Agricultural News: बीकानेर के स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में एग्रोनेट हाउस में ऑफ सीजन में खीरा उत्पादन को लेकर शोध कार्य चल रहा है. इसे देखने के लिए कृषि विश्वविद्यालय में आने वाले किसानों को अवसर प्राप्त है. कोई भी जागरूक कृषक कृषि विश्वविद्यालय में आकर एग्रोनेट हाउस में खीरे की खेती को देख सकता है.
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Agricultural News: बीकानेर के स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में एग्रोनेट हाउस में ऑफ सीजन में खीरा उत्पादन को लेकर शोध कार्य चल रहा है. कुलपति डॉ अरुण कुमार ने इस शोध के प्रारंभिक परिणामों की प्रशंसा की. उन्होंने बताया कि खीरे का उत्पादन एग्रोनेट हाउस में बीजारोपण के एक महीने बाद ही शुरू हो गया है. इसे देखने के लिए कृषि विश्वविद्यालय में आने वाले किसानों को अवसर प्राप्त है. कोई भी जागरूक कृषक कृषि विश्वविद्यालय में आकर एग्रोनेट हाउस में खीरे की खेती को देख सकता है. साथ ही कहा कि पश्चिमी राजस्थान में कम समय और कम लागत में अधिक उत्पादन व अधिक लाभ के लिए शेडनेट हाउस में संरक्षित खेती सर्वोत्तम विकल्प है.
हॉर्टिकल्चर विभाग के अध्यक्ष डॉ पी के यादव ने बताया कि ऑफ सीजन में खीरे का उत्पादन पॉलीहाउस और शेडनेट हाउस में किया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि मई और जून महीने में अधिक तापमान के कारण पॉलीहाउस में कुछ दिक्कतें आ सकती हैं, लेकिन ऐसे में एग्रोनेट हाउस में तापमान कम होने से और आर्द्रता बनी रहने से खीरे की बूंद-बूंद सिंचाई के जरिए अच्छी फसल ली जा सकती है.
शोध विद्यार्थी पवन कुमार के नेतृत्व में यह शोध कार्य किया जा रहा है. उन्होंने खीरे में स्प्रे के जरिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटेशियम न्यूट्रिशन देने के परिणामों पर शोध किया है. इसके साथ ही यह भी अध्ययन किया जा रहा है कि शेडनेट हाउस में संरक्षित खेती के ज़रिए कितना लाभ कमाया जा सकता है. इसको लेकर विश्वविद्यालय परिसर में ही 15 बाई 30 मीटर के शेडनेट हाउस में बिना बीज वाले खीरे की वैरायटी के पौधे लगाए गए हैं. एक महीने बाद ही खीरे का उत्पादन शुरू हो चुका है. एक दिन छोड़कर एक दिन करीब 40-70 किलो खीरे का उत्पादन हो रहा है जो अगले तीन महीनों तक लगातार जारी रहेगा.
स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में खीरे पर चल रहे शोध कार्य के सकारात्मक परिणामों ने उन आम किसानों को बड़ा फ़ायदा हो सकता है जो ऑफ सीजन में कम लागत में खीरे का उत्पादन शेडनेट के जरिए करना चाहते हैं. पॉली हाउस के मुकाबले कम लागत और बहुत ही कम मेंटेनेंस के चलते आने वाले समय में शेडनेट हाउस के जरिए खीरा उत्पादन की ओर किसानों का रुझान बढ़ सकता है