राजधानी जयपुर के चौमूं शहर में विशिष्ट श्रेणी की कृषि मंडी का संचालन होता है. यह मंडी पिछले कई दिनों से विवादों में चल रही है.
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Chomu:टैक्स चोरी को रोकने के लिए सरकार ने कई एजेंसिया बना रखी है लेकिन चौमूं कृषि मंडी में तू डाल डाल मैं पात पात वाली कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है. मंडी में दुकानदार कृषि मंडी सचिव और अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत से लाखों रुपयों का टैक्स चोरी कर रहे हैं.
राजधानी जयपुर के चौमूं शहर में विशिष्ट श्रेणी की कृषि मंडी का संचालन होता है. यह मंडी पिछले कई दिनों से विवादों में चल रही है. मंडी में टैक्स चोरी का खेल भी लंबे समय से चल रहा है. पिछले दिनों कृषि मंडी में तैनात सचिव अमर चंद सैनी रिश्वत लेते ट्रैप भी हो चुके हैं लेकिन फिर भी खेल ज्यो की त्यों चल रहा है. इस मंडी में टैक्स चोरी भी विशिष्ट श्रेणी से ही होती है. मंडी में टैक्स चोरी पकड़ पाना आसमान के तारे तोड़कर लाने के बराबर है. मंडी सचिव से लेकर कर्मचारी और दुकानदार टैक्स चोरी के खेल में पारंगत है. मंडी सचिव और गार्ड की मिलीभगत बिना टैक्स चोरी का खेल संभव नहीं है.
कई बार मंडी के आला अफसर भी निरीक्षण के लिए आते हैं लेकिन खानापूर्ति करके चले जाते हैं. जीएसटी चोरी को रोकने के लिए जीएसटी का अलग से डिपार्टमेंट बनाया गया लेकिन फिर भी कृषि मंडी में GST चोरी रुक नहीं रही है.मंडी में तैनात गार्ड ने टैक्स चोरी के कई राज उगले है. कैसे एक पर्ची पर टैक्स चोरी का पूरा कच्चा खेल चलता है. यह खुलासा भी कैमरे के सामने किसी मंडी का गार्ड कर रहा है.
पता चला की सुरक्षा के लिए लगाए गए गाड़ी सेंध लगा रहे हैं. जिन गार्डों के भरोसे सुरक्षा की गारंटी है.वह गार्ड ही टैक्स चोरी करवा रहे हैं.ऐसा नहीं है कि गार्ड ही अकेले दोषी है.मंडी सचिव दशरथ सिंह की भूमिका भी इस पूरे खेल में संदिग्ध है. यह हम नहीं कह रहे हैं. दरअसल सुरक्षा गार्ड की मंडी सचिव की मिलीभगत की बात कर रहा है.
मंडी में जो भी वाहन माल लेकर आता है. नियमानुसार गेट पर सुरक्षा गार्ड उसे गेटपास देकर एंट्री करनी होती है लेकिन इसकी पोल तक खुल गई. जैसे ही मंडी का गेट खुला तो गेट के बाहर माल से भरे खड़े ट्रक, पिकअप एक-एक करके अंदर प्रवेश कर गए. एक दो गाड़ी को छोड़कर किसी भी वाहन ने गेट पास नहीं लिया और सभी गाड़ियां अंदर चली गई. सुरक्षा गार्ड के बीच बिना बिल बिल्टी के माल से भरे 6 ट्रक निकालने का सौदा होता है. तो सुरक्षा गार्ड कहता है कि दुकान से पर्ची लेकर आने पर निकल सकता है. सुरक्षा गार्ड ने हमें गणपत नाम के शख्स के बारे में बताया.गणपत ही आपकी पूरी तरह से मदद कर पाएंगे.
गणपत बेसिकली कृषि मंडी के सचिव के आदमी हैं. सुरक्षा गार्ड ने हमें एक पर्ची दिखाई. यह पर्ची दुकान नंबर 107 की थी. गार्ड ने बताया कि इस तरह की पर्ची किसी भी दुकान से आपको मिलेगी. यह पर्ची गेट पर गणपत अपने पास रखेगा.. इस पर्ची पर एक ट्रक का नंबर लिखा था. बोरियों की संख्या लिखी थी और दुकान का नंबर 107 लिखा हुआ था. कुल मिलाकर मंडी में मूंगफली का कारोबार करने वाले दुकानदार इस कच्ची पर्ची के आधार पर ही टैक्स चोरी कर रहे हैं.
सुरक्षा गार्ड से जब हमने बातचीत की तो उसने दो लोगों के नाम बताएं पहला नाम रामनिवास का लिया जो सरकारी कर्मचारी है.दूसरा नाम गणपत का लिया जो मंडी के सेक्रेटरी दशरथ सिंह का आदमी है.
बातचीत
सुरक्षा गार्ड. 30 रुपये बोरी के हिसाब से लगते है.अभी तो मैं 6 बजे तक हूं... बाद में सरकारी कर्मचारी आ जायेगा.107 नम्बर की दुकान वाले कि सेकेट्री से सांठगांठ है.
