अक्षया तृतीया (Akshaya Tritiya) और परशुराम जयंती के साथ वृषभ संक्रांति आज मनाई जायेगी.
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Jaipur : अक्षया तृतीया (Akshaya Tritiya) और परशुराम जयंती के साथ वृषभ संक्रांति आज मनाई जायेगी. आज शुक्रवार 14 मई को सूर्य वृषभ राशि में आ जाएगा और इस राशि में 14 जून तक रहेगा. वैशाख को बहुत ही खास महीना माना गया है. इस महीने की शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है. ये पर्व हिंदू धर्म में बहुत ही खास माना जाता है. इस तिथि को जो शुभ काम किए जाते हैं उनके अक्षय फल मिलते हैं इसलिए इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है. इस पर्व को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि पर परशुराम का जन्म हुआ था. इसलिए अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2021) के दिन ही इनकी जयंती मनाई जाती है. ये भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं. अमर होकर कलियुग में मौजूद हनुमानजी समेत 8 देवता और महापुरुषों में परशुराम भी एक हैं.
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि ग्रहों की युति आज 14 मई 2021 को होने जा रही है. इस दिन वृषभ राशि में सूर्य बुध शुक्र और राहु विराजमान होंगे. वृषभ राशि में पाप ग्रह राहु पहले से ही विराजित हैं. बुध ग्रह 1 मई और शुक्र ग्रह 4 मई को आ गए. समस्त ग्रहों के राजा सूर्य देव आज 14 मई को मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य के आते ही 4 ग्रहों की युति होने जा रही है. 4 ग्रहों की युति मेष राशि से लेकर मीन राशि के जातकों को प्रभावित करेगी.
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि आज वृषभ संक्राति पर्व मनाया जाएगा. पुराणों में बताया गया है कि सूर्य के संक्रमण काल यानी संक्राति के समय पूजा और दान करने से कई गुना पुण्य मिलता है. इसलिए इस पर्व पर स्नान, दान, व्रत और पूजा-पाठ करने की परंपरा है. महाभारत में बताया गया है कि सूर्य संक्रांति पर्व पर किए गए श्राद्ध से पितर संतुष्ट होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. वृषभ संक्रांति पर्व हिंदू कैलेंडर के वैशाख महीने में मनाया जाता है, लेकिन कभी-कभी तिथियों की घट-बढ़ होने से ज्येष्ठ महीने में भी ये पर्व मनाया जाता है.
इस बार वैशाख में ये संक्रांति होने से इस पर्व पर तीर्थ में स्नान करना शुभ माना जाता है. वृषभ संक्रांति पर्व पर सूर्य देव और भगवान शिव के ऋषभरुद्र स्वरुप की पूजा करनी चाहिए. इससे हर तरह की बीमारियां और परेशानी दूर हो जाती है. कोरोना महामारी के कारण तीर्थ स्नान करना संभव नहीं है. इसलिए घर पर ही पानी में गंगाजल या किसी पवित्र नदी के जल की 3 बूंद डालकर ही नहा लेना चाहिए.
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य के राशि बदलने से कर्क, सिंह, धनु और मीन राशि वाले लोगों के लिए अच्छा समय शुरू हो सकता है. इनको धन लाभ और तरक्की मिल सकती है. सेहत में सुधार होगा. इनके अलावा मेष, कन्या और मकर राशि वाले लोगों के लिए समय सामान्य रहेगा. लेकिन, वृषभ, मिथुन, तुला, वृश्चिक और कुंभ राशि वाले लोगों को करीब एक महीने तक संभलकर रहना होगा. इन लोगों को धन हानि हो सकती है. कामकाज में रुकावटें आने की आशंका है. सेहत के लिए भी समय ठीक नहीं रहेगा.
कर्क, सिंह, धनु और मीन राशि के लिए शुभ
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि वृषभ राशि का सूर्य कर्क, सिंह, धनु और मीन राशि के लोगों के लिए लाभदायक रहेगा. इन लोगों को भाग्य का साथ मिलेगा और हर काम में सफलता हासिल करेंगे. घर-परिवार में सुखद वातावरण रहेगा. वैवाहिक जीवन में सुख और शांति बनी रहेगी.
वृषभ, मिथुन, तुला, वृश्चिक और कुंभ राशि के लिए अशुभ
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि वृषभ, मिथुन, तुला, वृश्चिक और कुंभ राशि के लोगों के लिए सूर्य की स्थिति परेशानियां बढ़ा सकती हैं. किसी भी काम में कड़ी मेहनत करना होगी, लेकिन आशा के अनुरूप सफलता नहीं मिल पाएगी. मानसिक तनाव बना रहेगा और इस वजह से एकाग्रता नहीं बन पाएगी. हानि से बचने के लिए विशेषज्ञों से परामर्श करें. सावधान रहें.
