इसमें से 38 प्रतापगढ़ (pratapgarh), बीकानेर (Bikaner) और सिरोही (Sirohi) में 3-3, जोधपुर (Jodhpur) और अजमेर (Ajmer) में 2-2 और सीकर (Sikar) व भीलवाड़ा (Bhilwara) में एक-एक मरीज मिले हैं.
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Jaipur: राजस्थान में बीते 24 घंटे में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) के कुल 52 नए मामले सामने आए हैं. इसमें से 38 प्रतापगढ़ (pratapgarh), बीकानेर (Bikaner) और सिरोही (Sirohi) में 3-3, जोधपुर (Jodhpur) और अजमेर (Ajmer) में 2-2 और सीकर (Sikar) व भीलवाड़ा (Bhilwara) में एक-एक मरीज मिले हैं.
इन सभी व्यक्तियों की कान्टेक्ट ट्रेसिंग संबंधित मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा करते हुए ओमिक्रॉन पॉजिटिव केसेस को डेडिकेटेट ओमिक्रॉन वार्ड में आईसोलेट किया जा रहा है. इन 52 व्यक्तियों में से 9 विदेश यात्रा से लौटे हैं. 4 व्यक्ति विदेशी यात्रियों के कान्टेक्ट में रहे हैं और 12 व्यक्तियों ने अन्य राज्यों से यात्रा की हैं. इसमें दो ऐसे केस हैं जो पहले पाए गए ओमिक्रॉन मरीज के संपर्क में रहे हैं. राजस्थान में अब तक ओमिक्रॉन के 121 केस मिल चुके हैं जिसमें से 61 रिकवर हो चुके हैं.
एक्सपर्ट्स ने कहा- घबराएं नहीं सावधान रहें
ओमिक्रॉन ने भले ही दुनिया के कई देशों में अपनी पहुंच बना ली हो पर अभी तक कोरोना के दूसरे वैरिएंट यानी डेल्टा (Delta) जैसी तबाही का दखेने को नहीं मिल रहा है. ये राहत की बात है. उल्टे इस वैरिएंट को कोरोना के खात्मे के रूप में देखा जा रहा है. हाल ही में ब्रिटिश मेडिकल काउंसिल (British medical council) के पूर्व वैज्ञानिक (former scientist) का कहना है कि ओमिक्रॉन कोरोना के खात्मे की वजह बन सकता है. ये वैरिएंट फेफड़ों (lungs) तक नहीं पहुंचता है बल्कि श्वास नली (breathing tube) में रुककर अपनी संख्या बढ़ाता है. तब तक इसकी रफ्तार 10 गुना कम हो जाती है. पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रामएस उपाध्याय (Dr. MS Upadhyay) ने बताया कि यही वजह है कि लोगों को ऑक्सीजन (oxygen) की जरूरत नहीं पड़ रही है.
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एंटीबॉडी ओमिक्रॉन को हराने में सक्षम
ओमीक्रोन वेरिएंट कई म्यूटेशंस के साथ शरीर की पहली रक्षा पंक्ति यानी एंटीबॉडी (Antibodies) को हराने में तो सक्षम है, लेकिन यह शरीर की दूसरी रक्षा पंक्ति (टी-सेल्स) T-cells से जीत नहीं पाता है. ये टी-सेल्स न सिर्फ वेरिएंट की पहचान करने में बल्कि उसे बेअसर करने में भी बेहद प्रभावी हैं. टी-सेल्स व्हाइट ब्लड सेल्स (white blood cells) होती हैं, जो वायरस से संक्रमित कोशिकाओं पर हमले कर सकती हैं या उनका मुकाबला करने के लिए एंटीबॉडी बनाने में मदद कर सकती हैं. स्टडीज का अनुमान है कि 70-80 प्रतिशत टी सेल्स ओमिक्रॉन के खिलाफ फाइट करते हैं. एंटीबॉडी से इतर, टी-सेल्स वायरस के पूरे स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करती हैं, जो ज्यादा म्यूटेशन वाले ओमिक्रॉन में भी काफी हद तक एक जैसा रहता है.केप टाउन यूनिवर्सिटी की स्टडी में पता चला है कि जो मरीज कोविड से ठीक हुए या जिन्हे वैक्सीन लगी है उनमें 70-80 फीसदी टी सेल्स ने ओमिक्रॉन के खिलाफ काम किया है.