सवांददाता-गाड़िया फिर कब कैसे निकल पाएगी.
सुरक्षा गार्ड- दोपहर दो बजे कर्मचारी रामनिवास ओर सचिव का आदमी गणपत आएगा. उससे बात कर लेना.
संवाददाता-खेल कितना चल रहा है.
सुरक्षा गार्ड-इन दिनों कम है काम बाकी दिनों 10 से 11 गाड़ी प्रतिदिन निकलती है...एक दुकान की 5 से 7 गाड़िया दो नम्बर में निकलती है. करोड़ों रुपयों का घपला चल रहा है. ऑफिस वाले,बोली लगाने वाले ,कैशियर,मंडी सचिव सब मिलकर खाते है.हम कर ले तो हमारे जूत लग जाये. सेकेट्री ने खुद का आदमी रखा है जो दो बजे आएगा.उसका गणपत है दुकान नम्बर 107 वाला ही निकाल देगा.
अब यह पर्ची क्या है यह समझाते हैं...
सुरक्षा गार्ड हमें पर्ची के बारे में समझाता ह..मंडी में संचालित 107 नंबर की दुकान की पर्ची निकाल कर हमें बताता है कि इस तरह की पर्ची दुकान वाले से लाने पर आपका ट्रक आसानी से निकल जाएगा.दरअसल अभी मंडी में मूंगफली की आवक होने से मूंगफली की आवक और जावक हो रही है. मूंगफली पर टैक्स चोरी का यह पूरा खेल पिछले 1 महीने से चल रहा है.
जब मंडी की दुकान से माल भरने पर दुकानदार बिल बिल्टी की जगह एक सफेद पर्ची पर बोरी की संख्या, दुकान नंबर और ट्रक का नंबर लिखकर ट्रक चालक को देता है. यह पर्ची गार्ड को दी जाती है.गार्ड यह पर्ची अपने पास रख लेता है और शाम को पर्ची के बदले दुकानदार से पैसे ले लेता है. पर्ची के बदले मिले रुपये कृषि मंडी की सचिव दशरथ सिंह की जेब में जाते हैं. सुरक्षा गार्ड ने कहा मंडी सचिव ने अपना एक आदमी लगा रखा है उसका नाम गणपत बताया जाता है. आप गणपत से बात करेंगे तो आपकी गाड़ियां आसानी से निकल जाएगी. गणपत मंडी में ठेके का कर्मचारी है. जो मंडी सचिव के लिए काम करता है.गणपत की ड्यूटी दोपहर 2:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक होती है.
तारीख 28 नवम्बर 22
समय दोपहर 2.30 बजे
स्थान- मंडी गेट नंबर 2
सुबह 4:00 बजे गार्ड के बताए अनुसार दोपहर 2:30 बजे हमारे संवाददाता ने गणपत नाम के तक से मुलाकात की. गणपत से हमारे संवाददाता ने 4 गाड़ियां निकालने की. गणपत ने हमें हिसाब किताब समझाया... जेब से मोबाइल का कैलकुलेटर निकालकर ₹20 प्रति बोरी के हिसाब से गुणा भाग करके 13 सौ बोरियों के 26 हजार मांग लिए. संवाददाता ने 26 हजार देने की हां कर ली... और बिना बिल के गाड़िया मंडी से बाहर निकालने का सौदा तय हो गया....
गणपत- आजकल सिस्टम दूसरा हो गया मेरे को साहब नहीं छोड़ रखा है...
संवाददाता- साहब कौन सैक्टरी
गणपत हाँ, आप एक काम करो दुकान से पर्ची ले आओ
संवददाता- पर्ची कौन सी दुकान से लाऊं...
गणपत एक काम करो बोरी कितनी है टोटल ,
संवादाता कुल 1300 बोरी है
गणपत कैलकुलेटर निकालकर ₹20 के हिसाब से 300 बोरी के ₹26000 हजार हो गए.
संवाददाता- ₹20 से कम कर लो पैसे... सेकेट्री से बात कर लो
गणपत- सेकेट्री साहब ने बोल रखा है ₹20 से कम नहीं लेने... आपको किसी भी दुकान की पर्ची ले आओ हो कोई दिक्कत नहीं है...
संवददाता- इससे अच्छा तो मैं डायरेक्ट आपको ही पैसे दे दूंगा
फिर कहीं गाड़ी निकालने के लिए कोई परेशानी आ जाए
संवाददाता- पर्ची का सिस्टम बताओ कैसी पर्ची आती है
गणपत- दुकान नंबर गाड़ी नंबर बोरी की संख्या लिखी होती है
गनपत- संवाददाता के नंबर लेकर बात करने के लिए कहता है
सबसे पहले आप माल ले वह लोडिंग करो और फिर मुझे फोन करो...ठीक है
संवादाता यह सेक्रेटरी पहले वाले सेक्रेटरी से ज्यादा पैसे लेता है
गणपत -पहले पता नहीं क्या होता था... अब वाला तो खुले में कह रहा है ₹20 से कम नहीं होगा......
