Barmer news: सोशल मीडिया ने ढांचे तोड़, साहित्य के नए स्वरूप को दिया जन्म - डॉ दुलाराम
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Barmer news: सोशल मीडिया ने ढांचे तोड़, साहित्य के नए स्वरूप को दिया जन्म - डॉ दुलाराम

Barmer news: राजकीय पीजी कॉलेज में सोशल मीडिया के दौर में साहित्य पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें राजस्थान साहित्य अकाडमी उदयपुर के अध्यक्ष डॉ दुलाराम ने कहा कि सोशल मीडिया ने ढांचे तोड़, साहित्य के नए स्वरूप को दिया जन्म. 

Barmer news: सोशल मीडिया ने ढांचे तोड़, साहित्य के नए स्वरूप को दिया जन्म - डॉ दुलाराम

Barmer news: बाड़मेर जिला मुख्यालय स्थित राजकीय पीजी कॉलेज में सोशल मीडिया के दौर में साहित्य पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें राजस्थान साहित्य अकाडमी उदयपुर के अध्यक्ष डॉ दुलाराम ने शिरकत की. सोशल मीडिया ने ढांचे को तोड़कर साहित्य के नए स्वरूप को दिया जन्म है. तकनीक का सकारात्मक दृष्टिकोण से दिल खोलकर स्वागत करना होगा. सोशल मीडिया ने साहित्य के मठो को ध्वस्त कर गांव ढाणी तक पहुंचाया. यह विचार राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ दुलाराम सहारण ने राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर और उजास संस्थान के द्वारा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में सोशल मीडिया के दौर में साहित्य विषय पर आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी में रखे. 

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उन्होंने कहाकि सोशल मीडिया साहित्यकारों को मंच देता है और पाठकों की रुचि का आभास व अहसास करवाता है. कार्यक्रम संयोजक डॉ आदर्श किशोर ने बताया कि इस संगोष्ठी में मयंक कुमार शर्मा ने मनोवैज्ञानिक और प्रशांत जोशी ने तकनीकी पक्ष पर पत्र वाचन किया. वरिष्ठ साहित्यकार डॉ बंशीधर तातेड ने बाड़मेर की परम्परा में साहित्य विषय को स्पष्ट करते हुए कहा कि यहां हिम्मत और साहस का साहित्य लिखा गया है. मुख्य वक्ता वरिष्ठ कथाकार किशोर चौधरी ने कहा कि इस नए दौर में युवा लेखकों को सोशल मीडिया ने एक नया प्लेटफार्म दिया जिसकी वजह से भाषा जीवंत रूप में आई और नए नए विषयों को अपनाया. 

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प्राचार्य मनोहर लाल गर्ग ने अतिथियों का स्वागत कियाऔर हिंदी विभागाध्यक्ष सोहनराज परमार ने आभार व्यक्त किया . कार्यक्रम में कार्यक्रम में डॉ राम कुमार जोशी, राजेंद्र कड़वासरा, रिसोर्स पर्सन नरपत परमार, एडवोकेट गोपाल कोटेचा डॉ रामसेवर, महेश कुमार जानी, कैलाश वांभू, व्याख्याता ठाकराराम, उजास के सचिव सद्दाम हुसैन, डॉ जोरावर सिंह, मुकेश जी जैन, संतोष गढ़वीर, संतोष सहारण, जयप्रकाश जानी जय प्रकाश, डा बी एल धनदे , जगदीश वांभू, भूराराम प्रजापत, भास्कर गोविंद मैत्रय, लुंबाराम, प्रो केसाराम, डा अशोक गाडी सहित शहर के साहित्य प्रेमी, प्रबुद्ध नागरिक, शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित रहे.

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