ऑस्ट्रेलिया की 13 वीं ब्रिगेड ओर भारत की डोगरा रेजिमेंट के सैनिकों ने इसमें हिस्सा लिया. वहीं युद्धाभ्यास के दौरान राजस्थान के महाजन फिल्ड फायरिंग रेंज में दोनों देशों के जांबाज सैनिकों ने आतंकवाद से निबटने के युद्ध कौशल का बेहतरीन प्रदर्शन किया.
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Austra Hind 22 | Indo Australian war exercise: पूरी दुनिया मे आतंकवाद के बढते कदमो को रोकने के लिए भारत-ऑस्ट्रेलिया की सेना के जवान महाजन फिल्ड फायरिंग रेंज में संयुक्त युद्धाभ्यास किया. जहां पिछले 12 दिन तक चले इस साझा युद्धाभ्यास में भारी संख्या में जवानों ने हिस्सा लिया. जहां ऑस्ट्रेलिया की 13 वीं ब्रिगेड ओर भारत की डोगरा रेजिमेंट के सैनिकों ने इसमें हिस्सा लिया. वहीं युद्धाभ्यास के दौरान राजस्थान के महाजन फिल्ड फायरिंग रेंज में दोनों देशों के जांबाज सैनिकों ने आतंकवाद से निबटने के युद्ध कौशल का बेहतरीन प्रदर्शन किया और आतंकवादियों को उनके ठीकनों पर चुन- चुन कर मार गिराया. सेना के हेलिकॉप्टर से आसमान से उतरे जबाजों ने रेत के समंदर में उतरकर आतंकियों के ठिकानों पर हमला बोला.
भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से दूर रेतीले धोरों के बीच भारतीय ओर ऑस्ट्रेलिया की सेना के जवान दिन -रात लगातार पिछले 12 दिनों तक दुश्मनों के ठिकानों पर कब्जा करने की रणनीति का अभ्यास किया. जहां देश के सबसे बड़े महाजन के फील्ड फायरिंग रेंज में सेना के इस युद्धाभ्यास को “ ऑस्ट्रा हिन्द–22'''' युद्धाभ्यास” नाम दिया गया. जिसमे सेना के सैंकड़ों जवानों ने ऑस्ट्रेलियाई सेना के साथ संयुक्त भाग लिया. जिसके तहत सेना की प्रहार क्षमता का प्रदर्शन किया गया.
ऑपरेशन ऑस्ट्रा हिन्द–22 के तहत दोनों देशों के जवानों ने काल्पनिक गांव में साझा युद्धाभ्यास करते हुए अत्याधुनिक तकनीक का बेहतरीन इस्तेमाल किया और ग्रामीणों को आतंकवादियों के चंगुल से मुक्त करवाया. इस ऑपरेशन के दौरान दोनों देशों की सेनाओं ने अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए आतंकवादियों को मार गिराया. करीब डेढ़ घंटे तक चले युद्धाभ्यास के इस डेमोस्ट्रेशन ने दोनों देशों की सेनाओं ने एक दूसरे के साथ बेहतरीन तालमेल दिखाते हुए कामयाबी हासिल की.
बीकानेर के महाजन फिल्ड फायरिंग रेंज में यूं तो पहले भी कई बार सेना की तोप और बंदूकें गरज चुकी है लेकिन पिछले 12 दिनो से यहां चल रहा युद्दभ्यास कई मायनों में खास हैं. खास इसलिए की यहां ना केवल सेना के जवान अपनी युद्ध कला को निखार रहे हैं बल्कि आतंकवाद जैसे क्षेत्र वाले माहौल में कई बख्तरबंद वाहनों, तोपों और सैनिकों को उच्च स्तरीय ऑपरेशन सिखाया जा रहा गया. जोश, साहस से लैस ये जवान आधुनिक हथियारों से यहां युद्धाभ्यास कर सामूहिक ताकत को दिखाने की कोशिश की. दिन के साथ खराब रौशनी के साथ मौसम के हर मशक्कत में भी यह अभ्यास कर दुश्मन को अपनी ताकत के वाकिफ कराया गया. ताकि यह सन्देश दिया जा सके की यदि दुश्मन ने हिन्दुस्तान की सीमा की ओर आंख उठाकर भी देखने की कोशिश की तो किस तरह हमारे जाबांज उसकी आंख ही निकाल लेने की ताकत रखते हैं.
इस अभियान में सेना की उस क्षमताओं को परखना गया, जिसमें सेना की मदद से ''पहले हमला करने और फिर निरंतरता बनाए रखने'' की अत्यंत आक्रामक कौशल शामिल है. इसमें सेना के जवानों का खास बेड़ा भी शामिल थे ताकि जरुरत पड़ने पर सेना के तीनों अंगों के सैनिक साथ मिलकर अपने ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दे सके. इसके लिए एक काल्पनिक गांव युद्द क्षेत्र बनाया गया जहां पूरे ऑपेरशन को अंजाम दिया गया.
युद्धाभ्यास का मकसद सक्रिय युद्ध रणनीति के तहत पूरी ताकत से पाकिस्तान से लगती सीमा पर परंपरागत हमला करने के कौशल को और निखारना है. ताकि युद्ध की स्थिति में दुश्मनों के छक्के छूट जाएं. खास तौर पर उन्हें इसमें शामिल किया गया जो की आगे रहकर युद्ध को किसी अंजाम तक पहुंचाने का रास्ता बनाते हैं. वहीं भारतीय थल सेना द्वारा समय समय पर विभिन्न स्तरों पर इस तरह के युद्धाभ्यास का आयोजन किया जाता रहता है. ऐसे आयोजनों से यह सुनिश्चित किया जाता है कि लड़ाई में ऐसी स्थिति प्रदान की जाये ताकि सेना लड़ाई के लिए सदैव तैयार रहें.
इस श्रंखला का ये अपने आप में प्रथम अभ्यास है जहां ऑस्ट्रेलिया की 13 वीं ब्रिगेड और भारत की डोगरा रेजिमेंट के सैनिकों ने इसमें हिस्सा लिया. वहीं उम्मीद तो यही की जा सकती है की कभी आतंकवादी हमला ही ना हो. लेकिन कभी इसकी नौबत आई तो हर परिस्थिति में भारत के जवान मुंह तोड़ जवाब देने में सक्षम हैं. ये इस युद्धाभ्यास ने साफ कर दिया हैं.
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इस संस्करण का ये पहला युद्धाभ्यास हैं. ये अभ्यास युनाइटेड स्टेट मेंडेट के तहत सेमी डेज़र्ट में काउंटर टेरेरियम ऑपरेशन को अंजाम देना हैं. वहीं साथ ही दोनों सेना के जवान इस ऑपरेशन को अंजाम दे रहे हैं जिसमें राइफल , रोकेट लॉन्चर , बाईनाकूलर सहित कई आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल इस अभ्यास में किया गया.
12 दिनों के संयुक्त अभ्यास से दोनों सेनाओं को एक दूसरे को बेहतर तरीके से जानने, अपने परिचालन अनुभव साझा करने और सुचना विनिमय के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने में मदद मिलेगी, यह हमें संयुक्त राष्ट्र के तहत आतंकवादी खतरे का मुकाबला करने के लिए पलटन स्तर पर संयुक्त अभ्यान चलाने में मदद करेगा.
Reporter-Raunak Vyas