लिए हम हर संभव कार्य करेंगे और हमारे यहां के बच्चे बाल श्रम में नहीं जाकर शिक्षा से जुड़े इस को लेकर कार्य करेंगे. वहीं, हमारे इस कार्यकाल में हमने बच्चों को गुड टच बैड टच की भी जानकारी दी.
बाल श्रम मुक्त राजस्थान की पहल पर हुआ काम
बाल श्रम मुक्त राजस्थान की हमने पहल की और साथ ही बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की हमने मुहिम चलाई. इस 3 वर्षीय कार्यकाल में अक्सर देखते है कि सरकार के द्वारा बहुत सारी घोषणा की जाती है परंतु धरातल पर मूल रूप नहीं दिया जाता है. कई ग्रामीण क्षेत्र और ढाणियों में योजनाओं की जानकारी तक नहीं होती. उसके लिए हम बाल आयोग बच्चे के जन्म से लेकर 18 वर्ष तक होने का एक पेंपलेट तैयार कर रहे हैं, जो प्रत्येक घर घर में जाकर पहुंचाने का काम बालक आयोग करेगा और वहां पर पहुंचकर बच्चों के परिजनों से पूछेगा कि उनको योजनाओं का लाभ मिल रहा है कि नहीं मिल रहा है.
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Reporter- Ajay Ojha