अशोक गहलोत का 'मिशन@156', क्या सचिन पायलट का मिलेगा साथ, जाने क्यों है अहम
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अशोक गहलोत का 'मिशन@156', क्या सचिन पायलट का मिलेगा साथ, जाने क्यों है अहम

Ashok Gehlot Sachin Pilot : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मिशन @156 की घोषणा कर दी है. सचिन पायलट लगातार CM गहलोत और प्रदेश कांग्रेस से अपनी राय अलग करके चल रहे हैं. ऐसे में मिशन @156 में पायलट गहलोत का कितना साथ देंगे यह भी एक बड़ा सवाल है. 

अशोक गहलोत का 'मिशन@156', क्या सचिन पायलट का मिलेगा साथ, जाने क्यों है अहम

Ashok Gehlot Sachin Pilot : राजस्थान में विधानसभा चुनाव में भले ही अभी 10 महीनों का वक्त हो, लेकिन सियासी सरगर्मियां परवान चढ़ना शुरू कर चुकी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मिशन @156 की घोषणा कर दी है. मुख्यमंत्री गहलोत ने ना सिर्फ सरकार रिपीट करने की बात कही है बल्कि साल 1998 से भी बड़े रिकॉर्ड की चुनौती ली है. हालांकि इस चुनौती को पार पाने के लिए पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का कितना साथ मिलेगा यह एक बड़ा सवाल है. सचिन पायलट लगातार CM गहलोत और प्रदेश कांग्रेस से अपनी राय अलग करके चल रहे हैं. ऐसे में मिशन @156 में पायलट गहलोत का कितना साथ देंगे यह भी एक बड़ा सवाल है. 

जयपुर में मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि हमने मिशन 156 पर काम शुरू कर दिया है. गहलोत बोले कि पहले भी उनकी पार्टी 156 सीट लेकर आई थी.इस बार फिर लेकर आएगी. सरकार रिपीट करने के सवाल पर गहलोत बोले कि वे हर बात सोच समझकर बोलते हैं. सीएम ने कहा कि जब उन्होंने मिशन 156 की बात की है तो वह भी सोच समझ कर ही कही होगी. गहलोत बोले कि उन्हें इस बात का गॉड गिफ्ट है. सीएम ने उम्मीद जताते हुए कहा कि जनता इस बार उनका साथ देगी.

 

क्यों कही मिशन @156 की बात
मिशन @156 के नारे के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को भी जवाब दे दिया है. गहलोत यह जताना चाहते हैं कांग्रेस इससे पहले भी बहुमत से सरकार बना चुकी है, सचिन पायलट और उनके समर्थक बार बार इस बात पर जोर देते हैं कि पायलट की वजह से कांग्रेस 21 से 99 सीटें लेकर आई. बता दें कि साल 1998 में कांग्रेस 200 में से 153 सीटों पर परचम लहराया था, बाद में 3 सीटों पर उप चुनाव में भी जीत हांसिल कर सदन में 156 का आंकड़ा छुआ था. ऐसे में गहलोत ने जाता दिया है कि वो यह करिश्मा 2023 में फिर दोहराएंगे. 

पिछले दो दशक में नहीं कर पाई ऐसा करिश्मा
साल 1998 के बाद कांग्रेस अब तक अपना ऐसा प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई है.  2003 में कांग्रेस को 200 में से 56 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि साल 2008 में कांग्रेस ने फिर सरकार बनाई तब उसे 200 में 96 सीटों पर जीत मिली. इसके बाद कांग्रेस 2013 में 21 सीटों पर सिमट कर रह है. यह इतिहास में कांग्रेस की सबसे शर्मनाक हार थी. इसके बाद 2018 में  कांग्रेस फिर सरकार बनाने में कामयाब हुई. 200 में से 99 सीटों पर जीत मिली. हालांकि साल 2013 में भाजपा ने इससे भी बड़ा करिश्माई आंकड़ा छुआ था. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 200 में से 163 सीटें हांसिल की थी. लेकिन साल 2018 में भाजपा का हार का मुंह देखना पड़ा.  

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