राजस्थान के दौसा पशुपालन विभाग के अनुसार जिले में अब तक करीब दस हजार के पार लम्पी स्किन डिजीज से ग्रसित पशु चिन्हित किये गए हैं.
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Dausa: राजस्थान में इन दिनों लम्पी स्किन डिजीज का कहर चरम पर है. दौसा में भी लम्पी स्किन डिजीज कहर बरपा रही है. दौसा पशुपालन विभाग के अनुसार जिले में अब तक करीब दस हजार के पार लम्पी स्किन डिजीज से ग्रसित पशु चिन्हित किये गए हैं, जिनमें से डेढ़ हजार से अधिक पशु तो रिकवर हो चुके हैं, तो वहीं जिलेभर में 264 गायों की मौत भी हो चुकी है. जिले में शुरुआती दौर में लम्पी का असर कम था लेकिन अब प्रतिदिन एक से डेढ़ हजार लम्पी संक्रमित पशु मिल रहें हैं, जिनकी रिकवरी के लिए पशु चिकित्सा विभाग की टीम प्रयासरत है. हालांकि पशुपालकों की माने तो लम्पी से ग्रसित गायों का आंकड़ा पशुपालन विभाग के आंकड़े से कहीं अधिक है.
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पशुपालन विभाग के रोग निदान केंद्र प्रभारी डॉ. राधेश्याम मीणा का कहना है कि हर मुमकिन प्रयास कर लम्पी ग्रसित गायों को उपचार के माध्यम से ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है. महकमे के कर्मचारी दिन रात मेहनत कर उपचार में लगे हुए हैं, साथ ही लम्पी से निपटने के लिये पशु पालकों को भी जागरूक किया जा रहा है, जिससे गायों में लम्पी के लक्षण दिखाई देते ही तत्काल उपचार शुरू हो सके और वह जल्दी ठीक भी हो सके. डेयरी के माध्यम से साढे चार हजार गायों के वैक्सीन का टीका भी लगाया गया है.
दूध उत्पादन की समस्या
गायों में फैलती लम्पी स्किन डिजीज को लेकर दूध उत्पादन की भी समस्या होने लगी है. एक ओर जहां लोग दूध खरीदने से कतरा रहें हैं, तो वहीं दूसरी ओर बड़ी तादाद में लम्पी बीमारी से गायों के ग्रसित होने से दूध के उत्पादन में भी भारी गिरावट हो रही है. हालांकि पशु विभाग के चिकित्सकों का कहना है लम्पी जूनोटिक डिजीज नहीं है, ऐसे में दूध को उबाल कर ही काम में ले कच्चा दूध इस्तेमाल नहीं करें. यह बीमारी जानवरों से इंसानों में नहीं आती है.
पशुओं के आहार पर दे विशेष ध्यान
पशु चिकित्सक डॉ. राधेश्याम मीणा ने कहा कि लम्पी के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए पशु पालकों को पशुओं के आहार का विशेष ध्यान रखना चाहिए इस समय उन्हें मल्टी विटामिन युक्त अच्छा आहार दें, साथ ही देसी नुस्खों का भी इस्तेमाल करें और जैसे ही पशुओं में लम्पी के लक्षण दिखाई दें तो, झोलाछाप या झाड़-फूंक के चक्कर में नहीं पड़कर तुरंत पशु चिकित्सक से उपचार करवाएं. जिससे समय रहते पशु ठीक हो सके. वहीं गुड़ में आंवला, हल्दी और तुलसी मिलाकर लम्पी ग्रसित पशुओं को खिलाने से उनकी इम्युनिटी बढ़ेगी और वे जल्द स्वस्थ होंगे.
शव का डिस्पोजल सावधानी से हो
लंपी स्किन डिजीज से गायों की मौत के बाद उनके शव का भी बेहद सावधानी के साथ निस्तारण हो इसकी भी पशु चिकित्सक सलाह दे रहें हैं. हालांकि शहरों में नगर निकायों और ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायतों के जिम्मे गायों की मौत के बाद उनके शव के डिस्पोजल की जिम्मेदारी हैं, लेकिन लगता है वह अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा रहें. जिस जगह पर लम्पी से ग्रसित गाय की मौत हुई है, वहां सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव भी बेहद जरूरी है. वहीं शव को जमीन में दफनाने के लिए करीब डेढ़ फीट का गड्ढा खोदें और उसमें नमक व चुना डालें ओर फिर उसके ऊपर मिट्टी डाल दें.
जिले में लम्पी स्किन डिजीज से निपटने के लिए दौसा विधायक और कृषि राज्य मंत्री मुरारीलाल मीणा ने अपने विधायक कोष से पशुपालन विभाग को दस लाख रुपये की अनुदान राशि जारी की है, तो वहीं लालसोट विधायक और चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने भी विधायक कोटे से दस लाख रुपए की अभिशंसा की है.
Reporter - Laxmi Sharma
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