दौसा के मोरेल बांध पर पेंटेड स्टोर्क पक्षियों ने डाले डेरे, प्रजनन में हुई बढ़ोतरी
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दौसा के मोरेल बांध पर पेंटेड स्टोर्क पक्षियों ने डाले डेरे, प्रजनन में हुई बढ़ोतरी

Dausa: दौसा के मोरेल बांध पर पेंटेड स्टोर्क पक्षियों ने डेरे डाला लिया है. साथ ही पक्षियों की प्रजनन में भी बढ़ोतरी हुई है. 

दौसा के मोरेल बांध पर पेंटेड स्टोर्क पक्षियों ने डाले डेरे, प्रजनन में हुई बढ़ोतरी

Dausa: दौसा जिले के लालसोट विधानसभा क्षेत्र में स्थित एशिया में मिट्टी के सबसे बड़े बांध के रूप में विख्यात मोरेल बांध पर पानी की उपलब्धता होने के कारण पिछले 4 सालों से प्रवासी पक्षियों के लिए शरण स्थली के रूप में उभर कर सामने आया है. यहां इन दिनों लगभग 200 पेंटेड स्टोर्क (जिसे सामान्य रूप से जांघिल भी कहा जाता है) ने डेरा डाला हुआ है. यह पक्षी आईयूसीएन की रेड डेटा लिस्ट में नियर थ्रेटण्ड सूची में शामिल है.

पीली लंबी और बड़ी चोंच और गुलाबी और हल्के भूरे रंग के पंख बने पहचान

पक्षीविद डॉ सुभाष पहाड़िया के अनुसार कई पक्षी अब यहां प्रजनन भी करने लगे है. अपनी पीली लंबी और बड़ी चोंच के अलावा गुलाबी और हल्के भूरे रंग के पंखों के कारण बेहद आकर्षक लगते हैं. मानों किसी चित्रकार ने बड़ी फुरसत से इनके पंखों में रंग भरा हो. पेंटेड स्टोर्क इतनी बड़ी संख्या में पहली बार यहां दिखाई दे रहे हैं. मोरेल बांध की तलहटी में देशी बबूल के 5-6 पेड़ों पर इन पक्षियों ने अपने घोंसले बनाना शुरू कर दिया है.

वातावरण की अनुकूलता के कारण प्रजनन में हुई बढ़ोतरी 

मोरेल बांध का अनुकूल वातावरण भोजन की उपलब्धता और बड़े वृक्षों की मौजूदगी इन पक्षियों को यहां प्रजनन के लिए आकर्षित करती है. प्रजनन अगस्त से मार्च के महीने में इनका प्रजननकाल होता है.मोरेल बांध को अपना स्थायी आवास बना रहे पेंटेड स्टोर्क की संख्या एक वृक्ष पर 10 से 40 तक देखी गई है. यह पेंटेड स्टॉर्क पर्यटकों के इस समय आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. पेंटेड स्टोर्क नर और मादा देखने में लगभग एक से ही दिखाई देते है लेकिन नर का आकार मादा से बड़ा होता है. इनकी लंबी और पतली टांग, नुकीली लंबी चोंच उसे दूसरे पक्षियों से अलग करती है.

पक्षी मानव से भी ज्यादा समझदार
यह पक्षी मानव से भी ज्यादा समझदार होती हैं. क्योंकि यह अपने सुरक्षा के लिए अपने आस-पास की हरियाली बचा कर रखती हैं और जिस पेड़ पर घोंसला बनाता है. उस पेड़ का नेस्टिंग मेटेरियल काम नहीं लेता है. दूसरी जगह से तिनके और टहनियां लाकर घोंसलों का निर्माण करता है. पक्षीविद डॉ. सुभाष पहाड़िया के अनुसार कुछ पक्षियों के साथ छोटे पेंटेड स्टोर्क देखे गए है जबकि अधिकांश पेंटेड स्टोर्क अभी नीड के निर्माण में लगे हुए है. डॉ. पहाड़िया पिछले चार साल से मोरेल बांध को कंजरवेशन रिजर्व घोषित करवाने के लिए प्रयासरत है.

Reporter- Laxmi Sharma

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