मेष, कन्या और मकर राशि के लिए सामान्य
मेष, कन्या और मकर राशि के लोगों के लिए वृष राशि का सूर्य सामान्य फल देने वाला रहेगा. सूर्य की वजह से कोई बड़ा परिवर्तन इन लोगों के जीवन में नहीं होगा. जितना काम करेंगे, उतना लाभ प्राप्त कर पाएंगे. लापरवाही न करें, वरना हानि हो सकती है.
संक्रांति पर्व पर गौ दान का महत्व
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि वृषभ संक्रांति पर्व मनाने वालों को जमीन पर सोना चाहिए. दिनभर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. पूरे दिन जरुरतमंद लोगों को दान करना चाहिए. कोशिश करना चाहिए इस दिन नमक न खाएं. इस पर्व पर भगवान सूर्य, विष्णु और शिवजी की पूजा करनी चाहिए. इनके अलावा पितृ शांति के लिए तर्पण करने का भी महत्व है. वृषभ संक्रांति पर गौ दान को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. पुराणों का कहना है कि इस संक्रांति पर गौ दान करने से हर तरह के सुख मिलते हैं. पाप खत्म हो जाते हैं और परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है. गौ दान नहीं कर सकते तो गाय के लिए एक या ज्यादा दिनों का चारा दान करें. इस तरह दान करने से पाप खत्म हो जाते हैं.
पूजा विधि
सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं. उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं और पूजा करें. दिनभर व्रत और दान करने का संकल्प लें. पीपल और तुलसी को जल चढ़ाएं. गाय को घास-चारा या अन्न खिलाएं. पानी से भरा घड़ा दान करने से बहुत पुण्य मिलता है. सूर्योदय से दो प्रहर बीतने के पहले यानी दिन में 12 बजे के पहले पितरों की शांति के लिए तर्पण करना चाहिए.
दान से दूर होता है बुरा समय
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस शुभ तिथि पर दान करने का अत्यधिक महत्व है, ऐसे में अक्षय तृतीया पर अपनी कमाई से कुछ अंश जरूर दान करें. इस दिन 14 तरह के दान का महत्व बताया है. ये दान गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी, नमक, शहद, मटकी, खरबूजा और कन्या है. अगर ये न कर पाएं तो सभी तरह के रस और गर्मी के मौसम में उपयोगी चीजों का दान करना चाहिए. इन चीजों का दान करने से बुरा समय दूर होता है.
भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया पर नई चीजों की खरीदारी बहुत ही शुभ मानी जाती है विशेषकर इस दिन सोने से बनी चीजें या आभूषण खरीदना बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन व्रत रखकर विधि विधान से पूजा-पाठ करने से न सिर्फ भगवान विष्णु जी एवं मां लक्ष्मी, बल्कि बुद्धि और विद्या का भी वरदान मिलता है. मान्यता है कि इस दिन कुबेर देवता ने देवी लक्ष्मी से धन की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की थी, जिससे प्रसन्न होकर देवी लक्ष्मी ने उन्हें धन और सुख-समृद्धि से संपन्न किया था.
क्या होती है संक्रांति
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाने को संक्रांति कहा जाता है. 12 राशियां होने से सालभर में 12 संक्रांति पर्व मनाए जाते हैं. यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हर महीने के बीच में सूर्य राशि बदलता है. सूर्य के राशि बदलने से मौसम में भी बदलाव होने लगते हैं. इसके साथ ही हर संक्रांति पर पूजा-पाठ, व्रत-उपवास और दान किया जाता है. वहीं धनु और मीन संक्रांति के कारण मलमास और खरमास शुरू हो जाते हैं. इसलिए एक महीने तक मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं.
वृषभ सक्रांति का महत्व
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार 14 या 15 मई को वृषभ संक्रांति पर्व मनाया जाता है. सूर्य की चाल के अनुसार इसकी तारीख बदलती रहती है. इस दिन सूर्य अपनी उच्च राशि छोड़कर वृष में प्रवेश करता है. जो कि 12 में से दूसरे नंबर की राशि है. वृषभ संक्रांति ज्येष्ठ महीने में आती है. इस महीने में ही सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आता है और नौ दिन तक गर्मी बढ़ाता है. जिसे नवतपा भी कहा जाता है. वृषभ संक्रांति में ही ग्रीष्म ऋतु अपने चरम पर रहती है. इसलिए इस दौरान अन्न और जल दान का विशेष महत्व है.