Asind News: भीलवाड़ा जिले से महज 70 किलोमीटर और आसींद से महज 16 किलोमीटर दूर स्थित बदनोर गांव के अमजद खान ने वेस्ट मटेरियल लकड़ी और कागज के गत्ते से कई तरह के इतिहासिक 3D मॉडल बनाकर तैयार किए हैं.
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Asind, Bhilwara: भीलवाड़ा जिले से महज 70 किलोमीटर और आसींद से महज 16 किलोमीटर दूर स्थित बदनोर गांव के अमजद खान ने वेस्ट मटेरियल लकड़ी और कागज के गत्ते से कई तरह के इतिहासिक 3D मॉडल बनाकर तैयार किए हैं. ऐसा ही कमाल 25 दिन की मेहनत से आज अमजद खान ने बदनोर के हूबहू ऐतिहासिक 7 मंजिला महल का 3D मॉडल बनाकर तैयार किया है. इस मॉडल को बनाने में अमजद को 25 दिन लगे अमजद ने बताया की वह 2006 से 2014 तक एक विद्यार्थी मित्र ( सविंदा शिक्षक ) थे. 2014 से बेरोजगारी की मार झेल रहे अमजद ने अपनी कला के हुनर को आगे बढ़ाया वैसे अमजद बचपन से ही कला में रुचि रखते थे. क्यों की अमजद के दादा जी खाजू खां जो रियासत काल में एक राजघराने के मिस्त्री थे.
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ठिकाना के वक्त बदनोर महल मे भी खाजू खा ने काम किया था और जोधपुर उम्मेद भवन में भी उन्होंने काम किया था. बदनोर अक्षय सागर तालाब मे राजाओं की छतरियों का काम भी अमजद के दादा खाजू खां द्वारा किया गया हैं. उनको बारीक नक्काशी मे महारत हासिल हुई थी. अमजद का बचपन से एक ख्वाब था की हमेशा भीड़ मे से अलग दिखना और अलग पहचान बनाना इसलिए अमजद ने अपनी कला को अलग पहचान के लिए ऐतिहासिक धरोहरों को चुना जो अपना धरोहर आज के समय में अपना वजूद खोती जा रही है.
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उनको अपने हुनर के जरिये उनके मिनी 3D मॉडल बनाने के जुनून को एक नया मोड़ दिया है. एक नई सोच के साथ अमजद पुराने ऐतिहासिक महल, किले, भवन के 3D मॉडल लकड़ी, कार्ड बोर्ड, और वेस्ट मेटेरियल से बनाना शुरू किया. अमजद ने जोधपुर का घण्टाघर, चित्तौड़गढ़ स्थित रानी पद्मावती महल,महाराणा प्रताप सिंह जी की छतरी, उनके घोड़े चेतक की छतरी, राजसमन्द स्थित नो चौकी की छतरी,अजमेर शरीफ गरीब नवाज की दरगाह, कुंभलगढ़ महल जैसे महल किलो के मॉडल बनाए और अब अमजद पूरी लगन और मेहनत से बदनोर महल का 3D मॉडल कार्ड बोर्ड और लकड़ी से हूबहु बनाया जो एक बेहद चुनोती पूर्ण था.
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25 दिन की मेहनत में रोजाना 8 घंटे इस 3D मॉडल के काम में लगाते थे. अरावली पहाड़ी पर स्थित बदनोर महल 7 मंजिला महल है. इस महल में एक चारभुजा नाथ का मंदिर भी स्थित हैं. एक शिलालेख से ज्ञात होता है की इस किले का निर्माण 1584 मे राजा महाराजाओं द्वारा किया गया था, हम्मीर रासो मे भी बदनोर की जानकारी मिलती हैं.
अमजद खान का इस महल को बनाने का मुख्य लक्ष्य यह रहा की सरकार को इस ऐतिहासिक धरोहर को संज्ञान मे लाया जाए अगर इस को पुनः तेयार किया जाए तो ये राजस्थान की एक ऐतिहासिक शान बन सकता है. अमजद अपनी कला से 3 फीट चौडा और 4 फीट लम्बा इस महल को इस तरह तैयार किया. जो पुराने समय में बदनोर ठिकाने के दौर की स्तिथि में था. अभी तक अमजद की आर्ट को प्लेटफॉर्म नहीं मिल पाया. इस लिए सरकार से अमजद ने जी राजस्थान की खबर के माध्यम से अपील की है कि उसकी कला को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन किया जाए.
वह अपनी कला को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाना चाहता है. सरकार से एक ग्रामीण कलाकार की यही उम्मीद होती है की उसकी इस कला को प्रोत्साहन के साथ साथ और बेहतर करने के लिए मौका दिया जाए. अमजद के पिता फकरुद्दीन रिटायर्ड अध्यापक हैं. और पत्नी साहिना बानू ग्रहणी हैं. अमजद को परिवार 3D मॉडल बनाने में बहुत सपोर्ट करता है. खान को इस मुकाम तक पहुंचाने में परिवार और दोस्त हमेशा उत्साहित किया करते हैं. ताकि अमजद का हुनर और निखरता रहे. उसकी ही बदौलत से आज वह कई तरह के मॉडल बनाकर तैयार कर चुके हैं. अब अमजद खान ने राज्य सरकार से अपील की है कि उनकी कलाओं को निखारा जाए. ताकि उनका मनोबल बढ़े और इसी तरह की ऐतिहासिक धरोहरों का मॉडल बनाकर कुछ अलग कर दिखाएं.
Reporter- Dilshad Khan