Bikaner News: पर्यावरण को लेकर सोलर प्लांट खतरनाक, जीव रक्षा विश्नोई सभा ने उठाए गंभीर सवाल
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Bikaner News: पर्यावरण को लेकर सोलर प्लांट खतरनाक, जीव रक्षा विश्नोई सभा ने उठाए गंभीर सवाल

पश्चिमी रेगिस्तान के कई जिलों को सोलर हब बनाने की कवायद कई सालों से की जा रही है लेकिन इन सबके बीच अब तक बने प्लांट पर कई गम्भीर सवाल खड़े हो गए है.

सोलर प्लांट खतरनाक

Bikaner: पश्चिमी रेगिस्तान के कई जिलों को सोलर हब बनाने की कवायद कई सालों से की जा रही है लेकिन इन सबके बीच अब तक बने प्लांट पर कई गम्भीर सवाल खड़े हो गए है, जहां बड़ी-बड़ी कंपनिया इस इलाके में सोलर प्लांट लगाने आई लेकिन उन्होंने रेगिस्तान के एनवायरमेंट पर सीधा-सीधा असर डाला है, ऐसा कहना है जीव रक्षा विश्नोई सभा का. 

अखिल भारतीय जीव रक्षा विश्नोई सभा ने आरोप लगाते हुए पूरे सिस्टम को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है और सीधे-सीधे ही कह दिया है कि सोलर प्लांट लगने से पहले किसी भी कम्पनी और सरकार में बैठे अधिकारियों ने ईआईए ( एनवायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट ) करवाया ही नहीं जिसके चलते इलाके में कई पेड़ काटे गए और साथ ही नैचुरल हेबिटेट में रहने वाले जीव जंतुओं की मौत भी इसी के चलते हुए जिसके चलते रेगिस्तान का प्राकृतिक एनवायरमेंट डिसबेलेंस हो गया है. इस सब को ध्यान में रखते हुए जीव रक्षा के पदाधिकारी शिवराज बिशनोई ने बीकानेर के डीएफओ को एक पत्र सौंपा है और इस पर एक्शन लेने की बात कही है.

प्रवक्ता शिवराज विश्नोई का कहना है कि पश्चिमी राजस्थान जोधपुर, बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर और चूरू में सोलर पावर प्लांट के कार्य शुरू करने से पहले राज्य सरकार द्वारा एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट ( E I A) नहीं करवाया गया और संबंधित विभागों को भी कंपनियों को लाभ पहुंचाने की नीयत से राजनीतिक रूप से दबाया गया. इसका परिणाम इन क्षेत्रों की मरुस्थलीय वन संपदा वन्य जीव रेप्टाइल और पक्षियों को भारी नुकसान पहुंचा है. 

इस बिगड़ी हुई जैव विविधता के कारण भारी प्राकृतिक आपदा वह विभिन्न प्रकार की बीमारियों के प्रकोप बढ़ने की पूरी संभावना है. जैव विविधता राजस्थान राज्य बोर्ड द्वारा पश्चिमी राजस्थान को इस आपदा से बचाने के लिए क्या-क्या प्रयास किए आपके जिलों के नोडल अधिकारी और ग्राम समितियों के रजिस्टर में दर्ज जैव विविधता के जीवों और वन संपदा का विवरण के अनुसार कार्रवाई करने की जरूरत है.

जीव रक्षा विश्नोई सभा ने कई बिंदुओ पर किए है सवाल खड़े 
1. इसमें सामान्यतः वन संपदा खेजड़ी रोहिडा केर कोमठा जाल खीप फोग आदि मरुस्थलीय किस में है.
2. वन्य जीवों में गोडावण, काला हिरण चिंकारा, लोमड़ी, सियार, जंगली बिल्ली सहित वन्य जीव है, जो वन अधिनियम 1972 के अनुसार श्रेणी फर्स्ट के वन्य जीव है. 
3. पक्षियों में मुख्यतः गिद्ध विभिन्न प्रकार की चिड़िया है जो किसान मित्र कीट पतंगे वह विदेशी पक्षियों का भी आश्रय स्थल है. 
4. रेप्टाइल जो वन अधिनियम की विशेष श्रेणी के रेप्टाइल इस मरुस्थल में पाए जाते हैं सभी सरीसृप की श्रेणियां सहकारी छिपकली वह विभिन्न प्रकार की रेप्टाइल प्रजातियां इस पूरे भू-भाग में पाई जाती है ऐसे में राज्य सरकारों द्वारा सोलर पावर प्लांट लगने से पहले इस क्षेत्र की जैव विविधता का सर्वे वह एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट जैसे महत्वपूर्ण निर्णय को अनदेखा करके कंपनियों को फायदा पहुंचाने की नीयत से अधीनस्थ अधिकारी वह विभागों को राजनीतिक प्रभाव से डरा धमका कर इतना भारी नुकसान, इस पश्चिमी राजस्थान में सोलर पावर कंपनियों के स्थापित होने में की है जिसकी भरपाई पश्चिमी राजस्थान आगामी 100 वर्षों में नहीं कर पाएगा.

सोलर पावर कंपनियों ने लाखों बीघा जमीनों में अपडेट सोलर पावर प्लांट स्थापित करने के लिए उस जमीन की खुदाई की है, जिसमें रेप्टाइल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है और उसके बाद सबसे बड़ा नुकसान वन्य जीव जो उस क्षेत्र के पार्टिकुलर एरिया में निवास करते थे उनके नेचुरल हैबिटेट को खत्म कर दिया गया. रेप्टाइल्स के नेचुरल हैबिटेट को खत्म कर दिया गया.

विभागों के वन विभाग और वन्य जीव विभागों को जय विविधता बोर्ड को अनदेखा करने के दबाव में विभागों ने अपनी वन संपदा पर ध्यान नहीं दिया और भारी संख्या में उनकी मौत हो गई. वन्य जीव जनगणना 2018-2019, 2020 और 2021 के आंकड़ों का मिलान करें तो 60 पर्सेंट वन संपदा और वन्यजीवों का नुकसान इन सोलर कंपनियों की वजह से पश्चिमी राजस्थान में हो चुका है. वहीं वन विभाग के डीएफओ रंगा स्वामी ने बताया कि ऐसा मामला हमारे सामने आया है जिसको लेकर जीव रक्षा संस्था ने एक पत्र सौंपा है जिसको लेकर जांच की जाएगी.

Report: Raunak Vyas

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