मुख्य बाजार गोर का चौक में एवं विभिन्न आसपास के छोटे-बड़े कस्बों में महिलाओं द्वारा फाग गीतों के साथ राजस्थानी संस्कृति की छटा बिखेरी हुई है.
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Siwana: बाड़मेर में गुरुवार शाम परंपरागत तरीके से शुभ मुहूर्त में रात्रि 9:20 पर पुलिस थाने के आगे होलिका दहन के बाद होली के त्योहार की शुरुआत हुई. जहां महिलाओं ने फाग गीत गा कर एवं युवाओं की टोलियों ने एक दूसरे को गुलाल लगाते हुए फाग गीतों के साथ एक दूसरे को बधाई दी. सुबह होते ही नन्हे मुन्ने बच्चे घरों से बाहर निकले.
बच्चों ने रंग भरी पिचकारियों की बौछारें एक दूसरे पर की. होलिका दहन के दूसरे दिन ब्राह्मण श्रीमाली समाज की होली होती है. दूसरे दिन पूरा गांव होली खेलता है. इसी परंपरा के तहत ब्राह्मण समाज की ओर से महिलाओं द्वारा समाज भवन में एकत्र होकर एक दूसरे के साथ होली खेलने की परंपरा है. वहीं महिलाओं द्वारा विभिन्न देवी देवताओं के भजन कीर्तन किए जाते हैं. समाज के युवाओं की टोली सुबह घर से निकलती है और समाज बंधुओं को होली की बधाई देते हुए गुलाल से एक दूसरे को रंगीन करती है. इसके बाद कृष्ण भक्ति के साथ विभिन्न देवी देवताओं की होली के फाग गीत गाते हुए इलोजी महाराज के जाकर मंत्र उच्चारण के बाद पुनः घर लौटती है. मान्यता है कि इलोजी महाराज के प्राइवेट पार्ट में रंग लगाकर उसके पानी को कुंवारों पर छिड़कने से विवाह के योग जल्दी बन जाते हैं.
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शाम के समय 5:00 बजे महालक्ष्मी मंदिर से मां लक्ष्मी माता की पूजा अर्चना के बाद ब्राह्मण समाज की टोली गली मोहल्लों से गुजरती हुई भजनों से होली के फाग गीत गाते हुए,बच्चों को ढूंढने की परंपरा निभाती है. इसके बाद महालक्ष्मी मंदिर पहुंचती है.जहां मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. इसके बाद समाज भवन में एकत्रित होकर गोचा गोठ के आयोजन कर सामाजिक मुद्दों को लेकर चर्चा की जाती है. प्रत्येक घर से सदस्यों के हिसाब से रसोई की सामग्री ली जाती है और फिर दाल बाटी के साथ एक ही पंगत में बैठकर महालक्ष्मी की प्रसादी ग्रहण की जाती है. सदियों से चली आ रही परंपरा को आज भी उसी तरीके से मनाया जाता है.
वहीं, मुख्य बाजार गोर का चौक में एवं विभिन्न आसपास के छोटे-बड़े कस्बों में महिलाओं द्वारा फाग गीतों के साथ राजस्थानी संस्कृति की छटा बिखेरी हुई है. गैर दलों द्वारा विभिन्न प्रकार की प्रस्तुतियां दी जाती हैं. इसी के साथ ही विभिन्न प्रकार के मेलों का आयोजन किया जाता है. जिससे आपसी भाईचारे का संदेश देखने को नजर आता है. विश्व विख्यात लाखेटा गैर मेला,खण्डप शीतला सप्तमी,सहित विभन मेलों की शरूआत होती है. होली दूसरे दिन से डीजे की धुन पर गांव के मौजूद लोग एवं ग्रामीणों द्वारा होली खेली जाती है. जो डीजे की धुन पर नाचते गाते हुए एक दूसरे को कलर गुलाल लगाते हैं.
Report- Bhupesh Acharya