संवाददाता- पैसे इकट्ठे करके आप कब देते हो... वह अपने हिसाब से देते हैं घर भी दे आते हैं...
गणपत- आप पहले माल ले लो.... 8:00 बाद निकला दूंगा ....10:00 बजे बाद निकला दूंगा ...2:30 बजे तक मैं यहीं हूं.
सवांददाता-पहले हमारी दो गाड़िया है जिनमे 600 बोरी है...
संविदा कार्मिक गणपत-गाड़ियों के नम्बर मांगता है...
संवददाता-दो गाड़ियों का नम्बर देता है,मेरी रोज दो 2 गाड़ियां निकलेगी
गणपत- निकल जाएगी आपको कोई टेंशन नहीं है
संवाददाता. ₹20 प्रति बोरी की जगह ₹15 देने की बात करता है.. सेक्रेटरी साहब से बात करवा दो..
गणपत- आज सेक्रेटरी साहब नहीं आए अगर होते तो मैं डायरेक्ट बात कर लेता.सेक्रेटरी साहब कल आएंगे...
वीओ- अब गणपत नाम के शख्स से सौदा तय होने के बाद संवाददाता ने 2 गाड़ियों को निकालने के लिए ₹6000 का सौदा तय हो गया... जब गणपत को पैसे संवाददाता ने दिए... तो गणपत ने कहा कि पहले गाड़ी निकलवा लो....गाड़िया निकालने के बाद ही पैसे लूंगा और मैं आपको जानता नहीं इसलिए मुझे डर है.... पहले वाले कृषि मंडी के सचिव अमरचंद सैनी का आपको पता है ना वे ACB में ट्रेप हो गए... कुल मिलाकर पैसे देते हैं गणपत को भी एसीबी की टीम याद आ गई.... और पैसे वापस लौटा दिए.... लेकिन यह तय हो गया कि पैसे लेकर कोई भी गाड़ी गणपत निकलवा सकता है... और गणपत गाड़ी निकला ने की पूरी जिम्मेदारी लेता है..
यह भी सिद्ध हो गया कि गणपत वाकई मंडी के सचिव सेक्रेट्री दशरथ सिंह का खास आदमी है.... जो केवल सेक्रेटरी दशरथ सिंह के कहे अनुसार ही काम करता है... इस बात से अब इनकार नहीं किया जा सकता कि इस खेल में दशरथ सिंह का हाथ नहीं है... बिना दशरथ के टैक्स चोरी का यह रथ आगे नहीं चल सकता.......
फायनल वीओ-इस पूरे मामले में हमने मंडी सचिव दशरथ सिंह से उनका पक्ष जानने की कोशिश की और इस पूरे खेल की सच्चाई जानने के लिए पहुंचे.... लेकिन दशरथ सिंह छुट्टी पर मिले हैं ....फोन मिलाया तो फोन भी नहीं उठाया .....ऐसे में इंकार तो नहीं किया जा सकता कि दशरथ सिंह का इसमें कोई रोल नहीं है...
कुल मिलाकर सचिव की मिलीभगत से ही यह पूरा खेल चल रहा है..... अब जरूरत इस बात की है कि जिन जांच एजेंसियों के भरोसे टैक्स चोरी करने की जिम्मेदारी है उनके अधिकारी ऐसे टैक्स चोरों के खिलाफ कार्रवाई करें.... बाकी सरकारी पैसे पर डाका डालने वाले लोग डाका डालना भूल जाए.....
अब आपको ग्राफिक के जरिए आंकड़ों में बताते हैं टैक्स चोरी का खेल
अब आपको ग्राफिक्स के जरिए बताते हैं कि प्रतिदिन कितना टैक्स चोरी होता है...
15 ट्रक बिना बिल के निकलते है
एक ट्रक में करीब 300 बोरी
कुल 4500 बोरी
180 टन माल
माल की कीमत 1 करोड़ 17 लाख रुपये
मंडी और GST टैक्स 6.5 फीसदी
कुल 7 लाख 60 हजार रुपयों का टैक्स बनता है.
प्रतिदिन 7 लाख 60 हजार का टैक्स चोरी
एक महीने में 2 करोड़ 28 रुपये टैक्स की चोरी
कच्ची पर्ची के आधार पर एक बोरी के ₹20 वसूल किए जाते हैं....
प्रतिदिन 10 से 15 ट्रक इस कच्ची पर्ची के आधार पर ही मंडी से बाहर निकाले जाते हैं....
रात का हिसाब
एक ट्रक में 300 बोरी होती है
20*300= 6000 हजार रुपये एक ट्रक
ट्रक 15*6= 90 हजार रुपये एक रात
दोपहर दो बजे बाद भी यही खेल चलता है
प्रतिदिन 2 लाख रुपये मंडी के कर्मचारियों की जेब मे जाते है महीने के 60 लाख रुपये का खेल होता है.....
अब सरकारी टैक्स की बात करे....
1. प्रतिशत मंडी टैक्स
0.5 फीसदी किसान कल्याण कोष
5 फीसदी GST
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