सर्प काटने का पूरा घटना क्रम सीसीटीवी कैमरें में कैद हुआ. विनोद तिवाड़ी को सांप पकड़ने में महारत हासिल थी. एक साथ पांच-पांच ब्लैक कोबरा जैसे जहरीले सांपों को इन्होंने काबू किया था. सांप, गोह, गोहिरे को मारने नहीं देते थे. बल्कि इन्हें बचाने के लिए स्वयं पहुंच जाते थे
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Sardarshahr: सरदारशहर के सर्पमित्र विनोद तिवाड़ी सांपों को पकड़ कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ने का कार्य लगभग बीस वर्षों से कर रहे थे. एक कोबरा को पकड़ने के बाद कोबरा ने सर्प मित्र विनोद तिवारी की अंगुली पर काट लिया था, जिससे मौके पर ही विनोद तिवाड़ी का निधन हो गया. मंगलवार को उनकी अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग पहुंचे और सर्प मित्र विनोद तिवारी के निधन पर शोक प्रकट किया.
सर्प काटने का पूरा घटना क्रम सीसीटीवी कैमरें में कैद हुआ. विनोद तिवाड़ी को सांप पकड़ने में महारत हासिल थी. एक साथ पांच-पांच ब्लैक कोबरा जैसे जहरीले सांपों को इन्होंने काबू किया था. सांप, गोह, गोहिरे को मारने नहीं देते थे. बल्कि इन्हें बचाने के लिए स्वयं पहुंच जाते थे, आसानी से इन जानवारों को पकड़कर जंगल में रेस्क्यू कर देते थे. विनोद तिवाड़ी जीवीएम संस्थान में नौकरी करते थे. जब भी कहीं से सर्प निकलने की सूचना मिलती तो तत्काल वहां पहुंचते थे और उसे कुशलता के साथ काबु कर के थैले में डालकर जंगल में छोड़ देते थे.
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इस दौरान विनोद तिवाड़ी पानी तक नहीं पीते थे, इसका कारण यह था कि जिस जानवर को पकड़ा है उसे बिना देरी किए छोड़ना है, स्वयं पानी नहीं पिएंगे तो उसकी पीड़ा का अंदाजा रहेगा. घायल सांपों का उपचार भी करते थे, कई दिनों तक खुले में अपने घर पर रखते थे और मरहम पटी किया करते थे. कई दफा इनकों सांप काट भी चुके थे मगर हर सांप जहरीला नहीं होता. इनका मानना था कि सांप स्वत किसी को नहीं काटते, बल्कि अपने आप को व्यक्ति विशेष से खतरा महसूर होने पर अपनी जीवन रक्षा के लिए काटते हैं. क्या पता था कि विनोद तिवाड़ी जिस मुहिम में लगे है उसी मुहिम में जीना और मरना होगा.
विनोद तिवाड़ी शनिवार को श्रीराम मंदिर के पास रखे कचरा पात्र के नीचे सांप होने की सूचना मिलने पर उसे पकड़ने गए थे, सहजता से उसे काबू कर लिया था. इस दौरान काले सांप को थैले में डालने के दौरान हाथ की अंगुली पर कोबरा सांप ने काट लिया.
पता चलने के बाद विनोद तिवाड़ी थैले को ठीक के बंद किया और फिर अंगुली को चूस कर विष बाहर निकलने का प्रयास करते हैं. पास ही लोक देवता महाराज की गोगामेड़ी पर जाते हैं और वहां मथा टेकते हैं, उस दौरान उनका जी घबराने लगता है, पास ही स्थिति नागरिक उन्हे सम्भालते हैं तो अंतिम शब्द उनके यह हाते हैं कि आज जच गया लगता है, इसी के साथ जमीन पर गिरने लगते हैं. पास खड़े नागरिक उन्हे सम्भालते हैं मगर कोई फायदा नहीं होता. सूचना मिलने पर पास ही स्थित विनोद तिवाड़ी के घर से उनका पुत्र एवं धर्मपत्नी आते है, इस दौरान ऑटों से अस्पताल भी ले जाया जाता है मगर तब तक विनोद तिवाड़ी दम तोड़ चुके होते हैं.
रविवार को उनके निज निवास से उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई. कच्चा बस स्टैण्ड मुक्तिधाम में विनोद तिवाड़ी का शरीर पंचतत्व में विलीन किया गया. सैकड़ों की तादाद में गणमान्य नागरिक विनोद तिवाड़ी को अंतिम विदाई देने पहुंचे.
Reporter- Gopal Kanwar
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