Chittorgarh News: चित्तौड़गढ़ में 80 वर्षीय एक बुजुर्ग की मौत हुई तो बेटे की जगह तीन बेटियों ने न केवल बेटे का धर्म निभाते हुए पिता की अर्थी को कांधा दिया बल्कि मुक्तिधाम में पिता को मुखाग्नि भी दी. ऐसा नहीं है कि बुजुर्ग के कोई पुत्र संतान नहीं है. बताया जाता है कि 20 साल पहले पुत्र का विवाह हुआ तब से वो माता-पिता को छोड़ कर कोटा में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रह रहा है.
चित्तौड़गढ़ की आशापुरा कॉलोनी निवासी भोपालसिंह अपनी तीन बेटियों और एक बेटे पर एक समान ही प्यार लुटाते थे लेकिन जीवन के आखिरी पड़ाव में दम टूटा तो पास में ना बेटियां थी, ना बेटा. मृतक भोपाल सिंह की बड़ी बेटी चन्द्र कंवर बताती है कि उसका भाई शादी के बाद मां-बाप से इतना दूर हुआ कि तीन साल पहले कोरोना काल में मां सज्जन कंवर की मौत हुई. तब भी भाई ने कोटा से चित्तौड़गढ़ आकर अपनी मरी मां की शक्ल देखने की जहमत नहीं उठाई. बस सोशल मीडिया पर शोक संदेश भेज कर मां के दुनियां छोड़कर जाने का खेद प्रकट कर की इतिश्री कर ली.
भोपाल सिंह की तीनों बेटियों की शादी हो चुकी थी लेकिन भाई के पिता से मुनहरिफ़ होने के बाद वे ही पिता को अधिकतर अपने पास रख उनका ख़्याल रखा करती थी. पिता कभी बेटियों के पास उनके ससुराल, तो कभी खुद के घर रहा करते थे. बेटे और बेटियों से एक समान प्यार लुटाने वाले बुजुर्ग भोपाल सिंह को अपने बेटे से दूरी और पत्नी के छोड़ कर जाने की पीड़ा हर पल सताती थी.
बुधवार शाम से भोपाल सिंह अपने घर से बाहर नहीं निकले तो गुरुवार सुबह पड़ोसियों ने इसकी सूचना उनकी बेटियों को दी. बेटियां घर पहुंची तो बुजुर्ग पिता का अंदर से दरवाजा बंद था. पड़ोसियों की सहायता से दरवाजा तोड़ कर देखा तो वे दुनिया छोड़ कर जा चुके थे. बेटियों ने मृत पिता को जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां पोस्टमार्टम करवाने के दौरान उनका भाई मोर्चरी के बाहर आकर पिता के शव को साथ ले जाने की बात को लेकर बहनों से उलझ पड़ा.
चूंकि बेटा पिछले 20 सालों से मां-बाप से अलग रह रहा था. मां की मौत के बाद से बेटियां ही पिता की सेवा कर रही थी. ऐसे में पिता के अंतिम संस्कार करने की जिद को लेकर भाई और बहनों के बीच हुए विवाद में रिश्तेदारों और परिवार के लोगों ने बहनों का साथ दिया और बेटा पिता के शव को मोर्चरी में छोड़कर कोटा निकल गया.
इसके बाद बेटियां बुजुर्ग पिता के शव को घर ले आई और न वरन अर्थी को कांधा दिया, बल्कि मुक्तिधाम जाकर पिता को मुखाग्नि के रूप में अंतिम विदाई भी दी. पिता के विरह में आंखों से बहती अश्रुधारा लिए बेटे का फर्ज निभाती बेटियों को देख अड़ोसियो पड़ोसियों का दिल भी पसीज गया और उनकी हृदय की पीड़ा आंखों से आंसु बनकर आंखों से बह निकली.
Reporter- Om Prakash
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