Dausa News: तेजाजी की कृपा से सांप का जहर होता है बेकार, डसने के बाद भी लोगों को मिलती है नई उम्मीद
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Dausa News: तेजाजी की कृपा से सांप का जहर होता है बेकार, डसने के बाद भी लोगों को मिलती है नई उम्मीद

Lalasot Toda Village: लालसोट के टोडा ठेकला गांव में स्थित तेजाजी मंदिर में लोग सांप के काटे जाने के बाद उपचार के लिए पहुंचते हैं. यहां प्रतिवर्ष दशमी के दिन तेजाजी का मेला लगता है, जहां दूर-दराज से हजारों लोग लोक देवता के रूप में तेजाजी की पूजा करने आते हैं.

Dausa News: तेजाजी की कृपा से सांप का जहर होता है बेकार, डसने के बाद भी लोगों को मिलती है नई उम्मीद

Dausa News: लालसोट के टोडा ठेकला गांव में स्थित तेजाजी मंदिर में लोग सांप के काटे जाने के बाद उपचार के लिए पहुंचते हैं. यहां प्रतिवर्ष दशमी के दिन तेजाजी का मेला लगता है, जहां दूर-दराज से हजारों लोग लोक देवता के रूप में तेजाजी की पूजा करने आते हैं. लोगों का मानना है कि तेजाजी की कृपा से सांप के काटे जाने के बाद भी वे ठीक हो जाते हैं.

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तेजाजी मंदिर में इलाज की मान्यता 
सर्प दंश से मेडिकल साइंस के उपचार से लोग ठीक हो या नहीं हो इसकी कोई गारंटी नहीं लेकिन लोक देवता के रूप में पूजे जाने वाले तेजाजी पर लोगों को इतना भरोसा है जहरीले कीट के काटने के बाद अगर वह तेजाजी के स्थान पर पहुंचेंगे तो उसकी जान निश्चित रूप से बचेगी यही वजह है लालसोट के टोडा ठेकला गांव में स्थित तेजाजी के मंदिर पर प्रतिदिन जहरीले कीट के शिकार लोग अपना उपचार करवाने के लिए पहुंचते हैं और वह ठीक भी होते हैं वही प्रतिवर्ष तेजा दशमी के दिन यहां मेले का आयोजन होता है जहां दौसा जिले के नहीं बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों से हजारों की तादाद में तेजाजी के भक्त पहुंचते.

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मान्यता है तेजाजी महाराज भगवान शिव के ग्यारह अवतार में से एक हैं और उनके माता-पिता शिव भक्त थे और नाग देवता के आशीर्वाद से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी जिसका नाम उन्होंने तेजाजी रखा किवदंती है तेजाजी को सर्प ने डस लिया था और उस समय उन्हें यह वरदान मिला था कि जो भी उनके स्थान पर आएगा कितना ही जहरीला कीड़ा काटा हो उसकी जान बचेगी तभी से तेजाजी की लोक देवता के रूप में पूजा होने लगी और जगह-जगह बने तेजाजी के स्थान पर जहरीले कीड़े के खाने का उपचार होने लगा.

लालसोट के टोडा ठेकला गांव में आयोजित हुए तेजाजी के मेले में जिस व्यक्ति के शरीर में तेजाजी की हवा आती है उसकी जीभ पर कोबरा काटता है लेकिन उसके जहर का कोई असर नहीं होता स्थानीय लोगों की माने तो पंचमी के दिन सर्प की बांबी की पूजा की जाती है और उन्हें दशमी के दिन तेजाजी के स्थान पर आने का न्योता दिया जाता है जहां कोबरा पहुंचकर जिस व्यक्ति के शरीर में तेजाजी की हवा आती है उस व्यक्ति की जीभ को हजारों लोगो की मौजूदगी में डसता है कोबरे का नाम सुनते ही हर कोई डर के चलते सहम जाता है लेकिन यहां खुलेआम सबके सामने कोबरा सर्प डसता है लेकिन उस व्यक्ति के शरीर पर कोबरे के जहर का कोई असर देखने को नहीं मिलता .

स्थानीय लोगों का कहना है उनकी तेजाजी में गहरी आस्था है और सैकड़ो वर्षों से लोक देवता के रूप में तेजाजी की पूजा कर रहे हैं और उन्हें ही नहीं बल्कि दूर दराज से आने वाले लोगों को तेजाजी ठीक करके भेजते हैं.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ स्थानीय मान्यता और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ZEE Media किसी भी तरह की स्थानीय मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है

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