यहां मनरेगा से श्रमिकों का मोह हो रहा भंग, श्रमिक नियोजन में आई भारी कमी
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यहां मनरेगा से श्रमिकों का मोह हो रहा भंग, श्रमिक नियोजन में आई भारी कमी

डूंगरपुर जिले में प्रतिवर्ष अप्रैल और मई माह में 2 से 3 लाख श्रमिक नियोजित होते थे लेकिन इस वर्ष अप्रैल और मई माह में एक से डेढ़ लाख तक श्रमिक नियोजित हुए हैं. ऑनलाइन हाजिरी और संविदाकर्मियों की हड़ताल को इसका कारण माना जा रहा है.

यहां मनरेगा से श्रमिकों का मोह हो रहा भंग, श्रमिक नियोजन में आई भारी कमी

Dungarpur: डूंगरपुर जिले में लोगों की लाइफ लाइन माने जानी वाली महात्मा गांधी नरेगा योजना में श्रमिकों का मोह भंग होता जा रहा है. डूंगरपुर जिले में पिछले सालो की अपेक्षा मनरेगा योजना में श्रमिक नियोजन की संख्या घटती जा रही है. 

डूंगरपुर जिले में प्रतिवर्ष अप्रैल और मई माह में 2 से 3 लाख श्रमिक नियोजित होते थे लेकिन इस वर्ष अप्रैल और मई माह में एक से डेढ़ लाख तक श्रमिक नियोजित हुए हैं. ऑनलाइन हाजिरी और संविदाकर्मियों की हड़ताल को इसका कारण माना जा रहा है.

मनरेगा योजना ही जीवन यापन के लिए बड़ा साधन
महात्मा गांधी नरेगा योजना डूंगरपुर जिले की लाइफ लाइन मानी जाती है. जिले में रोजगार के अन्य कोई साधन नहीं होने से ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा योजना ही जीवन यापन के लिए बड़ा साधन है. पहाड़ी इलाका होने और खेती योग्य जमीन कम होने से यहां के लोगों के पास रोजगार के साधन कम ही है. ऐसे में साल 2006 में शुरू हुई मनरेगा योजना इस जिले के लिए वरदान साबित हुई. योजना के तहत श्रमिक नियोजन में डूंगरपुर जिला प्रदेश में अव्वल रहता आया है लेकिन पिछले 3 सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो ऐसा लगता है जैसे मनरेगा योजना से जिले के लोगो का मोह भंग होता जा रहा है.

पिछले 3 सालों में अप्रैल और मई माह में नियोजित श्रमिकों की संख्या

वर्ष                        2020                  2021            2022

अप्रैल 2,58,369          2,69,870      1,22,000

मई 1,76,288            1,69,244 1,54,2444

क्या कहना है अधिकारियों का
पिछले 2 सालों के मुकाबले इस साल अप्रैल और मई माह में मनरेगा योजना में करीब एक लाख श्रमिक कम नियोजित हुए हैं. श्रमिकों की संख्या में कमी पर अधिकारियों का कहना है कि इस बार अप्रैल माह से योजना में ऑनलाइन हाजिरी शुरू हुई है. वही आदिवासी क्षेत्र होने के कारण मेटो को ऑनलाइन हाजिरी का सॉफ्टवेयर समझने में भी दिक्कत आ रही है. वहीं, अधिकतर क्षेत्रो में नेटवर्क की भी समस्या है. योजना के एक्सईएन अजय भार्गव का कहना है कि मेटो को प्रशिक्षित किया जा रहा है और जहां तकनीकी समस्या आ रही है, उसे भी दूर करने की कोशिश जारी है. वहीं, मनरेगा योजना में लगे संविदा कार्मिकों की हड़ताल भी इसमें एक कारण है.

श्रमिकों का पलायन कुछ हद तक रुका 
डूंगरपुर जिले के लाखों लोग रोजगार के लिए गुजरात और अन्य राज्यों में पलायन करते हैं. मनरेगा योजना आने के बाद श्रमिकों का पलायन कुछ हद तक रुका भी है लेकिन लगातार कम हो रही श्रमिकों की संख्या मनरेगा योजना के सफल क्रियान्वयन में खामियों की ओर इशारा करती है. 

Reporter- अखिलेश शर्मा 

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