बूंदी: इस दुर्लभ स्टोन वर्कशॉप में पत्थर से जीवंत शिल्प को उकेरा गया, जानिए और क्या है खास
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बूंदी: इस दुर्लभ स्टोन वर्कशॉप में पत्थर से जीवंत शिल्प को उकेरा गया, जानिए और क्या है खास

बूंदी न्यूज:कमलेशवर महादेव मंदिर के दायीं ओर कार्यशाला मौजूद है. इस दुर्लभ स्टोन वर्कशॉप में पत्थर से जीवंत शिल्प को उकेरा गया.यहां अधगढ़ प्रतिमा और सलीके से काटे गये पत्थर हैं.

 

बूंदी: इस दुर्लभ स्टोन वर्कशॉप में पत्थर से जीवंत शिल्प को उकेरा गया, जानिए और क्या है खास

Keshoraipatan, Bundi: किसी प्राचीन मंदिर के शिल्प को देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं लेकिन उस भव्य निर्माण के पीछे की कहानी को लोग कम ही समझ पाते है कि यह भव्य शिल्प कला का मंदिर कैसे बना होगा.ऐसे ही एक प्राचीन स्थान बूंदी जिले के कमलेशवर महादेव मंदिर के पास पहाड़ी पर स्थित है. जहां देश की जीवंत स्टोन वर्क शॉप मौजूद है.

इस स्टोन वर्कशाप में ही प्रसिद्ध कमलेशवर महादेव मंदिर के अद्भुत शिल्प को पत्थरों पर उकेरा गया था. इसे लाइव इसलिए कहा जा सकता है कि आज भी यहां पत्थरों को सलीके से निकालकर उनको शिल्प मे गढ़ा गया था. यहां आज भी अधगढ़ प्रतिमाएं इधर उधर बिखरी पड़ी है. स्टोन वर्क शॉप को देखते ही लोग अचंभित हो जाते है.

यहां बड़े बड़े शिला खंड पर दो से तीन इंच तक चौड़े छैनी से कटाई के निशान मौजूद है. स्टोन वर्क शॉप का स्थान इससे प्रमाणित होता है कि यहां आज भी बरसात के दिनों में लोहे से मिली मिट्टी काफी मात्रा मे गोली के रूप में मिलती है. इस स्टोन वर्क शॉप के पास प्राचीन बस्तियों के निशान मिलते हैं जिससे प्रमाणित होता है कि यहां मजदूरों की एक पूरी कॉलोनी रही होगी. यहां रणथंभौर के शासक हमीर के काल के सिक्के सहित अन्य तरह के सिक्के मिल चुके हैं.

पुरातत्व विभाग कर चुका है विजिट

कमलेशवर महादेव की स्टोन वर्कशॉप को उजागर बूंदी के पूरा अन्वेषक ओमप्रकाश कुककी ने किया था. उनकी इस खोज के बाद दिल्ली से पुरातत्व विभाग के डिप्टी सुपरीडेंट नयन चक्रवती ने इसको देखने के बाद कहा था कि यह देश भर में दुर्लभ है और यह स्टोन वर्कशॉप देश की दूसरी ऐसी वर्कशॉप है जो लाइव है जहां आज भी प्रतिमाओं को बनाने के सभी प्रमाण मौजूद है.

क्या होती है स्टोन वर्कशॉप

स्टोन वर्कशॉप उस स्थान को कहा जाता है जहां किसी मंदिर और प्राचीन स्मारक को बनाने के लिए प्रतिमाओं का निर्माण किया गया था. अमुमन प्राचीन समय में प्रतिमाओं को बनाने के लिए ऐसे स्थान का चयन किया जाता है जहां पत्थर आसानी से उपलब्ध हो सके. यही कारण है कि कमलेशवर महादेव मंदिर के पास की पहाड़ी को शिल्प तैयार करने के लिए चुना गया.यह स्थान बूंदी के लाखेरी उपखंड मे स्थित है और जिला मुख्यालय से 80 किमी दूर स्थित है.

बेजोड़ शिल्प का उदाहरण है कमलेशवर महादेव मंदिर

हाड़ौती का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल कमलेशवर महादेव मंदिर धार्मिक आस्था के साथ अपने अद्भुत शिल्प के लिए भी प्रसिद्ध है. मंदिर पर उकेरी गयी प्रतिमाओं के शिल्प को देखकर भक्त मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.मंदिर का शिल्प देखकर कहा जा सकता है कि यह अपने समय मे कितना भव्य रहा होगा.मंदिर का निर्माण नौवीं शताब्दी मे माना जाता है.यहां एक शिलालेख पर रणथंभौर के शासक जेत्र सिंह का जिक्र है जिसने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था.यहां इधर उधर काफी संख्या मे प्रतिमाएं बिखरी पड़ी है.

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